घर में शंख बजने की महिमा या शख का प्रभाव
घर में शंख बजने की महिमा या शख का प्रभाव -
शंख मुख्यतः दो प्रकार के होते है। : वामावर्ती और दक्षिणावर्ती। इन दोनों की पूजा का विशेष महत्व है पूजा-पाठ एवं कर्मकांड अनुष्ठानों के आरंभ में तथा अंत में वामावर्ती शंख का नाद किया जाता है।
दक्षिणावर्ती शंख सुख-समृद्धि का प्रतीक है। इसका मुख ऊपर से बंद होता है। घर के मंदिर में इसकी स्थापना करने पर लक्ष्मी की प्राप्ति और व्यवसाय में लाभ होता है। दक्षिणावर्ती शंख से भगवान सूर्य को जल का अर्य देने से मानसिक तथा शारीरिक कष्टों का निवारण होता है। और नेत्र विकार से मुक्ति मिलती है।
शंख ध्वनि का वैज्ञानिक आधार- शंख में लक्ष्मी का वास माना जाता है। इसीलिए जिस घर में शंख होता है। वहां लक्ष्मी का वास अवश्य होता है।
भारतीय वैज्ञानिकों के अनुसार शंख ध्वनि का वातावरण पर विशेष प्रभाव पड़ता है। शंख ध्वनि जहां तक पहुंचती है वहां तक के वातावरण में रहने वाले सभी किटाणु पूर्णतया नष्ट हो जाते हैं। इस तरह के सभी जीवाणु व रोग वातावरण में लगातार शंख ध्वनि होते रहने से पूर्ण रूप से समाप्त हो जाते हैं। शंख की ध्वनि से उत्पन्न कंपन पृथ्वी की नकारात्मक व विध्वंसक शक्तियों को रोकने में समर्थ हो सकते हैं। इसके अतिरिक्त इन कंपनों के फलस्वरूप प्रदूषण और ग्लोबल वार्मिंग से बचाव हो सकता है। तथा ओजोन लेयर के सुराख भर सकते हैं। विज्ञान के अनुसार शंख बजाने से बजाने वाले के अंदर साहस, दृढ़ इच्छाशक्ति, आशा व उत्साह जैसे गुणों का संचार होता है। केवल वादक में ही नहीं, उस वातावरण में रहने वाले अन्य लोगों में भी इन गुणों का संचार होता है।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार शंख में जल भरने के बाद मंदिर में रख देना चाहिए और फिर घर की सभी वस्तुओं पर छिड़क देना चाहिए।
जिस तरह से किसी भी धातु के बर्तन में रखे हुए जल में उस धातु के गुण आ जाते हैं। उसी प्रकार शंख में रखे हुए जल में भी शंख के गुण आ जाते हैं। इस जल को मानव शरीर पर छिड़कने से संक्रामक रोग से उसकी रक्षा होती है। और उसके जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। किसी भी धार्मिक अनुष्ठान का आरंभ शंख ध्वनि से किया जाता है। हिंदू धर्म में इसे प्रार्थना करने की मुख्य वस्तु माना जाता है।
शंख के प्रकार-शंख कई प्रकार के होते हैं। इनमें प्रमुख इस प्रकार हैं। दक्षिणावर्ती शंख, वामावर्ती शंख, गणेश शंख, गौमुखी शंख ,कौड़ी शंख ,मोती शंख
प्रत्येक शंख का एक विशेष नाम होता है। विष्णु का शंख पांचजन्य शंख कहलाता है। अर्जुन शंख देवदत्त, भीम का पौंड्र, युधिष्ठर का अनंतविजय, नकुल का सुघोष और सहदेव का शंख मणिपुष्पक नाम से जाना जाता था।
घर में शंख बजाने से लाभ -शंख ध्वनि से बुरी आत्माएं दूर भागती हैं। शंख ध्वनि जहां तक पहुंचती है वहां तक के वातावरण में रहने वाले सभी किटाणु पूर्णतया नष्ट हो जाते हैं। इस तरह के सभी जीवाणु व रोग वातावरण में लगातार शंख ध्वनि होते रहने से पूर्ण रूप से समाप्त हो जाते हैं। शंख की ध्वनि से उत्पन्न कंपन पृथ्वी की नकारात्मक व विध्वंसक शक्तियों को रोकने में समर्थ हो सकते हैं। शंख बजाने से श्वास नली मजबूत होती है, हृदय रोग दूर होता है। तथा रोगप्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है।
जय श्री राम ॐ रां रामाय नम: श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411