वास्तु घर निर्माण करने की वह कला है । जो ईशान कोण से प्रारंभ होती है ।
वास्तु क्या है। ?
वास्तु संक्षेपतो वक्ष्ये गृहदो विघनाशनम् ।
ईशानकोणादारम्भ्य हयोकार्शीतपदे प्यजेत् ।।
इसका अर्थ है। कि वास्तु घर निर्माण करने की वह कला है। जो ईशान कोण से प्रारंभ होती है। और जिसके पालन से घर के विघ्न दूर होते हैं। प्राकृतिक उत्पात व उपद्रवों से रक्षा होती है। यानि घर के वातावरण से नेगेटिविटी दूर होती है।
एक अन्य शास्त्र में वास्तु के बारे में कहा गया है।
गृहरचना वच्छिन्न भूमे ।
यानि घर निर्माण के योग्य भूमि को वास्तु कहते हैं।
कुल मिलाकर वास्तु वह विज्ञान है। जो भूखंड पर भवन निर्माण से लेकर उसमें इस्तेमाल होने वाली चीजों के बारे में मार्गदर्शन करता है।
वास्तु प्राचीन भारत का एक शास्त्र है। जिसमें वास्तु (घर) निर्माण के संबंध में विस्तृत जानकारी दी गई है। वास्तु शास्त्र के सिद्धांत प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए हैं। प्रकृति में विविध बल उपस्थित हैं जिनमें जल, पृथ्वी, वायु, अग्नि और आकाश शामिल हैं। इनके बीच परस्पर क्रिया होती है। जिसका व्यापक प्रभाव इस पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी पर पड़ता है। वास्तु ज्योतिष के अनुसार इस प्रक्रिया का प्रभाव हमारे कार्य प्रदर्शन, स्वभाव, भाग्य एवं जीवन के अन्य पहलुओं पर व्यापक रुप से पड़ता है। वास्तु शास्त्र कला, विज्ञान, खगोल विज्ञान और ज्योतिष का मिश्रण है। इसलिए कहा गया है। -
नमस्ते वास्तु पुरूषाय भूशय्या भिरत प्रभो मद्गृहं धन धान्यादि समृद्धं कुरू सर्वदा ।
जीवन में वास्तु का महत्व -
माना जाता है। कि वास्तु शास्त्र हमारे जीवन को सुगम बनाने एवं कुछ अनिष्टकारी शक्तियों से रक्षा करने में हमारी मदद करता है। एक तरह से वास्तु शास्त्र हमें नकारात्मक ऊर्जा से दूर सुरक्षित वातावरण में रखता है। उत्तर भारत में मान्यता अनुसार वास्तु शास्त्र वैदिक निर्माण विज्ञान है। जिसकी नींव विश्वकर्मा जी ने रखी है। जिसमें वास्तुकला के सिद्धांत और दर्शन सम्मिलित हैं, जो किसी भवन निर्माण में अत्यधिक महत्व रखते हैं।
भूखंड की शुभ-अशुभ दशा का अनुमान वास्तुविद आसपास उपस्थित वस्तुओं को देखकर लगाते हैं। भूखंड की किस दिशा की ओर क्या स्थित है। और उसका भूखंड पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस बात की जानकारी वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों के विश्लेषण से प्राप्त होती है। यदि वास्तु सिद्धांतों व नियमों के अनुरूप भवन निर्माण करवाया जाए तो भवन में रहने वाले लोगों का जीवन सुखमय होने की संभावना प्रबल हो जाती है। प्रत्येक मनुष्य की इच्छा होती है कि उसका घर सुंदर, सुखदायी व सकारात्मक ऊर्जा का वास हो, जहां रहने वालों का जीवन सुखद एवं शांतिमय हो। इसलिए आवश्यक है कि भवन वास्तु सिद्धांतों के अनुरूप निर्मित हो और उसमें कोई वास्तु दोष न हो। यदि घर की दिशाओं में या भूमि में दोष है तो उस पर कितनी भी लागत लगाकर मकान क्यों न खड़ा किया जाए, फिर भी उसमें रहने वाले लोगों का जीवन सुखमय नहीं होगा। मुगल कालीन भवनों, मिस्र के पिरामिड आदि के निर्माण-कार्य में भी वास्तु शास्त्र के सिद्धांतों व नियमों का सहारा लिया गया था।
वास्तु शास्त्र एवं ज्योतिष शास्त्र का संबंध -
वास्तु एवं ज्योतिष शास्त्र दोनों एक-दूसरे के पूरक व अभिन्न अंग हैं। जैसे मानवीय शरीर का अपने अंगों के साथ अटूट संबंध होता है। ठीक वैसे ही ज्योतिष शास्त्र का अपनी सभी शाखायें प्रश्न शास्त्र, अंक शास्त्र, वास्तु शास्त्र आदि के साथ अटूट संबंध है। ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र के बीच निकटता का कारण यह है। कि दोनों शास्त्रों का उद्देश्य मानव को प्रगति एवं उन्नति की राह पर अग्रसर एंव सुरक्षा प्रदान कराना है। वास्तु सिद्धांत के अनुरूप निर्मित भवन में वास्तुसम्मत दिशाओं में सही स्थानों पर रखी गई वस्तुओं के परिणामस्वरूप भवन में रहने वाले लोगों का जीवन शांतिपूर्ण और सुखमय होता है। इसलिए भवन निर्माण से पहले किसी वास्तुविद से परामर्श लेकर वास्तु सिद्धांतों के अनुरूप ही भवन का निर्माण करवाना चाहिए।
वास्तुशास्त्र किसी निर्माण से सम्बंधित चीज़ों के शुभ अशुभ फलों को बताता है। यह किसी निर्माण के कारण होने वाली समस्याओं के कारण और निवारण को भी बताता है। यह भूमि, दिशाओं और ऊर्जा के सिद्धांत पर कार्य करता है. इसमें भी पांच तत्वों को संतुलित करने का सिद्धांत कार्य करता है।
वास्तु शास्त्र इसके रचयिता विश्वकर्माजी की मानव को अभूतपूर्व देन है। ज्योतिष विज्ञान के अंतर्गत वास्तु का एक महत्वपूर्ण स्थान है।
वास्तु शास्त्र घर, प्रासाद, भवन अथवा मन्दिर निर्माण करने का प्राचीन भारतीय विज्ञान है जिसे आधुनिक समय के विज्ञान आर्किटेक्चर का प्राचीन स्वरुप माना जा सकता है। जीवन में जिन वस्तुओं का हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होता है। उन वस्तुओं को किस प्रकार से रखा जाए वह भी वास्तु है। वस्तु शब्द से वास्तु का निर्माण हुआ है।
वास्तुशास्त्र एवं दिशाएं -
