लाल किताब ज्योतिर्विद्या की एक स्वतन्त्र और मौलिक सिद्धान्तों पर आधारित एक अनोखी पुस्तक है ।


ज्योतिष जिज्ञासा मनुष्य के जीवन पर ग्रह नक्षत्रों के प्रभाव, बाधा मुक्ति विधान एवं फलादेश सहित विविध मत-मतांतरों पर चर्चा लालकिताब है। ज्योतिष निराली, जो सोई किस्मत जगा देती है। फरमान पक्का दे के आखिरी, दो लफ्जों से ज़हमत हटा देती है।

‘लाल किताब’ ज्योतिर्विद्या की एक स्वतन्त्र और मौलिक सिद्धान्तों पर आधारित एक अनोखी पुस्तक है। इसकी अपनी कुछ निजी विशेषताएँ हैं। जो अन्य सैद्धान्तिक अथवा प्रायोगिक फलित ज्योतिष-ग्रन्थों से हटकर हैं। ज्योतिष के इस महाग्रन्थ को पंडित रूपचंद जोशी द्वारा वर्ष १९३९ से १९५२ के दौरान पांच भागों में लिखी गई थी। उन्होंने लाल किताब में हस्त रेखाओं, सामुद्रिक शास्त्र, मकान की हालत और जन्मकुंडली के ग्रहों को मिला कर भविष्य कथन और ग्रहों के दोष निवारण के लिए उपाय बताये हैं। यह पुस्तक मूलतः उर्दू में लिखी गयी थी।

हाथ रेखा को समुद्र गिनते, नजूमे फलक का काम हो ।

इल्म क्याफा ज्योतिष मिलते, लालकिताब का नाम हो ।

कुछ लोग लाल किताब को टोनो और टोटको की किताब समझते हैं, तो कुछ लोग इस को तंत्र की किताब मानते हैं। सच्चाई ऐसी नहीं है, लाल किताब से हम किसी का भी कोई नुक्सान नहीं बल्कि केवल भलाई ही कर सकते है। इसमें धर्माचरण और सदाचरण पर जोर दिया है। लाल किताब में बहुत जगह सदाचार, कानून का पालन करना, विधवा सेवा, नेत्रहीन की सेवा और कन्या सेवा के लिए कहा गया है। वास्तव में लालकिताब जीना सीखने की किताब है।

लाल किताब के द्वारा पिछले जन्म और अगले जन्म का हाल बखूबी बताया जा सकता है । किसी भी जातक के जन्म की तिथि या समय के अभाव में उस व्यक्ति के चेहरे, हाथो की रेखा और शरीर के अंगो जैसे कान,होंठ, आंखे इत्यादि देख कर भी बहुत कुछ बताया जा सकता है ।

लाल किताब में पूर्व जन्म में किये गए पाप कर्मो को धोने के भी उपाय बताये गए हैं। उदहारण के तौर पर यदि जन्मकुंडली के दूसरे या सातवें घर में यदि शुक्र के शत्रु ग्रह ( राहू , सूर्य , चंद्रमा) बैठे हैं, तो उस जातक को वैवाहिक जीवन में असंतुष्टि हो सकती है, जिसका एक कारण ये भी हो सकता है कि उस व्यक्ति ने पूर्व जन्म में किसी गर्भवती स्त्री या गाय को स्वार्थवश सताया होगा। उपाय के तौर पर लालकिताब बताती है कि उस व्यक्ति को १०० स्वस्थ गायो को एक ही दिन में हरा चारा खिलाना चाहिए और किसी भी स्त्री या गाय को सताना नहीं चाहिए।

लाल किताब में वास्तु ज्ञान का भी वर्णन किया गया है। यहाँ तक कि मकान की हालत देख कर उसमें रहने वालो के बारे में बताया जा सकता है ।लालकिताब के अनुसार पांच कोण वाला मकान नहीं बनाना चाहिए। इस तरह का भवन उसमें रहने वाले निवासियों के लिए हानिकारक ही होता है । लाल किताब की सबसे बड़ी विशेषता ग्रहों के दुष्प्रभावों से बचने के लिए जातक को उपायों का सहारा लेने का संदेश देना है। ये उपाय इतने सरल हैं कि कोई भी जातक इनका सुविधापूर्वक सहारा लेकर अपना कल्याण कर सकता है जैसे, काला कुत्ता पालना, कौओं को खिलाना, क्वाँरी कन्याओं से आशीर्वाद लेना, किसी वृक्ष विशेष को जलार्पण करना, कुछ अन्न या सिक्के पानी में बहाना, चोटी रखना, सिर ढँक कर रखना इत्यादि । इन उपायों के सहारे जातक कीमती ग्रह रत्नों (मूंगा, मोती, पुखराज, नीलम, हीरा आदि) में हजारों रुपयों का खर्च करने के बजाय इन उपायों के सहारे कम खर्च द्वारा ग्रहों के दुष्प्रभावों से अपनी रक्षा कर सकता है। लेकिन, लालकिताब में कहीं  भी ऐसा दावा नहीं किया गया है की ज्योतिष द्वारा या किसी भी उपाय द्वारा हम मृत्यु को जीत सकते है बल्कि इसके उपायों द्वारा हम बुरे ग्रहों के प्रभाव को कम कर सकते हैं। लालकिताब में साफ़ साफ़ लिखा है –

बिमारी का तो बगैर दवा इलाज है, मौत का कोई इलाज नहीं ।

ज्योतिष दुनियावी हिसाब किताब है , कोई दावा-ऐ -खुदाई नहीं है ।

यहां लाल किताब के कुछ उपाय हैं, जिन्हें कोई भी व्यक्ति अपनी भलाई के लिए कर सकता है –

