लहसूनियां

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केतु का रत्न लहसुनिया अचानक समस्याओं से निजात दिलाता है एवं त्वरित फायदे भी कराता है। यह रत्न केतु के दुष्प्रभाव को शीघ्र ही समाप्त करने में सक्षम है। इसके विविध नाम है जैसे-वैदुर्य, विद्रालक्ष, लहसुनिया, कैटस आई आदि। यह वृषभ, तुला, मकर, मिथुन व कुम्भ राशि वालों के लिए विशेष लाभकारी सिद्ध होता है। आईये जानते है कि लहसुनिया रत्न कि पहचान कैसे करें एवं इस रत्न को किसे धारण करना चाहिए तथा किसे नहीं।

1. जब भी बने बनाए काम में अड़चन पड़े, चोट, दुर्घटना का भय बने, उन्नति के सभी मार्ग बन्द हो, तो समझें केतु के कारण परेशानी चल रही है। जब भी जन्मकुण्डली के अन्दर आपकी परेशानी का कारण केतु बने तो लहसुनिया रत्न धारण करना लाभप्रद होता है।
2. अगर कुण्डली में केतु की स्थिति केन्द्र/त्रिकोण में हो तो अर्थात केतु 1, 2, 4, 5, 7, 9, 10 भाव में हो लहसुनिया पहनने से फायदा होता है।
3. शनिवार या गुरुवार को लहसुनिया खरीदकर चांदी की अंगूठी में जड़वाएं। इसके बाद षोड़षोपचार पूजन करके ऊं कें केतवे नमः मन्त्र का सवा लाख जाप करवाएं और गुरूवार या शनिवार को मध्यमा उंगली में धारण करें।
4. अगर आपके कार्य व व्यवसाय में लगातार हानि हो रही हैं एवं बिगड़े कार्य बन नहीं रहें है, तो लहसुनिया पहनने से लाभ होता है।
5. यदि किसी बच्चे या नौजवान को जल्दी-जल्दी नजर लग जाती है, तो चांदी के लॉकेट में लहसुनिया पहने से नजर दोष का असर समाप्त हो जाता है।
6. अगर आप लगातार रोग से ग्रसित रहते हैं तो चांदी की अंगूठी में लहसुनिया को बनवाकर मध्यमा उंगली में धारण करने से रोग में कमी आती है।
7. यदि लहसुनिया में चमक न हो तो यह धारण करने से धन का नाश न होता है। अगर इस रत्न में छेद हो तो वह खण्डित माना जाता है। ऐसा लहसुनिया धारण करने से शत्रुओं की संख्या में वृद्धि होती है।
8. जिस लहसुनिया में चार या इससे अधिक धारियां हो, उसे धारण करना हानिकारक सिद्ध होता है।

भौतिक गुण-आपेक्षिक घनत्व 3.68 से 3.78 तक कठोरता, 8.50, वर्तनाक 1750 से 1.75 तक, दुहरार्वतन 0.010, अपकिरणन 0.015।
प्राप्ति स्थान-श्रीलंका, ब्राजील, चीन त्रिवेद्रम। श्रेष्ठ लहसुनिया काले रंग का, श्वेत आभा लिए होता है। यह स्वच्छ दड़कदार खिलवां बीचों-बीच श्वेत बादल की तरह लहराता हुआ होता है।
दोष युक्त लहसुनिया धारण करने से हानि

यदि लहसुनिया में चमक न हो तो यह धारण करने से धन का नाश न होता है।

अगर लहसुनिया में खड्डा या छेद हो तो वह खण्डित माना जाता है। ऐसा लहसुनिया धारण करने से शत्रुओं की संख्या में वृद्धि होती है।

जिस लहसुनिया में चार या इससे अधिक धारियां हो, उसे धारण करना हानिकारक सिद्ध होता है।

यदि किसी लहसुनिया में सफेद छींटे हो तो उसे धारण करने से मृत्यु तुल्य कष्ट होता है।

ऐसा लहसुनिया जिसमें जाल दिखाई दे, उसे पहनने से पत्नी को कष्ट मिलता है।

जिस लहसुनिया में शहद के समान छींटे हों, उसे धारण करने से राज्य व व्यापार में हानि होती है।

धब्बा युक्त लहसुनिया पहनने शरीर में रोगों की वृद्धि होती है।

लहसुनिया किसे धारण करना चाहिए जब भी बने बनाए काम में अड़चन पड़े, चोट, दुर्घटना का भय बने, उन्नति के सभी मार्ग बन्द हो, तो समझें केतु के कारण परेशानी चल रही है। जब भी जन्मकुण्डली के अन्दर आपकी परेशानी का कारण केतु बने तो लहसुनिया रत्न धारण करना लाभप्रद होता है। अगर कुण्डली में केतु की स्थिति केन्द्र/त्रिकोण में हो तो अर्थात केतु 1, 2, 4, 5, 7, 9, 10 भाव में हो लहसुनिया पहनने से फायदा होता है।

लहसुनिया धारण विधि शनिवार अथवा बृहस्पतिवार के दिन लहसुनिया खरीदकर चांदी की अॅगूठी में जड़वायें। तत्पश्चात षोड़षोपचार पूजन करके निम्न ‘‘ऊॅ कें केतवे नमः'' मन्त्र का सवा लाख जप करायें। उसके बाद गुरूवार या शनिवार को मध्यमा उॅगली में धारण करना चाहिए।

लहसुनिया पहनने के फायदे

अगर आपके कार्य व व्यवसाय में लगातार हानि हो रही हैं एवं बिगडे कार्य बन नहीं रहें है, तो लहसुनिया पहनने से लाभ होता है। यदि किसी बच्चे या नौजवान को जल्दी-जल्दी नजर लग जाती है, तो चाॅदी के लाकेट में लहसुनिया पहने से नजर दोष का असर समाप्त हो जाता है। अगर आप लगातार रोग से ग्रसित रहते हैं तो चाॅदी की अगूठी में लहसुनिया को बनवाकर मध्यमा उॅगली में धारण करने से रोग में कमी आती है। जो लोग बुरी आत्मायें, बुरे सपने व अन्य किसी प्रकार के भय से ग्रसित रहते है, उन्हें लहसुनिया अवश्य पहनना चाहिए।

ॐ रां रामाय नमः
श्रीराम ज्योतिष सदन
भारतीय वैदिक ज्योतिष और नवग्रह रत्न एवं मंत्र यंत्र तंत्र परामर्शदाता
पंडित आशु बहुगुणा
मोबाइल नं- 9760924411
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