उत्तर, दक्षिण, पूरब और पश्चिम ये चार मूल दिशाएं हैं। वास्तु विज्ञान में इन चार दिशाओं के अलावा 4 विदिशाएं हैं। आकाश और पाताल को भी इसमें दिशा स्वरूप शामिल किया गया है। इस प्रकार चार दिशा, चार विदिशा और आकाश पाताल को जोड़कर इस विज्ञान में दिशाओं की संख्या कुल दस माना गया है। मूल दिशाओं के मध्य की दिशा ईशान, आग्नेय, नैऋत्य और वायव्य को विदिशा कहा गया है।
वास्तुशास्त्र में पूर्व दिशा -
वास्तुशास्त्र में यह दिशा बहुत ही महत्वपूर्ण मानी गई है। क्योंकि यह सूर्य के उदय होने की दिशा है। इस दिशा के स्वामी देवता इन्द्र हैं। भवन बनाते समय इस दिशा को सबसे अधिक खुला रखना चाहिए। यह सुख और समृद्धि कारक होता है। इस दिशा में वास्तुदोष होने पर घर भवन में रहने वाले लोग बीमार रहते हैं। परेशानी और चिन्ता बनी रहती हैं। उन्नति के मार्ग में भी बाधा आति है।
वास्तुशास्त्र में आग्नेय दिशा -
पूर्व और दक्षिण के मध्य की दिशा को आग्नेय दिशा कहते हैं। अग्निदेव इस दिशा के स्वामी हैं। इस दिशा में वास्तुदोष होने पर घर का वातावरण अशांत और तनावपूर्ण रहता है। धन की हानि होती है। मानसिक परेशानी और चिन्ता बनी रहती है। यह दिशा शुभ होने पर भवन में रहने वाले उर्जावान और स्वास्थ रहते हैं। इस दिशा में रसोईघर का निर्माण वास्तु की दृष्टि से श्रेष्ठ होता है। अग्नि से सम्बन्धित सभी कार्य के लिए यह दिशा शुभ होता है।
वास्तुशास्त्र में दक्षिण दिशा -
इस दिशा के स्वामी यम देव हैं। यह दिशा वास्तुशास्त्र में सुख और समृद्धि का प्रतीक होता है। इस दिशा को खाली नहीं रखना चाहिए। दक्षिण दिशा में वास्तु दोष होने पर मान सम्मान में कमी एवं रोजी रोजगार में परेशानी का सामना करना होता है। गृहस्वामी के निवास के लिए यह दिशा सर्वाधिक उपयुक्त होता है।
वास्तुशास्त्र में नैऋत्य दिशा -
दक्षिण और पश्चिम के मध्य की दिशा को नैऋत्य दिशा कहते हैं। इस दिशा का वास्तुदोष दुर्घटना, रोग एवं मानसिक अशांति देता है। यह आचरण एवं व्यवहार को भी दूषित करता है। भवन निर्माण करते समय इस दिशा को भारी रखना चाहिए। इस दिशा का स्वामी राक्षस है। यह दिशा वास्तु दोष से मुक्त होने पर भवन में रहने वाला व्यक्ति सेहतमंद रहता है एवं उसके मान सम्मान में भी वृद्धि होती है।
वास्तुशास्त्र में ईशान दिशा -
ईशान दिशा के स्वामी शिव होते हैं, इस दिशा में कभी भी शोचालय नहीं बनाना चाहिये!नलकुप, कुंआ आदि इस दिशा में बनाने से जल प्रचुर मात्रा में प्राप्त होता है।
कई बार घर में बिना वजह के तनाव व लड़ाई-झगड़ा बना रहता है। आपसी रिश्तों में कड़वाहट और उदासीनता आ जाती। अगर आप अपने जीवन में खुशियां चाहते हैं तो ये उपाय अवश्य अपनाएं।
कैसा होना चाहिए प्रवेश द्वार, अपना घर बनवा रहे हैं तो जान लीजिए वास्तु की 12 जरूरी बातें
घर की खूबसूरती में उसके मुख्य प्रवेश द्वार का महत्वपूर्ण स्थान होता है, जिसका वास्तु के अनुरूप होना घर में खुशियों के प्रवेश का शुभ संकेत माना जाता है। घर का खूबसूरत प्रवेश द्वार आपको घर के भीतर झांकने का प्रथम निमंत्रण देता है। आगंतुकों को घर में प्रवेश हेतु आकर्षित करने वाले घर के मुख्य प्रवेश द्वार का वास्तुसम्मत होना आपके घर में खुशियों व सकारात्मक ऊर्जा के आगमन का संकेत है।
आइए जानिए कैसा हो हमारे घर का प्रवेश द्वार -
1* घर के मुख्य प्रवेश द्वार का दरवाजा घर के अन्य दरवाजों की अपेक्षा आकार में बड़ा होना चाहिए। इससे घर में भरपूर मात्रा में रोशनी का प्रवेश हो सके।
2* घर के मुख्य द्वार पर अपनी धार्मिक मान्यतानुसार कोई भी मांगलिक चिन्ह (स्वस्तिक, ॐ, कलश, क्रॉस आदि) लगाएं।
3* घर का मुख्य दरवाजा दो फाटक वाला तथा भीतर की ओर खुलने वाला होना चाहिए।
4* घर का मुख्य दरवाजा खोलने पर उसके पुर्जों में जंग या किसी अन्य वजह से चरमराहट जैसी कोई आवाज नहीं होना चाहिए।
5* घर के प्रवेश द्वार पर देहरी होना चाहिए।
6* आपके घर का मुख्य प्रवेश द्वार ऐसा होना चाहिए कि उसके ठीक सामने किसी अन्य घर का प्रवेश द्वार न हो।
7* घर के मुख्य प्रवेश द्वार के ठीक पास अंडरग्राउंड टैंक नहीं होना चाहिए।
8* वास्तु के अनुसार घर के भीतर व बाहरी प्रवेश द्वार पर गंदगी या कूड़ा-कर्कट नहीं होना चाहिए। इससे भवन में नकारात्मक ऊर्जा के रूप में बीमारियों का वास होता है।
9 * यदि हम घर के मुख्य दरवाजे के अन्य दरवाजों से आकार में बड़ा होने की बात करें तो इसका मतलब है कि घर में अधिक से अधिक रोशनी का प्रवेश होना है, जिसे घर में अंधेरेपन को दूर करने व स्वास्थ्य के हिसाब से बेहतर माना जाता है।
10* घर के सामने किसी ओर के घर का मुख्य दरवाजा होना वास्तु के हिसाब से सही नहीं माना गया है।
11 * घर का मुख्य दरवाजा खोलने पर उसका आवाज करना घातक होता है। यह जीवन में अचानक आनेवाली परेशानियों का संकेत भी है।
12* दरवाजे के ठीक पास अंडरग्राउंड ट्रैंक का होना वास्तु की दृष्टि से शुभ नहीं माना गया है। अत: इस प्रकार का भवन बनाने से बचना चाहिए।
वास्तु के अनुसार 13 ऐसी बातें जो हम सबको जरूर पता होना चाहिए। अगर आप भी अपने जीवन को सुख, शांति और सफलता से भरपूर बनाना चाहते हैं तो अवश्य अपनाएं।
* बैठते वक्त उत्तर या पूर्व दिशा में मुख करके बैठें।
* गिलास में पानी लेकर उसमें थोड़ी हल्दी डालकर आम या पान के पत्ते से इस पानी का घर में छिड़काव करें। टीवी के कांच एवं दर्पण (आईना) की परछाई बेडरूम में नहीं पड़नी चाहिए।
* घर में टूटा कांच नहीं रखें।