अपने भोजन में से कुछ हिस्सा गाय, कुत्ते और कौवे को देना, विधवाओं की सेवा करना और उनका आशीर्वाद लेना, पक्षियों को दाना ड़ालना, सूर्य की अराधना करना, बिजली के मीटर में गड़बड़ न करना और बिल पूरा भरना ।

खुश रहो आबाद दुनिया माल ओ-जार बढते रहो ।

मदद मालिक अपनी देगा, नेकी खुद करते रहो ।

लाल किताब का ज्ञान एक रहस्यमयी ज्ञान है। लाल किताब में उपायों के अलावा आचार संहिता का भी उल्लेख मिलता है जिसे उसूल कह सकते हैं। दरअसल, लाल किताब के अनुसार यदि आपने अपने कर्म सही रखें तो आपको ज्योतिष के किसी उपाय या किसी भी तरह की पूजा-पाठ करने की जरूरत नहीं होगी। यह आचार संहिता कुंडली के भावों के अनुसार निर्मित होती है। अत: जानते हैं कि लाल किताब की आचार संहिता क्या कहती है?

1.झूठ न बोलें लाल किताब के अनुसार कुंडली का दूसरा खाना बोलने और तीसरा खाना बोलने की कला से संबंध रखता है। पहला आपके पास क्या है और दूसरा आप उससे क्या कर सकते हैं? इससे संबंध रखता है। यदि आप झूठ बोलते हैं तो दूसरे और तीसरे भाव अर्थात खाने में अपने आप ही गलत असर चला जाता है। कहते हैं। कि पहला मनसा, दूसरा वाचा और तीसरा कर्मणा। कुंडली में दूसरा भाव आपके ससुराल, धन और परिवार का है और तीसरा भाव आपके कर्म और पराक्रम का भी है। अत: यदि आप झूठ बोलते हैं तो आपका पराक्रम भी जाता रहेगा। कार्यालय और व्यवसाय दोनों ही नष्ट हो जाएंगे। वाणी बुध है और बुध को अपने कारणों से खराब करने का मतलब है कि व्यापार को खराब करना। बुध ही लोगों से संचार करने के काम आता है और इसके खराब होने का मतलब है कि जो भी लोग आकर सांसारिक या सामाजिक रूप से जुड़े थे, वे सब झूठ के कारण अलग हो गए। झूठ बोलने वाला कुतर्की भी होता है।

 

2. झूठी गवाही न दें
झूठी गवाही देने का अर्थ है कि आप भी उन लोगों के पाप के भागी हैं। जरूरी नहीं है कि आपको कोर्ट में ही गवाही देना पड़े। कई बार ऐसा होता है कि आप अपने किसी की मदद करने के लिए झूठी गवाही दे देते हैं, जैसे किसी ने फोन करने पर कहा कि मेरे घर से फोन आए तो कह देना कि मैं तेरे साथ था या रमेश अभी मिलेगा तो तू सुरेश के खिलाफ गवाही दे देना कि हां मैंने देखा था कि सुरेश ने ही तेरे खिलाफ षड्यंत्र रचा है। इस तरह की कई बातें जीवन में घटित हो सकती हैं। कई लोग संपत्ति और अन्य मामलों में झूठी गवाही देते हैं। कुंडली का 9वां भाव कानून से संबंध रखता है, जो कि धर्मस्थान होने के साथ-साथ भाग्य का स्थान भी है। झूठ बोलने वाले का झूठ आज नहीं तो कल प्रकट होना ही है। हालांकि झूठ प्रकट होने से उतना नुकसान शायद नहीं हो जितना की खाना नंबर 9 के खराब होने से होगा।

 

3. मुंह से अपशब्द नहीं निकालें

बहुत से लोग हैं, जो कि हर समय कटु वचन तो बोलते ही रहते हैं साथ ही वे मुंह से गाली भी देते रहते हैं। कहते हैं कि शरीर से कटु वचन और गाली तभी निकलती है जबकि व्यक्ति का मा‍नसिक और शारीरिक बल क्षीण होता है। उसमें सोचने-समझने की शक्ति नहीं होती है।

इस प्रकार का भाषण करने वाले लोग खुद को, अपने घर को और उनके संपर्क में आने वाले लोगों को भी बर्बाद कर देते हैं। ऐसे लोगों से दूर रहें, क्योंकि ये आपके जीवन में भी जहर घोल सकते हैं। आप ऐसे लोगों की बातें सुनकर खुद को नकारात्मकता की ओर धकेल सकते हैं। ऐसे दुष्ट के कारण आप अपना मुंह खराब न करें। कहते हैं कि जुबान पर सरस्वती बैठती है। बार-बार एक ही बात दुहराने से वह बात सच हो जाती है इसलिए लाल किताब का कहना है कि किसी प्रकार से मुंह से अपशब्द नहीं कहना चाहिए।

 

4. निर्दयी न बनें

निर्दयता या क्रूरता करने से हृदय मर जाता है। किसी जीव व निर्दोष प्राणी के लिए भी मन में दया नहीं रहती है। क्रूर व्यक्ति और हिंसक पशु में कोई फर्क नहीं होता है। क्रूर व्यक्ति का मन खराब और खतरनाक होता है। किसी के लग्न, पंचम या नवम में मंगल या शनि का असर होता है, तो वह मंगल की जगह क्रूर और शनि से कुछ भी नहीं समझने वाला माना जाता है। मंगल लग्न एवं 8वें भाव का मालिक और शनि 10वें एवं 11वें भाव का मालिक होता है। क्रूरता करने से शरीर, पिता और परिवार की शांति खत्म हो जाती है। कर्मभाव बेकार हो जाता है। हर प्रकार से जीवन का सुख खत्म हो जाता है। परिवार में प्रेम नहीं रहता है। रिश्ते औपचारिक ही रह जाते हैं। क्रूर व्यक्ति और भी क्रूर होता जाता है। वह शराब और मांस का भक्षण भी करने लगता है। उसके मन में जो आता है, वह करता है। क्रूरता करने वाले का एक दिन बुरा अंत होता है। उसके साथ उसके परिवार का भी अंत हो जाता है।

