तंत्र, मंत्र, देव,देवी उपासना ओर साधना

तंत्र, मंत्र, देव,देवी उपासना ओर साधना में सिद्धि प्राप्त करने के लिए कुछ उपयोगी सिद्ध तिथियां, रात्रियाँ और पर्व ।

कुछ तिथियां अपने आप में ही महत्वपूर्ण एवं सिद्धिप्रद मानी गई है। जिनका ज्ञान शायद ही इक्के दुक्के सन्यासी, साधु या ज्योतिषी को होगा । नीचे मैं इन्ही महत्वपूर्ण तिथियों को स्पष्ट कर रहा हूँ।, जिसका प्रयोग करने से साधना में स्वतः सिद्धि प्राप्त होती हैं ।

दस महाविद्या जयन्ति तिथियां -

१- काली  भाद्रपद कृष्ण अष्टमी,
२- तारा  चैत्र शुक्ल नवमी,
३- ललिता  माघ शुक्ल पूर्णिमा,
४- भुवनेश्वरी  भाद्रपद शुक्ल द्वादशी,
५- भैरवी  मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा,
६- छिन्नमस्ता  वैशाख शुक्ल चतुर्दशी,
७- धूमावती  ज्येष्ठ शुक्ल अष्टमी,
८- बगलामुखी  वैशाख शुक्ल चतुर्थी,
९- मातंगी  वैशाख शुक्ल चतुर्दशी,
१०- कमला  कार्तिक कृष्ण अमावस्या,

दस सिद्धविद्या जयन्ति तिथियां -

१- कुब्जिका  वैशाख कृष्ण त्रयोदशी की मध्य रात्रि को,
२- चण्डिका  वैशाख शुक्ल पूर्णिमा,
३- मात्रा  मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी,
४- सिद्धलक्ष्मी  वैशाख शुक्ल चतुर्दशी,
५- सरस्वती  माघ शुक्ल पंचमी,
६- अन्नपूर्णा  मार्गशीर्ष कृष्ण चतुर्दशी,
७- गायत्री  श्रावण शुक्ल पूर्णिमा,
८- पार्वती  आषाढ़ शुक्ल नवमी,
९- अपराजिता  आश्विन शुक्ल नवमी,
१०- विन्ध्यवासिनी  भाद्रपद कृष्ण अष्टमी,

दशावतार जयन्ति तिथियां -

१- मत्स्यावतार  कार्तिक शुक्ल नवमी,
२- राम  चैत्र शुक्ल नवमी,
३- कृष्ण  भाद्रपद कृष्ण अष्टमी,
४- वामन  भाद्रपद शुक्ल द्वादशी,
५- नृसिंह  वैशाख शुक्ल चतुर्दशी,
६- परशुराम  वैशाख शुक्ल तृतीया,
७- वाराह  आश्विन शुक्ल चतुर्दशी,
८- कल्कि  श्रावण शुक्ल षष्ठी,
९- बुद्ध  भाद्रपद पूर्णिमा,
१०- बलभद्र  मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा,

युगारम्भ तिथियां -

१- सतयुग  वैशाख शुक्ल तृतीया,
२- त्रेतायुग  कार्तिक शुक्ल नवमी,
३- द्वापरयुग  भाद्रपद कृष्ण त्रयोदशी,
४- कलियुग  माघ कृष्ण अमावस्या,

प्रत्येक महीने के गुरु पर्व -

१- चैत्र शुक्ल तृतीया,
२- वैशाख शुक्ल तृतीया,
३- ज्येष्ठ शुक्ल दसमी,
४- आषाढ़ शुक्ल पंचमी,
५- श्रावण कृष्ण पंचमी,
६- भाद्रपद शुक्ल त्रयोदशी,
७- आश्विन कृष्ण त्रयोदशी,
८- कार्तिक शुक्ल नवमी,
९- मार्गशीर्ष शुक्ल तृतीया,
१०- पोष शुक्ल नवमी,
११- माघ शुक्ल चतुर्थी,
१२- फाल्गुन शुक्ल नवमी,

चार नवरात्र -

१- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नवमी,
२- आषाढ़ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी (गुप्त),
३- आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी,
४- माघ शुक्ल प्रतिपदा से नवमी (गुप्त),

विशिष्ट रात्रि पर्व -

१- वीर रात्रि  चतुर्दशी को रविवार,
२- महारात्रि  आश्विन शुक्ल अष्टमी,
३- कालरात्रि  कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी को अर्द्ध रात्रि में अमावस्या का योग होने पर ,
४- मोह रात्रि  भाद्रपद कृष्ण अष्टमी,
५- क्रोध रात्रि  चैत्र शुक्ल नवमी,
६- घोर रात्रि  मार्गशीर्ष कृष्ण अष्टमी (महाकाल वीर जयन्ति),
७- अचला रात्रि  फाल्गुन कृष्ण अष्टमी को मंगल या शुक्रवार हो,
८- तारा रात्रि  ज्येष्ठ शुक्ल दसमी,
९- शिवरात्रि  फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी,
१०- मृतसंजीवनी रात्रि  अमावस्या को शुक्रवार हो और मध्यान्ह में सूर्य ग्रहण हो,
११- सिद्धि रात्रि  चैत्र मास की अष्टमी को रविवार और संक्रांति हो (काली और तारा के लिए विशेष सिद्धिप्रद),
१२- दारुण रात्रि  वैशाख शुक्ल तृतीया को मंगलवार हो,
१३- सुंदरी रात्रि  किसी भी मास की पूर्णिमा को महानक्षत्र हो,
१४- देवी रात्रि  किसी भी मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मंगलवार हो,
१५- गणेश रात्रि  माघ चतुर्थी को मकर संक्रांति हो,
१६- सिद्धि रात्रि  किसी भी माह की कृष्ण पक्ष की नवमी को मूल नक्षत्र हो,
१७- बाण रात्रि  किसी भी मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मंगलवार हो,
१८-कृष्ण रात्रि  किसी भी अमावस्या को मंगलवार हो,
१९- धर्म रात्रि  पौष या माघ अमावस्या को सूर्य श्रवण नक्षत्र पर हो,
२०- दिव्य रात्रि  अमावस्या को मंगल या शुक्रवार और सूर्य क्रूर नक्षत्रो पर हो,
२१- विष्णु रात्रि  भाद्रपद मास की अष्टमी को बुधवार हो,
२२- काम संजीवनी रात्रि  माघ शुक्ल पंचमी (बसन्त पंचमी) को शुक्रवार हो,
२३- रिद्धि सिद्धि योग रात्रि  चैत्र मास की तृतीया को रेवती नक्षत्र हो,
२४- पर्वराज रात्रि  पौष मास की तृतीया को शुक्रवार तथा रेवती नक्षत्र हो ।,

चार महारात्रि -

१. मोहरात्रि (जन्माष्टमी) ,
२. कालरात्रि (नरक चतुर्दशी) ,
३. दारुण रात्रि (होली) ,
४. महारात्रि (महाशिवरात्रि) ,

जय श्री राम ॐ रां रामाय नम: श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411