* एक बाल्टी पानी में 5 चम्मच नमक डालकर घर में पोंछा करें।
* डायनिंग टेबल गोल आकार की नहीं होना चाहिए।
* आधा किलो फिटकरी ड्राइंग रूम में रखें।
* प्रवेश द्वार कमान वाला नहीं होना चाहिए।
* प्रवेश द्वार के पर्दे में घुंघरू बांधना शुभ है।
* प्रवेश द्वार के ऊपर अंदर तथा बाहर गणेशजी की फोटो लगाएं।
* उत्तर दिशा में हनुमानजी का आशीर्वाद मुद्रा वाला फोटो लगाएं।
* घड़ी को गिफ्ट में नहीं लेना-देना चाहिए।
* मस्तक पर टीका या कुमकुम लगाना चाहिए।
* अमावस्या के दिन शाम को गोधूली बेला में चौखट के बाहर सफाई कर स्वस्तिक बनाकर पूजा करना चाहिए व नारियल फोड़कर बाहर फेंकना चाहिए।
घर लेते या बनाते वक्त भूमि का मिजाज भी देख लें। भूमि लाल है, पीली है, भूरी है, काली है या कि पथरीली है? ऊसर, चूहों के बिल वाली, बांबी वाली, फटी हुई, ऊबड़-खाबड़, गड्ढों वाली और टीलों वाली भूमि का त्याग कर देना चाहिए। जिस भूमि में गड्ढा खोदने पर राख, कोयला, भस्म, हड्डी, भूसा आदि निकले, उस भूमि पर मकान बनाकर रहने से रोग होते हैं। तथा आयु का ह्रास होता है।
पूर्व, उत्तर और ईशान दिशा में नीची भूमि सब दृष्टियों से लाभप्रद होती है। आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य और मध्य में नीची भूमि रोगों को उत्पन्न करने वाली होती है। दक्षिण तथा आग्नेय के मध्य नीची और उत्तर एवं वायव्य के मध्य ऊंची भूमि का नाम 'रोगकर वास्तु' है, जो रोग उत्पन्न करती है। अत: भूमि का चयन करते वक्त किसी वास्तुशास्त्री से भी पूछ लें।
भूमि का ढाल -
प्लाट या मकान के फर्श का ढाल पूर्व, उत्तर या ईशान दिशा की ओर होना चाहिए। इसमें भी उत्तर दिशा उत्तम है। दरअसल, सूरज हमारी ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है अत: हमारे वास्तु का निर्माण सूरज की परिक्रमा को ध्यान में रखकर होगा तो अत्यंत उपयुक्त रहेगा।
सूर्य के बाद चंद्र का असर इस धरती पर होता है तो सूर्य और चंद्र की परिक्रमा के अनुसार ही धरती का मौसम संचालित होता है। उत्तरी और दक्षिणी ध्रुव धरती के दो केंद्रबिंदु हैं। उत्तरी ध्रुव जहां बर्फ से पूरी तरह ढंका हुआ एक सागर है, जो आर्कटिक सागर कहलाता है वहीं दक्षिणी ध्रुव ठोस धरती वाला ऐसा क्षेत्र है, जो अंटार्कटिका महाद्वीप के नाम से जाना जाता है। ये ध्रुव वर्ष-प्रतिवर्ष घूमते रहते हैं।
दक्षिणी ध्रुव उत्तरी ध्रुव से कहीं ज्यादा ठंडा है। यहां मानवों की बस्ती नहीं है। इन ध्रुवों के कारण ही धरती का वातावरण संचालित होता है। उत्तर से दक्षिण की ओर ऊर्जा का खिंचाव होता है। शाम ढलते ही पक्षी उत्तर से दक्षिण की ओर जाते हुए दिखाई देते हैं। अत: पूर्व, उत्तर एवं ईशान की और जमीन का ढाल होना चाहिए।
नोट- इसका मतलब यह कि दक्षिण और पश्चिम दिशा उत्तर एवं पूर्व से ऊंची रहने पर वहां पर निवास करने वालो को धन, यश और निरोगिता की प्राप्ति होती है। इसके विपरित है तो धन, यश और सेहत को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि किसी वास्तुशास्त्री से इस संबंध में जरूर सलाह लें क्योंकि हमें नहीं मालूम है। कि आपके घर की दिशा कौन-सी है। दिशा के अनुसार ही ढाल का निर्णय लिया जाता है।यदि आपके मकान की भूमि का ढाल वास्तु अनुसार है। तो निश्चित ही वह आपको मालामाल बना देगा। लेकिन यदि वास्तु अनुसार नहीं है तो वह आपको कंगाल भी कर सकता है।
वास्तु के अनुसार घर बनवाते समय कुछ चीजों का ध्यान रखना जरूरी होता है जिससे घर-परिवार के लोगों के जीवन में खुशहाली बनी रहे। कहते हैं अगर घर या ऑफिस का वास्तु खराब हो तो व्यक्ति कभी तरक्की नहीं कर पाता और घर में हमेशा नकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है। इसलिए किसी भी भवन के निर्माण में वास्तु का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इतना ही नहीं घर में कौन सी चीज किस दिशा में रखें इस बात का भी पता होना चाहिए। जानिए वास्तु शास्त्र अनुसार हर चीज को रखने की सही दिशा।
उत्तर दिशा: यह दिशा धन के देवता कुबेर की मानी जाती है साथ ही इस दिशा के स्वामी बुध ग्रह हैं। वास्तु अनुसार इस दिशा में अधिक चीजें नहीं रखनी चाहिए। इस दिशा में तिजोरी रखना उत्तम माना जाता है। साथ ही उत्तर दिशा में सबसे ज्यादा खिड़की और दरवाजे होने चाहिए। मेनगेट भी इसी दिशा में होना उत्तम माना जाता है।
दक्षिण दिशा: इस दिशा में शौचालय नहीं होना चाहिए। साथ ही कोई भी भारी सामान भी इस दिशा में नहीं रखना चाहिए। इस दिशा में खिड़की और दरवाजे भी नहीं होने चाहिए। इससे घर में क्लेश बढ़ता है।
पूर्व दिशा: ये दिशा खुली होनी चाहिए। घर का मेनगेट इस दिशा में होना बहुत अच्छा होता है। इस दिशा में खिड़की होनी चाहिए जिससे घर में सूर्य की पर्याप्त रोशनी आ सके। इस दिशा के स्वामी सूर्य देव हैं।
पश्चिम दिशा: रसोईघर और टॉयलेट इस दिशा में होना चाहिए। इस दिशा के स्वामी शनि देव हैं। ध्यान रखें कि किचन और टॉयलेट आस-पास नहीं होने चाहिए।
ईशान कोण: ये उत्तर पूर्व दिशा होती है। इस दिशा में पूजा घर होना काफी शुभ माना जाता है। गुरु ग्रह इस दिशा के स्वामी हैं। इस दिशा में जल संबंधी चीजें जैसे कुआं, बोरिंग या फिर पीने के पानी का स्थान बना सकते हैं।
आग्नेय कोण: ये दक्षिण पूर्व दिशा होती है। इस दिशा में गैस, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि रख सकते हैं।