 

5. अनिश्‍वरवादी न बनें

लाल किताब के अनुसार ईश्‍वर पर विश्‍वास न रखने वाला अनीश्‍वरवादी और ईश्‍वरविरोधी होता है। ऐसा व्यक्ति भ्रमित और विरोधाभासी होता है, साथ ही वह किसी पर भी विश्‍वास नहीं रखने वाला भी होता है। ऐसे व्यक्ति को जीवन में कई प्रकार के दुखों का सामना करना होता है या जीवन के अंत में उसके समक्ष मात्र अंधकार होता है। लाल किताब के अनुसार ईश्वर सर्वोच्च और सभी को देखने एवं सुनने वाला है। प्रत्येक व्यक्ति को यह सोचना चाहिए‍ कि वह अपनी मर्जी से इस संसार में नहीं आया है और न ही अपनी मर्जी से जाएगा। उसे यहां किसी न किसी काम के लिए भेजा गया है। यह सब कुछ प्रकृति प्रदत्त नहीं है, क्योंकि प्रकृति को भी संचालित करने वाला वही एक है।

 

6. देवी-देवताओं में रखें श्रद्धा

देवी या देवता ईश्‍वर के प्रतिनिधि हैं। पराशक्तियां, अलौकिक शक्तियां या अच्छी आत्माएं आपके प्रत्येक कर्म को देख रही हैं। आप सच बोल रहे हैं या झूठ? आप अच्छा कार्य कर रहे हैं या बुरा कार्य? इन सबको देखने और सुनने वाले हैं देवी और देवता। जब आप मंदिर जाते हैं तो काली, दुर्गा, भैरव, शिव, महाकाल, राम, कृष्‍ण आदि के समक्ष खड़े होकर कुछ मांगते हो या उनकी प्रार्थना पूजा करते हो तब यह नहीं सोचते हो कि ये सभी देवी और देवता मेरे अच्छे और बुरे कर्म को जानते हैं? आपकी हर एक शारीरिक और मानसिक हरकत को देवी और देवता समझते हैं। उन्हें आपका यही जन्म नहीं बल्कि अगले और पिछले सभी जन्म दिखाई दे रहे हैं। अत: आप जब भी उनके समक्ष खड़े हों तो यह जरूर सोचें कि मेरे अलावा कोई और भी है, जो मेरे कर्मों को जानता है। अत: देवी और देवताओं में अपनी श्रद्धा को बढ़ाएं। खासकर कुलदेवी और कुलदेवता को जरूर पूजें। परिवार की मर्यादाओं के अनुसार अपने देवी-देवताओं की पूजा-पाठ में कभी भी आनाकानी न करें।

 

7.कभी भी ब्याज का धंधा ना करें

लाल किताब के अनुसार ब्याज का धंधा करने से शनि का प्रकोप प्रारंभ हो जाता है। यह जीवन के किसी भी मोड़ पर दंड देता है। कभी-कभी यह भयंकर परिणाम देने वाला होता है, तो कभी यह संचित कर्म का हिस्सा बन जाता है। हालांकि इसके पीछे एक तथ्य यह है कि ब्याज का धंधा करने वाले को बद् दुआ ज्यादा मिलती है। उसकी बुद्धि रुपयों को लेकर अलग ही तरह की निर्मित हो जाती है। वह अपने परिवार पर भी यदि किसी भी प्रकार का खर्च करना है तो अपने नुकसान के बारे में सोचता है।

 

8.शाकाहारी बने रहें

वैसे यदि कुंडली में मंगल की स्थिति ठीक नहीं है, तो मांस-मछली नहीं खाना चाहिए। कहते हैं कि खून खराब होने से मंगल खराब हो जाता है। मंगल के खराब होने से जीवन से पराक्रम, कार्य और शांति नष्ट हो जाती है। खून के खराब होने से और भी कई तरह की समस्याएं जन्मती हैं। बद मंगल अपराधी बनाता है और नेक मंगल सेनापति, राजनेता, पुलिस ऑफिसर या बेहतर खिलाड़ी। यह भी कहा जाता है कि जो व्यक्ति जिस तरह का मांस खाता है, उसकी उसी तरह का चरित्र और प्रवृत्ति का विकास होता है। जो बच्चे मां का दूध कम पीते हैं और जानवरों का ज्यादा, उनकी कार्यशैली में जानवरों जैसा ही व्यवहार देखा जा सकता है। दरअसल, मांस-मच्छी खाने से व्यक्ति के शरीर और मस्तिष्क की प्रकृति बदल जाती है।


9.शराब न पिएं

जिस तरह से मांस खाने से मंगल खराब होता है, उसी तरह शराब पीने से शनि और राहु। राहु हमारे दिमाग की ताकत है, दिमाग नहीं। जैसे बादल में बिजली होती है, जो दिखाई नहीं देती लेकिन जब किसी पर गिरती है, तो जान ले लेती है। चमकी है तो अंधा कर सकती है। क्या शराब दिमाग पर शासन नहीं करती?