नैऋत्य कोण: ये दक्षिण-पश्चिम दिशा होती है। इस दिशा के स्वामी राहु और केतु हैं। इस दिशा में खिड़की, दरवाजे नहीं होने चाहिए। घर के मुखिया का कमरा नैऋत्य कोण में होना शुभ माना जाता है।
वायव्य कोण: यह घर की उत्तर पश्चिम दिशा होती है। इस दिशा में बेडरूम, गैरेज, गौशाला, गेस्ट रूम आदि बना सकते हैं। इस दिशा के स्वामी ग्रह चंद्र है। इस दिशा में खिड़की, उजालदान होना भी उत्तम माना जाता है।
घर में कहां है पानी की सही जगह, पढ़ें 8 सरल वास्तु टिप्स -
घर में पानी सही स्थान पर और सही दिशा में रखने से परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य अनुकूल रहता है। और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
1 -पानी का बर्तन रसोई के उत्तर-पूर्व या पूर्व में भरकर रखें।
2- पानी का स्थान ईशान कोण है अतः पानी का भण्डारण अथवा भूमिगत टैंक या बोरिंग पूर्व, उत्तर या पूर्वोत्तर दिशा में होनी चाहिए।
3- पानी को ऊपर की टंकी में भेजने वाला पंप भी इसी दिशा में होना चाहिए।
4- दक्षिण-पूर्व, उत्तर-पश्चिम अथवा दक्षिण-पश्चिम कोण में कुआं अथवा ट्यूबवेल नहीं होना चाहिए। इसके लिए उत्तर-पूर्व कोण का स्थान उपयुक्त होता है। इससे वास्तु का संतुलन बना रहता है।
5- ओवर हेड टैंक उत्तर और वायव्य कोण के बीच होना चाहिए। टैंक का ऊपरी भाग गोल होना चाहिए।
6- अन्य दिशा में कुआं या ट्यूबवेल हो, तो उसे भरवा दें और यदि भरवाना संभव न हो, तो उसका उपयोग न करें।
7- नहाने का कमरा पूर्व दिशा में शुभ होता है।
8- ध्यान रखें, घर के किसी नल से पानी नहीं रिसना चाहिए अन्यथा भुखमरी की स्थिति पैदा हो सकती है।
घर के सामने ना हों ये 10 चीजें वरना होगा भयंकर नुकसान -
वास्तुशास्त्र में वेध का उल्लेख मिलता है। जैसे गृहवेध, द्वारवेध आदि। हालांकि यह एक विस्तृत विषय है लेकिन हम बताएंगे कि द्वार या घर के सामने कौन सी 10 चीजें नहीं होना चाहिए।
1.मुख्य द्वार या घर के सामने कोई सीधा मार्ग नहीं होना चाहिए। इससे गृह स्वामी का नाश हो जाता है।
2.मुख्य द्वार या घर के सामने कोई गड्ढा या कीचड़ नहीं होना चाहिए। यह शोककारक है।
3.मुख्य द्वार या घर के सामने कोई नाला नहीं होना चाहिए। यह धन नाशक होता है।
4.मुख्य द्वार या घर के सामने यदि कोई कुआं है तो मिरगी का रोग होगा।
5.मुख्य द्वार या घर के सामने स्तंभ है तो स्त्री को रोग लगा ही रहेगा।
6.मुख्य द्वार या घर के सामने यदि मंदिर है तो परेशानी और संकटों से घिरे रहेंगे।
7.मुख्य द्वार या घर के सामने सीढ़ी नहीं बनवाना चाहिए या नहीं होना चाहिए।
8.द्वार के उपर द्वार होना भी नुकसान दायक है। इससे धन का नाश होता है।
9.घर के उपर पड़ रही छाया से छायावेध होता है। हालांकि यह देखना होता है कि घर के उपर किसकी छाया पड़ रही है और किस दिशा से और किस प्रहर में छाया होती है। उसी से लाभ या नुकसान का पता चलता है।
10.मुख्य द्वार या घर केएकदम सामने कोई वृक्ष नहीं होना चाहिए यह सभी कार्यों में बाधा उत्पन्न करता है। इससे बाल दोष भी होता है। कौन सा वृक्ष घर की किस दिशा में होना चाहिए यह उल्लेख मिलता है।
मोर बेहद खूबसूरत पंछी है। ज्योतिष, वास्तु, धर्म, पुराण और संस्कृति में मोर का अत्यधिक महत्व माना गया है। मोर पंख घर में रखने से अमंगल टल जाता है।
आइए जानें 25 अनूठी बातें मोर पंख के बारे में। -
1. मोर, मयूर, पिकॉक कितने खूबसूरत नाम है इस सुंदर से पक्षी के। जितना खूबसूरत यह दिखता है उतने ही खूबसूरत फायदे इसके पंखों के भी हैं। हमारे देवी -दवताओं को भी यह अत्यंत प्रिय हैं। मां सरस्वती, श्रीकृष्ण, मां लक्ष्मी, इन्द्र देव, कार्तिकेय, श्री गणेश सभी को मोर पंख किसी न किसी रूप में प्रिय हैं। पौराणिक काल में महर्षियों द्वारा इसी मोरपंख की कलम बनाकर बड़े-बड़े ग्रंथ लिखे गए हैं।
2. मोर के विषय में माना जाता है कि यह पक्षी किसी भी स्थान को बुरी शक्तियों और प्रतिकूल चीजों के प्रभाव से बचाकर रखता है। यही वजह है कि अधिकांश लोग अपने घरों में मोर के खूबसूरत पंखों को लगाते हैं।
3. मोर पंख की जितनी महत्ता भारत के लोगों के लिए है शायद ही किसी अन्य देश के लोगों के लिए हो। हमारे यहां माना जाता है कि मोर नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में सबसे प्रभावशाली है।
4. हालांकि 20वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में पश्चिमी देशों के लोग मोरपंख को दुर्भाग्य का सूचक मानते थे। लेकिन मोर पंख की शुभता का अनुभव होने के बाद उसे शुभ चिन्ह के रूप में स्वीकार कर लिया गया।
5. ग्रीक पौराणिक कथाओं के अनुसार मोर को ‘हेरा’ के साथ संबंधित किया जाता है। मान्यता के अनुसार आर्गस, जिसकी सौ आंखें थीं, उसके द्वारा हेरा ने मोर की रचना की।
6. यही वजह है कि ग्रीक लोग मोर के पंखों को स्वर्ग और सितारों की निगाहों के साथ जोड़ते हैं।
7. हिंदू धर्म में मोर को धन की देवी लक्ष्मी और विद्या की देवी सरस्वती के साथ जोड़कर देखा जाता है।
8. लक्ष्मी सौभाग्य, खुशहाली और धन धान्य व संपन्नता के लिए पूजी जाती हैं। मोर के पंखों का प्रयोग लक्ष्मी की इन्हीं विशेषताओं को हासिल करने के लिए किया जाता है। मोर पंख को बांसुरी के साथ घर में रखने से रिश्तों में प्रेम रस घुल जाता है।
9. एशिया के बहुत से देशों में मोर के पंखों को अध्यात्म के साथ संबंधित किया जाता है। क्वान-यिन जो कि अध्यात्म का प्रतीक है का मोर से खास रिश्ता माना गया है। क्वान यिन : क्वान-यिन प्रेम, प्रतिष्ठा, धीरज और स्नेह का सूचक है। इसलिए संबंधित देशों के लोगों के अनुसार मोर पंख से नजदीकी अर्थात क्वान-यिन से समीपता मानी गई है।
10. अगर आपके वैवाहिक जीवन में तनाव है तो अपने शयनकक्ष में मोरपंख रखें, इससे पति पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है।
11. यदि शत्रुता समाप्त करनी हो या कि शत्रु तंग कर रहे हो, तो मोरपंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिंदूर से उस शत्रु का नाम मंगलवार या शनिवार रात्रि में लिखकर उसे घर के पूजा स्थल में रखें व सुबह उठकर उसे चलते पानी मे प्रवाहित कर आएं।
12. वास्तुशास्त्र के अनुसार मोरपंख को घर की दक्षिण दिशा में स्थित तिजोरी में खड़ा करके रखने से कभी भी धन की कमी नहीं होती है।
13. राहु का दोष होने पर मोरपंख घर की पूर्वी और उत्तर पश्चिम की दीवार पर लगाएं।
14. अगर आपके घर में मोरपंख है तो आपके घर में कोई भी बुरी शक्ति प्रवेश नहीं कर पाती है। यह घर से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करके सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ावा देता है।
15. वास्तुशास्त्र के अनुसार मोरपंख को घर में रखने से आपके घर के सारे दोष दूर हो जाते है।
16. यदि मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार मे या अपनी जेब व डायरी मे रखा हो तो राहू कभी भी परेशान नहीं करता है। मोरपंख की पूजा करे या हो सके तो उसे हमेशा अपने पास रखे। मोरपंख को घर में रखने से परिवार के सदस्यों की सेहत भी अच्छी रहती है।
17. ग्रहों के अशुभ प्रभाव होने पर मोरपंख पर 21 बार ग्रह का मंत्र बोलकर पानी का छींटें दें, और इसे श्रेष्ठ स्थान पर स्थापित करें जहां से यह दिखाई दे।
18. आर्थिक लाभ के लिए किसी मंदिर में जाकर मोरपंख को राधा कृष्ण के मुकुट में लगाएं और 40 दिन बाद इसे लॉकर या तिजोरी में रख दें।
19. बुरी नजर से बच्चों को बचाने के लिए नवजात बालक को मोरपंख चांदी के ताबीज में पहनाएं।
20. घर के मुख्य द्वार पर 3 मोरपंख लगाकर ॐ द्वारपालाय नम: जाग्रय स्थापयै स्वाहा मंत्र लिखें और नीचे गणेश जी की मूर्ति लगाएं।
21. आग्नेय कोण में मांरपंख लगाने से घर के वास्तु दोष को ठीक किया जा सकता है। इसके अलावा ईशान कोण में कृष्ण भगवान की फोटो के साथ मोरपंख लगाएं।
22. बौद्ध धर्म के अनुसार मोर अपनी अपने सारे पंखों को खोल देता है, इसलिए उसके पंख विचारों और मान्यताओं में खुलेपन का ही प्रतीक माने जाते हैं।
23. ईसाई धर्म में मोर के पंख, अमरता, पुनर्जीवन और अध्यात्मिक शिक्षा से संबंध रखते हैं।
24. इस्लाम धर्म में मोर के खूबसूरत पंख जन्नत के दरवाजे के बाहर अद्भुत शाही बगीचे का प्रतीक माने जाते हैं।
25. यह भी विशेष गौर करने लायक तथ्य है कि घरों में मोरपंख रखने से कीड़े-मकोड़े घर में दाखिल नहीं होते।
इस पूरे ब्रम्हांड में मौजूद हर वस्तु में सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा विद्यमान है। जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अपना प्रभाव डालती है। ये प्रभाव इस सृष्टि से लेकर आप और आपके जीवन पर भी पड़ता है। खास तौर से वह वातावरण, लोग या वस्तुएं जो आपके आसपास हैं। और आपसे जुड़ी हुई हैं। आप पर सीधा प्रभाव डालती हैं। अगर यह ऊर्जा एवं प्रभाव नकारात्मक है, तो यह आपको, आपके जीवन और समस्त गतिविधियों के लिए नुकसानदाक है।
हमारा घर हमारे लिए एक छोटे ब्रम्हांड की तरह काम करता है, अगर यहां किसी भी कारण से नकारात्मक ऊर्जा का संचार हो रहा है, तो यह आपकी कई समस्याओं जैसे नौकरी, विवाह, व्यापार, सेहत एवं धन आदि का कारण बन सकता है। जानिए ऐसी ही 5 चीजें, जो गलती से भी घर में हैं तो आप हो सकते हैं। कंगाल।
1 अगर आपके घर में कोई शीशा टूटा हुआ है, उसमें दरार आ गई है या फिर खिड़की का कांच टूट गया है, तो इसे तुरंत बदल दीजिए। यह आपको और आपके आसपास के वातावरण को नुकसान पहुंचा रहा है।
2 घर के मंदिर या किसी भी स्थान पर भगवान की कोई ऐसी प्रतिमा है, जो खंडित है या जिसका कोई अंग भंग हो चुका है, तो इसे विसर्जित कर दें। इसी प्रकार अगर भगवान का कोई फोटो फटा हुआ है, तो इसे भी ठंडा कर आएं। अन्यथा धन संबंधित परेशानियां बढ़ जाएंगी।
3 घर के मंदिर या देवी देवता के स्थान पर अगर आपने एक ही देवी-देवता की तसवीर या प्रतिमा आमने-सामने रखी हुई है, तो इसे बदल दें। ऐसा नहीं करने पर आपकी आय के साधन कम और खर्चे अधिक हो जाते हैं।
4 घर में ऐसे पौधे बिल्कुल न लगाएं जो कांटेदार हो या फिर जिनमें से दूध निकलता हो। इस प्रकार के पौधे धन संबंधी परेशानियों के साथ-साथ अन्य समस्याओं का भी कारण बनते हैं।
5 अगर आपके घर में कोई घड़ी, वाहन या इलेक्ट्रॉनिक वस्तु लंबे समय से खराब पड़ी हुई है, तो इसे तुरंत बदल दीजिए। यह आपको नकारात्मक ऊर्जा दे रही है।
हर मकान या दुकान में पूजाघर जरूर होता है। घरों में तो पूजन कक्ष का होना और भी जरूरी है, क्योंकि यह मकान का वह हिस्सा है, जो हमारी आध्यात्मिक उन्नति और शांति से जुड़ा होता है।