बुध ग्रह हमारी बुद्धि का कारण है, लेकिन जो ज्ञान हमारी बुद्धि के बावजूद पैदा होता है उसका कारण राहु है। जैसे मान लो कि अकस्मात हमारे दिमाग में कोई विचार आया या आइडिया आया तो उसका कारण राहु है। राहु हमारी कल्पना शक्ति है, तो बुध उसे साकार करने के लिए बुद्धि कौशल पैदा करता है। राहु चलता है गुरु के कारण। राहु का खराब होना अर्थात व्यक्ति बेईमान या धोखेबाज होगा। ऐसे व्यक्ति की तरक्की की शर्त नहीं। राहु का खराब होना अर्थात दिमाग की खराबियां होंगी, व्यर्थ के दुश्मन पैदा होंगे, सिर में चोट लग सकती है। व्यक्ति मद्यपान या संभोग में ज्यादा रत रह सकता है। कहते हैं कि शराब जिंदा आदमी को शैतान बना देती है, लेकिन हम कहना चाहेंगे कि वह राहु बना देती है। राहु खराब तो गुरु भी नष्ट समझो।

 

10.पराई स्त्री के साथ संबंध ना बनाएं

यह कार्य सबसे बुरा है। इससे शुक्र खराब हो जाता है। इससे लक्ष्मी रुष्ट हो जाती है। अंतत: धन, सुख और वैभव नष्ट हो जाता है। यदि आपकी शादी हो गई है और फिर भी किसी अन्य स्त्री के साथ रमण करते हैं तो यह धोखा देने के साथ पाप भी है। यह नियम किसी ऐसी स्त्री पर भी लागू होता है, जो कि पराए मर्द के साथ संबंधों में है। लाल किताब के अनुसार यह सबसे बुरा कर्म होता है जिसके परिणाम व्यक्ति को आज नहीं, तो कल भुगतना ही होते हैं।

 

इसके अलावा लाल किताब में और भी कई नियम बताए गए हैं, जैसे सलीके से कपड़े पहनना जरूरी है। कान और नाक को छिदवाना, नाक को हमेशा साफ रखना, दांतों को साफ रखना, कीकर की दातुन करना, संयुक्त परिवार में रहना, ससुराल से बैर न रखना रखना, कन्या, बहन और बेटी को प्रसन्न रखना और उन्हें मीठी चीजें देना, माता, भाभी और मौसी की सेवा करना।

विधवा की सहायता करना, पत्नी की देखभाल करना, मेहतर को रुपए देना, नि:संतान से रुपए नहीं लेना, छत में छेद न करना, कुत्ते को न सताना, कुत्ते को रोटी देना, दक्षिणामुखी मकान में न रहना, घर में कच्ची जगह रखना, अपंगों और अंधों को भोजन खिलाना, चिड़ियों, मुर्गियों और पक्षियों को दाना डालना, बंदरों को गुड़ खिलाना, गाय को रोटी खिलाना, मंदिर में झाडू लगाना, हनुमान चालीसा पढ़ना आदि कई नियम हैं जिनका पालन करने से व्यक्ति पर किसी भी प्रकार का संकट नहीं आता है और उसे दैवीय सहायता मिलती है।

 

जन्मकुंडली के ग्रहों को मिला कर भविष्य कथन और ग्रहों के दोष निवारण के लिए उपाय बताये हैं। यह पुस्तक मूलतः उर्दू में लिखी गयी थी। कुछ लोग लाल किताब को टोनो और टोटको की किताब समझते हैं, तो कुछ लोग इस को तंत्र की किताब मानते हैं।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह कहा जाता है कि किसी जातक की कुंडली देखकर उसके मकान की स्थिति के बारे में पता लगाया जा सकता है।

लाल किताब : दोषों को शांत करने के अचूक टोटके ।

लाल किताब में परंपरागत और स्थानीय संस्कृति के अनुभवों पर आधारित उपाय बताए गए हैं। इसमें एक और जहां वास्तुशास्त्र की बात की गई है। तो दूसरी ओर सामुद्रिक विज्ञान को बताया गया है। आओ जानते हैं। कि ऐसे कौन से 30 उपाय हैं। जिन्हें करने से हर तरह के संकट दूर होकर घर में सुख, शांति, समृद्धि और धन की आवक बनी रहती हैं।

1. नाक और कान छिदवाएं : कुंडली की जांच करके किसी अच्छे मुहूर्त में बुधवार के दिन नाक छिदवाएं या गुरुवार के दिन गुरु का दान कर दें। नाक में चांदी का तार 43 दिन तक डालकर रखें और कान में सोने का तार।

2. सूरमा लगाएं : घर में काला और सफेद खड़ा सूरमा रखें और उसे आंखों में लगं भी। कुंडली अनुसार 5 ग्राम सूरमा डली गाड़ने की सलाह भी दी जाती है।

3. चांदी की डिब्बी : घर की तिजोरी या अलमारी में ढंक्कल लगी चांदी की डिब्बी जिसमें पानी भरा हो उसे रखें। जब भी पानी सूख जाए तो उसे तुरंत फिर से भर दें।

4. ठोस चांदी का हाथी : घर में कम से कम 150 ग्राम चांदी का ठोस हाथी घर में रखें।

5. पत्थर की घट्टी : घर में पत्थर की छोटी सी घट्टी रखें।

6. शहद : मिट्टी के बर्तन में शहद भारकर उसे ढंककर घर में कहीं उचित स्थान पर रखें।

7. चांदी का टूकड़ा : चांदी का एक चौकोर टुकड़ा अपने पास रखें या घर की तिजोरी में रखें।

8. गुड़ : देशी गुड़ घर में रखें और समय समय पर उसे थोड़ा थोड़ा खाते रहें।

9. कुत्ते : प्रतिदिन कुत्ते को रोटी खिलाते रहें।

10. कंबल : मंदिर में सफेद और काला दोरंगी कंबल दान करें या किसी गरीब को दे दें।

11. अन्न दान : वृक्ष, चींटी, पक्षी, गाय, कुत्ता, कौवा, कछुआ, मछली, वृद्ध, अनाथ, कन्या, अशक्त मानव आदि प्राणियों के अन्न-जल की व्यवस्था करें।