पूजाघर में आते ही हमारे भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और नकारात्मकता खत्म हो जाती है। यहां हम ईश्वर जुड़ पाते हैं और उस परम शक्ति के प्रति अपनी आस्था व्यक्त करते हैं इसलिए अगर यह जगह वास्तु के अनुरूप होती है तो उसका हमारे जीवन पर बेहतर असर होता है।
अगर मकान में पूजाघर या पूजा के कमरे को वास्तु के अनुरूप संयोजित किया जाता है तो पूरे परिवार को उसके अच्छे परिणाम प्राप्त हो सकते हैं। कुछ वास्तु सिद्धांत हैं जिन पर गौर करके हम अपने पूजाघर को अधिक प्रभावशाली बना सकते हैं।
पूजा स्थल अगर वास्तुसम्मत हो तो अधिक शुभ फल देता है और जीवन के दोष समाप्त होते हैं। अधिकांश लोग पूजाघर के निर्माण में वास्तु नियमों की उपेक्षा करते हैं, लेकिन कुछ बहुत छोटे उपायों के जरिए इसे वास्तुसम्मत बनाया जा सकता है और खुशहाली पाई जा सकती है।
* पूजाघर कभी भी शयनकक्ष में नहीं बनवाना चाहिए। यदि परिस्थितिवश ऐसा करना ही पड़े तो वह शयनकक्ष विवाहितों के लिए नहीं होना चाहिए। अगर विवाहितों को भी उसी कक्ष में सोना पड़ता हो तो पूजास्थल को पट या पर्दे से ढंकना चाहिए अर्थात देवशयन करा दें। लेकिन यह व्यवस्था तभी ठीक है जबकि स्थान का अभाव हो। यदि जगह की कमी नहीं है तो पूजाघर शयनकक्ष में नहीं होना चाहिए।
* पूजाघर को सदैव स्वच्छ और साफ-सुथरा रखें। पूजा के बाद और पूजा से पहले उसे नियमित रूप से साफ करें। पूजन के बाद कमरे को साफ करना जरूरी है।
* पूजाघर के निकट एवं भवन के ईशान कोण में झाड़ू या कूड़ेदान आदि नहीं रखना चाहिए। संभव हो तो पूजाघर को साफ करने का झाड़ू-पोंछा भी अलग ही रखें। जिस कपड़े से भवन के अन्य हिस्से का पोंछा लगाया जाता है उसे पूजाघर में उपयोग में न लाएं।
* पूजाघर में यदि हवन की व्यवस्था है तो वह हमेशा आग्नेय कोण में ही की जानी चाहिए।
* पूजास्थल में कभी भी धन या बहुमूल्य वस्तुएं नहीं रखनी चाहिए।
* पूजन घर की दीवारों का रंग बहुत गहरा नहीं सफेद, हल्का पीला या नीला होना चाहिए।
* पूजाघर का फर्श सफेद अथवा हल्का पीले रंग का होना चाहिए।
* पूजाघर में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, इन्द्र, सूर्य एवं कार्तिकेय का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा ओर होना चाहिए।
* पूजाघर में गणेश, कुबेर, दुर्गा का मुख दक्षिण दिशा की ओर होना चाहिए।
* पूजाघर में हनुमानजी का मुख नैऋत्य कोण में होना चाहिए।
* पूजाघर में प्रतिमाएं कभी भी प्रवेश द्वार के सम्मुख नहीं होना चाहिए।
* पूजाघर में कलश, गुंबद इत्यादि नहीं बनाना चाहिए।
* पूजाघर में किसी प्राचीन मंदिर से लाई प्रतिमा या स्थिर प्रतिमा को स्थापित नहीं करना चाहिए।
वास्तु के इन नियमों को मानकर परिवार में सुख, शांति और व्यापारिक संस्थानों को श्रीसमृद्धि से युक्त बनाया जा सकता है। वास्तु का लाभ उठा कर अपने बौद्धिक साहस का परिचय दीजिए। चमत्कारों का सूर्य आपको आभायुक्त बना देगा।
1 स्फटिक के शिवलिंग की पूजा करें। स्फटिक असली हो तो प्रभाव में वृद्धि होगी।
2 भवन निर्माण में दरवाजे और खिड़कियां सम संख्या में हों तथा सीढ़ियां विषम संख्या में हों।
3 टॉयलेट और किचन एक पंक्ति (कतार) में या आमने-सामने होना दोषकारक है।
4 घर में गणेशजी की एक से अधिक मूर्ति हो तो कोई फर्क नहीं, परंतु पूजा एक ही गणेशजी की हो। घर में गणपति की मूर्ति, रंगोली, स्वस्तिक या ॐ का चिह्न बुरी आत्माओं के प्रभाव को नियंत्रित करता है।
5 घर के बाहर या अंदर आशीर्वाद मुद्रा में देवी-देवता की मूर्ति अथवा चित्र लगाएं। ध्यान रहे, उनका मुंह भवन के बाहर की तरफ हो। सिर्फ गणेश का मुंह भवन के भीतर होना चाहिए क्योंकि गणेश के पीछे दरिद्रता रहती है।
6 घर के ड्राइंगरूम में मोर, बंदर, शेर, गाय, मृग आदि के चित्र या मूर्ति रूप में किसी एक का जोड़ा रखें जिसका मुंह एक-दूसरे की तरफ हो तथा मुंह घर के अंदर हो, शुभ रहेगा।
7 दक्षिण दिशा में घोड़ा (अश्व) रखना सर्वोत्तम है।
8 असली स्फटिक बॉल, श्रीयंत्र, पिरामिड या कटिंग बॉल को आप कहीं भी रख सकते हैं। (श्रीयंत्र को केवल घर के मंदिर में रखें।)
9 धन-समृद्धि के लिए धन की पेटी (कैश बॉक्स) में तीन सिक्के रखें, जो भाग्य की अभिवृद्धि में सहायक होंगे।
10 घोड़े की नाल पश्चिमी देशों तथा हमारे देश में भी बहुत भाग्यशाली और शुभ मानी जाती है। अपनी सुरक्षा और सौभाग्य के लिए इसे अपने घर के मुख्य द्वार के ऊपर चौखट के बीच में लगा सकते हैं।
11 बीम के नीचे बिंदु चिप्स लगाकर बीम के दोष को दूर कर सकते हैं।
12 संपत्ति तथा सफलता के लिए अपने बैठक कक्ष में पिरामिड को उत्तर-पूर्व में रखें।
घर की रसोई पूरे परिवार का केन्द्र होती है। इस ज गह पर हम अपने जीवन का सबसे क्वॉलिटी टाइम बिताते हैं.. आखिर इंसान इतनी मेहनत करता ही क्यों है,इसलिए न कि दो वक्त का भरपेट खाना मिल सके। वास्तु नियम कहते हैं कि रसोई में कुछ खास प्रकार की गलतियों से बचा जाना चाहिए।
1.रसोई से जुड़ी सबसे पहली बात आपको ध्यान रखनी चाहिए कि वहां कोई भी टूटा बर्तन, बेकार का सामान या कूड़ा-कचरा जमा ना हो।
2. इलेक्ट्रॉनिक सामान जो आपके काम के नहीं हैं या खराब हो चुके हैं उन्हें तुरंत रसोई से बाहर कर देना चाहिए। बेहतर होगा बिजली के बेकार उपकरण या तो ठीक करवा लें या फिर उन्हें घर से बाहर ही निकाल दें। यह स्थिति बच्चों के करियर में रुकावट बनती है।
3. घर की स्त्री को कभी भी बिना नहाए रसोई घर में प्रवेश नहीं करें, क्योंकि ऐसा करने से परिवार जनों की सेहत के लिहाज से समस्या आ सकती है।
4. वास्तुशास्त्र के अनुसार कभी भी घर का किचन और बाथरूम आमने-सामने नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा है भी तो आपको अपने बाथरूम का दरवाजा हमेशा बंद रखना चाहिए या रसोई के आगे पर्दा ढंक कर रखना चाहिए। अगर आप इस बात का ध्यान नहीं रखते तो निश्चित तौर पर यह घर के भीतर अशांति का वातावरण पैदा कर सकता है। यह स्थिति घर के मुखिया के लिए शुभ नहीं है।
5. कभी भी घर के मुख्य द्वार के समीप या ठीक सामने रसोई ना बनाएं, इस स्थिति से घर के लोगों के बीच सामंजस्य और तालमेल की कमी आती है। अगर आपके एन गेट के पास किचन बनी हुई है तो उसे पर्दे से ढंक कर रखें।
हम सभी के पास थोड़ा बहुत धन तो होता ही है। हम सभी यह चाहते हैं कि हमारा धन दिनों दिन बढ़ता रहे। आइए जानें कि हम अपनी धन-संपदा, कीमती सामग्री और आभूषण किस दिशा में कैसे रखें कि उसमें चौगुनी वृद्धि हो।
पूर्व दिशा : यहां घर की संपत्ति और तिजोरी रखना बहुत शुभ होता है इससे उपलब्ध सामग्री में वृद्धि होती रहती है।
पश्चिम दिशा : यहां धन-संपत्ति और आभूषण रखे जाएं तो घर का मुखिया बड़ी कठिनाई के साथ धन कमा पाता है।
उत्तर दिशा : नकद व आभूषण जिस अलमारी में रखते हैं, वह अलमारी भवन की उत्तर दिशा के कमरे में दक्षिण की दीवार से लगाकर रखना चाहिए। इस प्रकार रखने से अलमारी उत्तर दिशा की ओर खुलेगी, उसमें रखे
गए पैसे और आभूषण में हमेशा वृद्धि होती रहेगी।
दक्षिण दिशा : इस दिशा में धन, सोना, चांदी और आभूषण रखने से नुकसान तो नहीं होता परंतु बढ़ोत्तरी भी विशेष नहीं होती है।
सीढ़ियों के नीचे तिजोरी रखना शुभ नहीं होता है। सीढ़ियों या टायलेट के सामने भी तिजोरी नहीं रखना चाहिए। तिजोरी वाले कमरे में कबाड़ या मकड़ी के जाले होने से नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है।
घर की तिजोरी के पल्ले पर बैठी हुई लक्ष्मीजी की तस्वीर जिसमें दो हाथी सूंड उठाए नजर आते हैं, लगाना बड़ा शुभ होता है। तिजोरी वाले कमरे का रंग क्रीम या ऑफ व्हाइट रखना चाहिए।
घर या ऑफिस में हमारे आसपास बह रही नकारात्मक ऊर्जा से बचने के कई ऐसे उपाय होते हैं, जो हम आसानी से आजमा सकते हैं। हमारे बैठने के स्थान में थोड़ा-सा फेरबदल कर हम अपने आभामंडल (ओरा) को तेजस्वी बनाकर उसका सकारात्मक लाभ पा सकते है।
आइए जानते हैं। आसान उपाय -
* कार्यालय/ऑफिस में आपके कार्यशील हाथ की ओर टेलीफोन रखने से आपको सहायता मिलेगी
* अपने कार्यशील हाथ की ओर कागजों का ढेर न लगाएं।
* टेबल के नीचे कचरे की टोकरी न रखें, यह आपके धनात्मक प्रभामंडल में व्यवधान डालती है।
* कार्यस्थल में अपने बैठने की कुर्सी के पीछे कोई सामान न रखें।
* आपके पीछे कोई खिड़की न हो इस बात का ख्याल रहे।
घर में रखें इन बातों का ध्यान -
* बैठक के कमरे में द्वार के सामने की दीवार पर दो सूरजमुखी के या ट्यूलिप के फूलों का चित्र लगाएं।
* उपहार में आई कैंची अथवा चाकू न रखें। चाहे मायके से ही क्यों न आई हो।
* कैक्टस तथा अन्य कांटे के पौधे घर में न रखें।
* धुले कपड़े पूरी रात घर के बाहर न रखें।
* धुलने के लिए खोले हुए कपड़े इधर-उधर न डालें, व्यवस्थित किसी स्थान पर ढंक कर रखें।
* कमरों के द्वार के सामने बिस्तर न लगाएं।
* द्वार के सामने खाली दीवार हो तो कांच के कटोरे को ताजे फूलों से भरकर रखें।
* जूतों के रखने का स्थान घर के प्रमुख व्यक्ति के कद का एक चौथाई हो, उदाहरण के तौर पर 6 फुट के व्यक्ति (घर का प्रमुख) के घर में जूते-चप्पल रखने का स्थल डेढ़ फुट से ऊंचा न हो।
हम सभी जानते हैं कि निर्जीव वस्तु में नकारात्मक ऊर्जा होती है। नकारात्मक ऊर्जा वाली वस्तुएं घर में रखने से मनुष्य को दुर्भाग्य और गरीबी का सामना करना पड़ता है। 10 ऐसी चीजें, जिन्हें भूलकर भी घर में नहीं रखना चाहिए।
अगर इन 10 में से एक भी वस्तु आपके घर में मौजूद हो तो उसे तुरंत हटा दें ताकि घर में समृद्धि आ सके।
1. पुराने या फटे कपड़ों की पोटली बांध कर रख देती है। अच्छे भाग्य को अक्सर लोगों के घरों में फटे-पुराने कपड़ों की एक पोटली होती है। फटे-पुराने कपड़ों या चादरों से भी घर में नकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है। इस तरह के कपड़ों को दान कर देना चाहिए या इसका किसी और काम में उपयोग करना चाहिए।
2. देवी-देवताओं की पुरानी मूर्ति या चित्र देते हैं बुरे शाप देवी-देवताओं की फटी हुईं और पुरानी तस्वीरें अथवा खंडित हुईं मूर्तियों से भी आर्थिक हानि होती है। अत: उन्हें किसी नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए। देवी-देवताओं की तस्वीरों या मूर्तियों को निश्चित संख्या और स्थान पर ही रखना चाहिए। एक ही देवी या देवता की 3-3 मूर्तियां या तस्वीर होने पर वास्तुदोष होता है।
3. घर की छत कोसती है। अगर उस पर बोझ हो ।
घर की छत पर पड़ी गंदगी से भी पैसों की तंगी को बढ़ सकती है। इससे परिवार की बरकत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। घर की छत पर कबाड़ा या फालतू सामान बिल्कुन न रखें। इससे परिवार के सदस्यों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। साथ ही इससे पितृ दोष भी उत्पन्न होता है।