12. छाया दान करें : शनि के मंदे कार्य न करें, जैसे परस्त्रीगमन, शराब पीना, ब्याज का धंधा करना और किसी मनुष्य या प्राणी को सताना। प्रति शनिवार को छाया दान नहीं कर सकते हैं तो कम से कम 11 शनिवार को छाया दान करें।

13. नारिलय का उपाय : पानीदार नारियल लेकर अपने और अपने परिवार के सदस्यों के ऊपर से 21 बार वार कर उसे अग्नि में जला दें।

14. नारियल का दूसरा उपाय : 6 नारियल लेकर इसी तरह 21 बार वार कर बहते पानी में बहा दें।

15. सिरहाने रखें लौटा : तांबे के लोटे में जल भरकर उसे सिरहाने रखकर सोएं और सुबह उठते ही उसे बाहर ढोल दें या कीकर के वृक्ष में डाल दें। ऐसा कम से कम 43 दिन तक करें और यदि इससे ज्यादा दिनों तक करते ही रहेगे तो भी कोई दिक्कत नहीं।

16. पुजारी को दान : मंदिर के वृद्ध पुजारी या शिक्षक को पीला वस्त्र, धार्मिक पुस्तक या पीले खाद्य पदार्थ दान करें।

17. सिक्के का उपाय : किसी की शवयात्रा में श्मशान से लौटते वक्त कुछ सिक्के पीछे फेंकते हुए घर आ जाएं और स्नान कर लें। सिरहाने रात को एक तांबे का सिक्का रखें। सुबह उस सिक्के को किसी श्मशान में फेंक आएं।

18. सिक्के दान : किसी सफाईकर्मी को कुछ सिक्के का दान करें।

19. तांबे के सिक्के का उपाय : तांबे के गोल सिक्के में छेद करके उसे किसी लाल या सफेद धागे में पिरोकर गले में पहनें।

20. पानी में बहाना : बहते पानी में रेवड़ियां, बताशे, शहद या सिंदूर बहाएं।

21. कन्याओं को भोजन कराएं : नवरात्रि या बुधवार के दिन कन्याओं को हरे वस्त्र और हरी चुड़िया दान करें और उन्हें भोजन कराएं। या 21 शुक्रवार 9 वर्ष से कम आयु की 5 कन्यायों को खीर व मिश्री का प्रसाद बांटें।

22. सेंधा नमक : सोते समय अपना सिर पूर्व की ओर रखें और अपने सोने के कमरे में एक कटोरी में सेंधा नमक के कुछ टुकडे रख लें।

23. दही स्नान : शुक्रवार को पानी में 100 ग्राम दही मिलाकर स्नान करें और जब भी स्नान करें तो लकड़ी के पाट पर बैठकर ही करें।

24. तिलक : माथे पर चंदन या केसर का तिलक लगाएं। कम से कम 43 दिन तक ऐसा करें और लगाते ही रहें तो बेहत है।

25. कर्पूर : घर में सुबह और शाम को कर्पूल जलाएं और सुगंधित वातावरण बनाकर रखें।

26. वृक्ष को जल अर्पण : पीपल, बरगद, नीम और केले की जड़ में नित्य जल चढ़ाएं।

27. चांदी का गिलास : चांदी या तांबे के गिलास में ही पानी पीएं। शीत प्रकृती है तो तांबें के गिलास का उपयोग करें।

28. पीतल के बर्तन : घर के किचन में पीतल और तांबे के बर्तनों की अधिकता होना चाहिए।

29. रिश्तों का सम्मान : सभी रिश्ते और नातों का सम्मान करें।

30. हनुमान चालीसा : प्रतिदिन हनुमान मंदिर जाएं और हनुमान चालीसा पढ़ें। हनुमानजी को चोला चढ़ाएं। प्रतिदिन नहीं जा सकते हैं तो प्रति मंगल, गुरु और शनिवार को मंदिर जाएं। एकादशी, प्रदोष या गुरुवार का व्रत रखें।

31. अच्छा आचरण रखें : अपने या दूसरों के प्रति कटु वचन न बोलें। झूठ ना बोले और मुंह से गाली न निकालें। गृहकलह से बचें। मन में बुरे खयाल न लाएं। हमेशा सकारात्मक सोचें।

32. वास्तु : घर को वास्तु अनुसार ही बनाएं। वास्तु अनुसार नहीं बना है तो उसमें सुधार करवाएं। घर के वास्तुदोष को मिटाने के लिए कर्पूर का बहुत‍ महत्व है। यदि सीढ़ियां, टॉयलेट या द्वार किसी गलत दिशा में निर्मित हो गए हैं तो सभी जगह 1-1 कर्पूर की बट्टी रख दें। वहां रखा कर्पूर चमत्कारिक रूप से वास्तुदोष को दूर कर देगा।

हर माह राशियां परिवर्तित होती है और शनि, राहु, केतु एवं बृहस्पति को छोड़कर लगगभ सभी ग्रह प्रत्येक माह में एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में जाते हैं। इससे किसी को फर्क पड़ता है तो किसी को नहीं। आओ जानते हैं कि लाल किताब में क्या होगा इसका परमानेंटली समाधान।

लाल कितातब के उपाय

1. सूर्य- बहते पानी में गुड़, ताम्बा या ताम्बे का सिक्का बहाएं, सूर्य को अर्घ्य दें या भगवान विष्णु की उपासना करें।

2. चन्द्र- दूध या पानी भरा बर्तन सिरहाने रख कर सोएं और अगले दिन कीकर की जड़ में सारा जल डाल दें या भगवान शिव की उपासना करें।

3. मंगल- सफ़ेद सुरमा आंखों में लगाए, बहते पानी में रेवड़िया, बताशे, शहद व सिंदूर बहाएं या हनुमान चालीसा का पाठ करें।

4. बुध- कन्याओं को हरे वस्त्र और हरी चुड़िया दान करें, दांत साफ रखें या दुर्गा मंदिर में माता को अगरबत्ती लगाकर चुनरी चढ़ाएं।

5. गुरु- माथे पर चंदन या केसर का तिलक लगाएं, पीपल की जड़ में जल चढ़ाएं, चने की दाल दान करें या विष्णु एवं बृहस्पति की पूजा करें।

6. शुक्र- ज्वार, चरी, घी, कर्पुर, दही का दान करें, सुगंधित पदार्थो का प्रयोग करें या माता लक्ष्मी एवं कालीका माता की पूजा करें।

7. शनि- कीकर की दातुन करें, पेड़ों की जड़ों में तेल डालें या शनि मंदिर में छाया दान करें या भगवान भैरव की उपासना करें।

9. राहु- जौ को दूध से धोकर बहते पानी में बहाएं, मूली का दान करें या कोयला बहते पानी में बहाएं, जेब में चांदी की ठोस गोली रखें।

10. केतु- काले और सफेद तिल बहते पानी में बहाएं या काले कुत्ते को रोटी खिलाएं।

यदि आप या आपके घर का कोई सदस्य लंबे समय से बीमारी हो या बीमारी पीछा नहीं छोड़ रही रहो तो यहां लाल किताब के कुछ सामान्य उपाय बताए जा रहे हैं परंतु इन उपायों को लाल किताब के किसी जानकार से पूछकर ही करें।

1. प्रति सप्ताह गाय, कौए और कुत्तों को मीठी रोटियां खिलाएं। रोगी के उपर से एक रोटी वारकर कुत्ते को खिलाएं। प्रतिदिन कुत्ते को रोटी खिलाने से आकस्मिक संकट दूर रहते हैं।

2. ब्लड प्रेशर या अनावश्यक बैचेने से को कंट्रोल करने के लिए प्रतिदिन रात में सर्ते समय एक तांबे के लौटे में पानी भरकर रखें और सुबह उसे किसी बबूल के वृक्ष या पौधे में डाल दें या बाहर ढोल दें। ऐसा 43 दिनों तक करें।

 

3. पका हुआ कद्दू या सीताफल गुरुवार को मंदिर में दान करें।

4. कान की बीमारी के लिए काले-सफेद तिल सफेद और काले कपड़े में बांधकर जंगल या किसी सुनसान जगह पर गाड़कर आ जाएं।

5. शुगर, जोड़ों का दर्द, मूत्र रोग, रीढ़ की हड्डी में दर्द के लिए काले कुत्ते की सेवा करें।

6. काला और सफेद अर्थात दोरंगी कंबल को 21 बार खुद पर से वारकर उसे किसी मंदिर में या गरीब को दान कर दें। इससे संकट टल जाता है।

7. पानीदार एक नारियल लें और उसे अपने ऊपर से 21 बार वारें। वारने के बाद उसे किसी देवस्थान पर या घर के बाहर जाकर अग्नि में जला दें। 5 शनिवार ऐसा करने से जीवन में अचानक आए कष्ट से छुटकारा मिलेगा। यदि किसी सदस्य की सेहत खराब है तो ऊसके लिए यह ऊपाय उत्तम है।

8. शनिवार को एक कांसे की कटोरी में सरसों का तेल और सिक्का (रुपया-पैसा) डालकर उसमें अपनी परछाई देखें और तेल मांगने वाले को दे दें या किसी शनि मंदिर में शनिवार के दिन कटोरी सहित तेल रखकर आ जाएं।

9. शुक्रवार को लकड़ी के पाट पर बैठकर अच्‍छे से दही स्नान करने से चर्म रोग ठीक होते हैं।

10. प्रतिदिन सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कर्पूर जरूर जलाएं।

11. प्रतिदिन संध्यावंदन के साथ हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए। हनुमान चालीसा पढ़ने से जहां पितृदोष, मंगलदोष, राहु-केतू दोष आदि दूर होते हैं वहीं भूत-प्रेतादि का बुरा असर या साया भी हट जाता है। हनुमान बहुक पढ़ने से भी शरीर का दर्द मिट जाता है।

12. जब भी श्मशान या कब्रिस्तान से गुजरना हो तो तांबे के सिक्के उक्त स्थान पर डालने से दैवीय सहायता प्राप्त होगी।

13. यदि आंखों में पीड़ा हो तो शनिवार को चार सूखे नारियल नदी में प्रवाहित करें।

लाल किताब के अनुसार हमारे जीवन में पेड़े, पौधे या वृक्षों का बहुत अधिक महत्व होता है। यदि यह घर की उचित दिशा में नहीं लगे हैं तो यह आप पर सकारात्मक प्रभाव भी डालते हैं और नकारात्मक भी। दूसरा यह कि आपकी कुंडली के अनुसार यदि उचित पौधे नहीं लगे हैं तो भी यह आपने लिए नुकसान दायक हो सकते हैं। आजो जानते हैं लाल किताब में पेड़ों का महत्व।

सूर्य : सूर्य का वृक्ष तेजफल का वृक्ष होता है। कुंडली में सूर्य जिस भाव में बैठा है, उस भाव की ओर घर से बाहर या अंदर तेज फल का वृक्ष लगाना शुभ फलदायी होता है। शुक्र, राहु और शनि के वृक्ष इसके आसपास नहीं होना चाहिए। इसके अलावा पर्वतों पर उगने वाले पौधे, मिर्च, काली मिर्च, शलज़म, सूर्यमुखी का फूल, सरसों, गेहूं और विल्वमूल की जड़ पर भी सूर्य का अधिकार होता है।