4. बेकार रखे पत्थर, नग या नगीना अशुभ फल देते हैं।
कई लोग अपने घर में अनावश्यक पत्थर, नग, अंगुठी, ताबीज या अन्य इसी तरह के सामान को घर में कहीं रख देते हैं। बिना इस जानकारी के कि कौन-सा नग फायदा पहुंचा रहा है और कौन-सा नग नुकसान पहुंचा रहा है। इसलिए इस तरह के सामान को घर से बाहर निकाल दें।
5. टूटी-फूटी वस्तुएं भाग्य को चमकने नहीं देती
किसी भी तरह की टूटी-फूटी या गैर-जरूरी वस्तु को घर में नहीं रखना चाहिए। इससे घर में वास्तु दोष उत्पन्न होता है, जिसके कारण लक्ष्मी का आगमन रुक जाता है। विशेषकर कांच की कोई भी सामग्री घर में टूट-फूट वाली नहीं होनी चाहिए।
6. तस्वीरें फेंकती है नकारात्मक ऊर्जा ।
कहते हैं कि ताजमहल का चित्र, डूबती हुई नाव या जहाज, फव्वारे, जंगली जानवरों के चित्र और कांटेदार पौधों के चित्र घर में नहीं लगाना चाहिए। इससे मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है और लगातार इन चित्रों को देखते रहने से जीवन में अच्छी घटनाएं घटना बंद हो जाती हैं।
7. टूटी अलमारी से किस्मत रूठ जाती है।
घर या दुकान की कोई भी अलमारी टूटी हुई नहीं होना चाहिए। टूटी अलमारी पैसों के नुकसान का कारण बनती है। इसके अलावा काम न होने पर अलमारी को हमेशा बंद करके रखें। अलमारी को बेवजह खुला रखने पर हर तरह के कामों में रुकावट आती है और धन भी पानी की तरह बह जाता है।
घर में बनने वाले मकड़ी के जाले तुरंत हटा दें, इनसे आपके अच्छे दिन बुरे दिनों में बदल सकते हैं। मकड़ी के जाले से घर-दुकान में कई तरह के वास्तु दोष पैदा होते हैं, इसलिए घर-दुकान में इसका होने अशुभ माना जाता है।
9. टूटा सोफा, कुर्सी और टेबल तरक्की के दुश्मन है।
आपके घर में टूटी हुई चेयर या टेबल पड़ी है तो उसे तुरंत घर से हटा दें। ये आपके पैसों और तरक्की को रोक देती है। बैठक
का सोफा भी फटा या टूटा हुआ नहीं होना चाहिए। उस पर बिछाई गई चादर भी गंदी या फटी नहीं होना चाहिए।
10. बंद घड़ी प्रगति को रोक देती है।
बंद घड़ियां भी घर से जितनी जल्दी हो सके बिदा कीजिए। यह सीधे किस्मत से कनेक्ट होती है। बंद घड़ी प्रगति को रोक देती है।
वास्तु के 15 आसान उपाय -
* घर में सप्ताह में एक बार गूगल का धुआं करना शुभ होता है।
* गेहूं में नागकेशर के 2 दाने तथा तुलसी की 11 पत्तियां डालकर पिसाया जाना शुभ है।
* घर में सरसों के तेल के दीये में लौंग डालकर लगाना शुभ है।
* हर गुरुवार को तुलसी के पौधे को दूध चढ़ाना चाहिए।
* तवे पर रोटी सेंकने के पूर्व दूध के छींटें मारना शुभ है।
* पहली रोटी गौ माता के लिए निकालें।
* मकान में 3 दरवाजे एक ही रेखा में न हों।
* सूखे फूल घर में नहीं रखें।
* संत-महात्माओं के चित्र आशीर्वाद देते हुए बैठक में लगाएं।
* घर में टूटी-फूटी, कबाड़, अनावश्यक वस्तुओं को नहीं रखें।
* दक्षिण-पूर्व दिशा के कोने में हरियाली से परिपूर्ण चित्र लगाएं।
* घर में टपकने वाले नल नहीं होना चाहिए।
* घर में गोल किनारों के फर्नीचर ही शुभ हैं।
* घर में तुलसी का पौधा पूर्व दिशा की गैलरी में या पूजा स्थान के पास रखें।
* वास्तु की मानें तो उत्तर या पूर्व दिशा में की गई जल की निकासी आर्थिक दृष्टि से शुभ होती है। इसलिए घर बनाते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए।
सटीक वास्तु उपाय -
1. बिस्तर घर में उत्तर या उत्तर-पूर्व की ओर रखना चाहिए। नवविवाहितों लिए तो यह दिशा बहुत ही अच्छी मानी गई है। यदि ऐसा करना संभव नहीं हो, तो दक्षिण-पश्चिम में भी अपना बिस्तर रख सकते हैं।
2. बेडरूम में सुंदर आकृतियां लगाएं। जैसे- छोटे बच्चों की तस्वीरें, मोमबत्तियां, गुलाब के फूलों की पेंटिग। युद्ध के दृश्य या जंगली जानवरों की तस्वीरें न लगाएं।
3. बेडरूम को लाल रंग से सजाएं। जैसे- लाल रंग की बेडशीट, लाल रंग का प्रकाश, लाल फूल, लाल मोमबत्ती, लाल क्रिस्टल बॉल आदि ।
4. बिस्तर के सामने या पीछे दर्पण नहीं होना चाहिए। यदि जगह की कमी के कारण दर्पण रखना मजबूरी है तो उसे कपड़े से ढंक कर रखें। बेडरूम में दर्पण होने से संबंधों में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पड़ता है।
5. बेडरूम में भगवान की तस्वीर या मूर्तियां न रखें। पूर्वजों की तस्वीरें भी बेडरूम में नहीं रखनी चाहिए। जगह की कमी के कारण पूजा स्थान बेडरूम में ही रखना जरूरी हो, तो पर्दा लगाकर रखें।
6. बेडरूम में एक्वेरियम जैसी पानी वाली चीजें न रखें। इसी तरह बेडरूम में पौधा, टीवी, कंप्यूटर जैसे उपकरण भी नहीं रखने चाहिए।
7. बिस्तर दरवाजे के ठीक सामने नहीं होना चाहिए। इससे सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
8. बिस्तर पर एक गद्दे का इस्तेमाल करना चाहिए। दो भागों में बंटा बिस्तर रिश्ते में दूरियां बढ़ा सकता है। फटी या काफी पुरानी चादर न बिछाएं और सफाई का भी ध्यान रखें।
9. कमरा आयताकार हो तो दांपत्य जीवन में प्यार बना रहता है।
10. कमरे का रंग भी प्यार को प्रभावित करता है। कमरे में हल्के और आंखों को सुहाते रंगों का प्रयोग करें। कमरे में पति-पत्नी का साथ में मुस्कुराता बड़ा चित्र अवश्य लगाएं।
जय श्री राम ॐ रां रामाय नम: श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411