चंद्र : पोस्त का हरा पौधा, जिसमें दूध हो या सभी दूध वाले वृक्ष या पौधे चंद्र के हैं। चंद्र यदि कुंडली में जिस भाव में बैठा हो तो उस भाव की दिशा अनुसार ऐसा पौधे लगाने चाहिए, लेकिन दूध वाले पौधे लगाने के लिए किसी वास्तु शास्त्री से संपर्क जरूर करें। चंद्र के पौधे या वृक्ष के साथ शनि, राहु और केतु के वृक्ष नहीं लगाना चाहिए। इसके अलावा खोपरा, ठंडे पदार्थ, रसीले फल, चावल, खिरनी की जड़ और सब्जियों पर भी चंद्र का अधिकार रहता है।

मंगल : नीम का पेड़ साक्षात मंगल है। मंगल की दिशा दक्षिण है अत: नीम का वृक्ष कुंडली में मंगल की स्थित जानकर लगाना चाहिए और रोज उसमें जल चढ़ाते रहना चाहिए। नीम का पेड़ रोग और शोक दूर कर देता है। बुध, शुक्र, शनि, राहु और केतु के वृक्ष इस वृक्ष के आसपास नहीं होना चाहिए। वर्ना मंगल खराब हो जाएगा। इसके अलावा नुकीले वृक्ष, बरगद, अदरक, अनाज, जिन्सें, तुअर दाल, मूंगफली और अनंतमूल की जड़ पर मंगल का अधिकार रहता है।

बुध : केला, चौड़े पत्ते के पौधे या वृक्ष बुध के कारक है। यदि यह वृक्ष आपके घर के आसपास है तो किसी वास्तु शास्त्री या लाल किताब के विशेषज्ञ से संपर्क करें क्योंकि इसकी दिशा सही होना चाहिए। बुध को भी पूर्वदिशा का स्वामी माना जाता है। कुंडली में किस भाव में बुध बैठा है यह उस मान से तय होगा कि ये वृक्ष कहां लगाएं। बुध के वृक्ष या पौधों के साथ चंद्र के पौधे नहीं होना चाहिए। इसके अलावा आंधीझाड़ा की झाड़ी, विधारा की जड़, नर्म फसल, मूंग दाल, हरे मुंग की दाल और बैंगन पर भी बुध का अधिकार होता है।

गुरु : गुरु अर्थात बृहस्पति साक्षात रूप में पीपल का वृक्ष है। कुंडली में बृहस्पति शुभ हो और जिस भाव में बैठा है, मकान के उस हिस्से में या उस दिशा की ओर पीपल का वृक्ष लगाना शुभ माना जाता है। पीपल के पास शुक्र, बुध, शनि, केतु और राहु के वृक्ष नहीं होना चाहिए। इसके अलावा केले के वृक्ष, भारंगी/केले की जड़, खड़ी फसल, बंगाली चना और गांठों वाले पादप से जुड़े पौधे पर भी गुरु का अधिकार होता है।

शुक्र : कपास का पौधा और मनी प्लांट शुक्र का कारक है। कोई भी जमीन पर आगे बढ़ने वाली लेटी हुई बेल शुक्र की कारक है। यदि शुक्र खराब है तो घर में मनी प्लांट लगाएं। शुक्र अच्छा है तो भी लगाएं। शुक्र कच्ची भूमि का कारण है और आजकल घर में कच्ची भू‍मी नहीं होती है। ऐसे में मनी प्लांट लगाना जरूरी हो जाता है। शुक्र के पौधों के पास कभी भी सूर्य, चंद्र, मंगल, गुरु और राहु के पौधे या वृक्ष न लगाएं। इसके अलावा फलदार वृक्ष, फूलदार पौधे, गुलर, मटर, बींस, पहाड़ी पादप, मेवे पैदा करने वाले पादप और लताओं पर भी शुक्र का अधिकार होता है।

शनि : शमी, कीकर, आम और खजूर का वृक्ष शनि का कारक है। इनमें से शमी के वृक्ष को छोड़कर कोई सा भी वृक्ष नहीं लगाना चाहिए। वायव दिशा शनि की होती है। शमी के वृक्ष को भी कुंडली की स्थिति जानकर ही उचित दिशा में लगाना चाहिए। इसके अलावा पादपों में जहरीले और कांटेदार पौधे, खारी सब्जियां, बिच्छोल की जड़ और तम्बाकू पर भी शनि का अधिकार होता है।

राहु : नारियल का पेड़, चंदन का पेड़, कुत्ता घास, कैक्टस और कांटे वाले सभी वृक्ष या पौधे राहु के कारक हैं। चंदन एवं नारियल के पेड़ को छोड़कर इन्हें घर में या आसपास कभी भी लगाना चाहिए। नारियल का पेड़ लगा है तो सूर्य, मंगल और चंद्र के पौधे या वृक्ष उसके आसपास नहीं होना चाहिए। नारियल यदि वास्तु अनुसार घर की उचित दिशा में लगा है तो ही शुभ फल देगा। इसके अलावा लहसुन, काले चने, काबुली चने और मसले पैदा करने वाले पौधों पर राहु और केतु का अधिकार होता है।

केतु : इमली का दरख्त, तिल के पौधे और केला केतु के कारक है। यदि केतु खराब हो तो इन पौधों को घर के आसपास लगाना घर के मालिक के बेटे के लिए अशुभ फल का कारक हो जाता है, क्योंकि कुंडली में केतु हमारे बेटे का कारक भी है। अत: इन वृक्षों को घर के आसपास न लगाएं। केतु की दिशा वायव्य है। केले का वृक्ष लगा है तो उसके पास मंगल और चंद्र के वृक्ष नहीं लगे होना चाहिए। इसके अलावा अश्वगंधा, लहसुन, काले चने, काबुली चने और मसले पैदा करने वाले पौधों पर राहु और केतु का अधिकार होता है।

वृक्ष के अन्य नियम : घर के पूर्व में बरगद, पश्चिम में पीपल, उत्तर में पाकड़ और दक्षिण में गूलर का वृक्ष शुभ होता है किंतु ये घर की सीमा में नहीं होना चाहिए। घर के उत्तर एवं पूर्व क्षेत्र में कम ऊंचाई के पौधे लगाने चाहिए। पौधारोपण उत्तरा, स्वाति, हस्त, रोहिणी एवं मूल नक्षत्रों में करना चाहिए। ऐसा करने पर रोपण निष्फल नहीं होता।

घर के दक्षिण एवं पश्चिम क्षेत्र में ऊंचे वृक्ष (नारियल अशोकादि) लगाने चाहिए। इससे शुभता बढ़ती है। जिस घर की सीमा में निगुंडी का पौधा होता है वहां गृह कलह नहीं होती। जिस घर में एक बिल्व का वृक्ष लगा होता है उस घर में लक्ष्मी का वास बतलाया गया है। जिस व्यक्ति को उत्तम संतान एवं सुख देने वाले पुत्र की कामना हो, उसे पलाश का पेड़ लगाना चाहिए। तुलसी का पौधा घर की सीमा में शुभ होता है।

घर के द्वार और चौखट में भूलकर भी आम और बबूल की लकड़ी का उपयोग न करें। कोई भी पौधा घर के मुख्य द्वार के सामने न रोपें। इससे जहां द्वार भेद होता है वहीं बच्चों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल असर पड़ता।

बांस का पौधा रोपना अशुभ होता है। जामुन और अमरूद को छोड़कर फलदार वृक्ष भवन की सीमा में नहीं होने चाहिए। इससे बच्चों का स्वास्थ्य खराब होता है। आवासीय परिसर में दूध वाले वृक्ष लगाने से धनहानि होती है। महुआ, पीपल, बरगद घर के बाहर होना चाहिए। केवड़ा और चंपा को लगा सकते हैं। बैर, पाकड़, बबूल, गूलर आदि कांटेदार पेड़ घर में दुश्मनी पैदा करते हैं। इनमें जति और गुलाब अपवाद हैं। घर में कैक्टस के पौधे नहीं लगाएं।

सप्ताह में वार के अनुसार हर दिन के शुभ उपाय, मनचाहा धन चाहिए तो रोज जरूर आजमाएं  हर वार के सटीक उपाय ।

यदि आप सप्ताह में कुछ खास कार्य करने जा रहे हैं। तो निम्न उपायों के साथ अपने दिन की शुरूआत करें। इन उपायों के प्रभावों से आपके कार्य की सफलता के योग और मजबूत होंगे।

सोमवार- आज के दिन  सफलता प्राप्ति के लिए शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाएं। अगर यह संभव न हो तो कार्य के लिए घर से निकलने के पहले दूध या पानी पी लें। साथ ही ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: सोमाय नम: मंत्र बोल कर प्रस्थान करें। सफेद रूमाल साथ रखें। सफेद फूल शिव जी को चढ़ाएं।

मंगलवार- आज हनुमान मंदिर जाएं। साथ ही हनुमानजी को बना हुआ पान और लाल फूल चढ़ाएं। घर से निकलने से पहले शहद का सेवन करें और ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम: मंत्र बोल कर प्रस्थान करें। लाल वस्त्र पहनें या लाल कपड़ा साथ रखें। लाल फूल हनुमानजी के मंदिर में रखें।

बुधवार- गणेशजी को दूर्वा अर्पित करें। गणपतिजी को गुड़-धनिया का भोग लगाएं। घर से सौंफ खा कर निकलें। ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: मंत्र का जप करें। हरे रंग के वस्त्र पहनें या हरा रूमाल साथ रखें। तुलसी के नीचे गिरे पत्तों को उठाकर धोकर उनका सेवन करें।

गुरुवार- भगवान विष्णु के मंदिर जाएं। श्रीहरि को पीले फूल अर्पित करें। साथ ही ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरुवे नम:मंत्र का जप करें। पीले रंग की कोई मिठाई खाकर घर से निकलें। पीले वस्त्र पहनें या पीला रूमाल साथ रखें। पीले फूल किसी भी मंदिर-दरगाह में चढ़ाएं।

शुक्रवार- सफलता के लिए लक्ष्मीजी को लाल फूल अर्पित करें। ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम: मंत्र का जप करें। घर से निकलने से पहले दही का सेवन करें। सफेद रंग की ड्रेस पहनें या सफेद रूमाल साथ रखें। सफेद फूल देवी मंदिर में चढ़ाएं।

शनिवार- हनुमान मंदिर जाएं। हनुमानजी को बना हुआ पान और लाल फूल चढ़ाएं। ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम: मंत्र जप कर घर से निकलें। तिल का सेवन करें। नीले वस्त्र पहनें या नीला रूमाल साथ रखकर प्रस्थान करें। नीले या जामुनी फूल शनि मंदिर में चढ़ाएं।

रविवार- आज सूर्य देव को जल चढ़ाएं फिर लाल फूल चढ़ाएं। आज ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौ स: सूर्याय नम: मंत्र जप करें। गुड़ का सेवन करें। लाल रंग की ड्रेस पहनें या लाल रूमाल रखें। लाल या गुलाबी फूल सूर्यदेव को अर्पित करें।

जय श्री राम ॐ रां रामाय नम:  श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411