जय वीर हनुमान बजरंग बाण रक्षा मंत्र
जय वीर हनुमान
रक्षा मंत्र :-
साधना मे रक्षा अत्यंत जरूरी है। अगर आप इस प्रयोग को करते है। आप की उग्र साधनाओ आप की रक्षा होती है।
असाध्य रोग, शारीरिक कष्ट, मानसिक अशांति, व्यापार में रुकावट आदि तंत्रिक आक्रमण कष्टो से बचाव रहता है।
बजरंग बाण
। दोहा ।
निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करें सनमान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ।।
चौपाई
जय हनुमन्त सन्त हितकारी । सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ।।
जन के काज विलम्ब न कीजै । आतुर दौरि महासुख दीजै ।।
जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा । सुरसा बदन पैठि विस्तारा ।।
आगे जाई लंकिनी रोका । मारेहु लात गई सुर लोका ।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा । सीता निरखि परमपद लीन्हा ।।
बाग़ उजारि सिन्धु महँ बोरा । अति आतुर जमकातर तोरा ।।
अक्षयकुमार को मारि संहारा । लूम लपेट लंक को जारा ।।
लाह समान लंक जरि गई । जय जय धुनि सुरपुर में भई ।।
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी । कृपा करहु उर अन्तर्यामी ।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता । आतुर होय दुख हरहु निपाता ।।
जै गिरिधर जै जै सुखसागर । सुर समूह समरथ भटनागर ।।
जय हनु हनु हनुमंत हठीले । बैरिहिंं मारु बज्र की कीले ।।
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो । महाराज प्रभु दास उबारो ।।
ऊँकार हुंकार प्रभु धावो । बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ।।
ॐ ह्रीं ह्रीं ह्रीं हनुमंत कपीसा । ऊँ हुं हुं हनु अरि उर शीशा ।।
सत्य होहु हरि शपथ पाय के । रामदूत धरु मारु जाय के ।।
जय जय जय हनुमन्त अगाधा । दुःख पावत जन केहि अपराधा ।।
पूजा जप तप नेम अचारा । नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ।।
वन उपवन, मग गिरिगृह माहीं । तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ।।
पांय परों कर ज़ोरि मनावौं । यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।
जय अंजनिकुमार बलवन्ता । शंकरसुवन वीर हनुमन्ता ।।
बदन कराल काल कुल घालक । राम सहाय सदा प्रतिपालक ।।
भूत प्रेत पिशाच निशाचर । अग्नि बेताल काल मारी मर ।।
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की । राखु नाथ मरजाद नाम की ।।
जनकसुता हरिदास कहावौ । ताकी शपथ विलम्ब न लावो ।।
जय जय जय धुनि होत अकाशा । सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ।।
चरण शरण कर ज़ोरि मनावौ । यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ।।
उठु उठु चलु तोहि राम दुहाई । पांय परों कर ज़ोरि मनाई ।।
ॐ चं चं चं चं चपत चलंता । ऊँ हनु हनु हनु हनु हनुमन्ता ।।
ऊँ हँ हँ हांक देत कपि चंचल । ऊँ सं सं सहमि पराने खल दल ।।
अपने जन को तुरत उबारो । सुमिरत होय आनन्द हमारो ।।
यह बजरंग बाण जेहि मारै । ताहि कहो फिर कौन उबारै ।।
पाठ करै बजरंग बाण की । हनुमत रक्षा करै प्राण की ।।
यह बजरंग बाण जो जापै । ताते भूत प्रेत सब कांपै ।।
धूप देय अरु जपै हमेशा । ताके तन नहिं रहै कलेशा ।।
दोहा
प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान ।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ।
पहिला विधान :-
मंगलवार या शनिवार के दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर ब्रह्मचर्य का पालन कर हनुमान जी के मंदिर मे जाकर भगवान राम जी कि जपनीय मंत्र का जप कर फिर हनुमान जी को बूंदी और मोती चूर के लड्डू का भोग लगा कर और संकल्प कर यह प्रार्थना करे कि मै आप बजरंग बाण कि पाठ की 40 दिन की साधना करने जा रहा हू। आप निर्विघ्नता पूरवक सम्पूर्ण करवाए । 40 दिन तक आप को हर मंगलवार हनुमान जी को भोग दे चालीसवे दिन भी देना है।
घर मे पूजा स्थल पर हनुमानजी का चित्र या मूर्ति स्थापित करें। तथा बैठने के लिए लाल रंग के आसन का प्रयोग करें। आप पास मे संदूर रखे जो साधना मे रक्षा के लिए प्रयोग मे काम आए गा । शुद्ध तिल का तेल भर दें तथा कच्चे लाल रंग में रंगे सूत की पंचमुखी बत्ती बनाकर दीपक में डालकर प्रज्जवलित करें। हनुमान जी को लाल रंग के पुष्प अर्पण कर शुद्ध गूगल धूप जलाकर हनुमान जी का ध्यान करते हुए बजरंग बाण का पाठ शुरू करें। एक ही बैठक में बजरंग बाण का 108 बार पाठ करना ज्यादा लाभदायक है। उस धूनी की राख को संभाल रख ले साधना मे सुरक्षा घेरा बनाने मे काम आयेगा । बजरंग बाण कि 40 दिन तक जो साधना कर लेता उस की हनुमान जी हर तरह की रक्षा करते है। और क्रूर ग्रहो की शांति होती है। आर्थिक संकट दूर होते है।
जय श्री राम ॐ रां रामाय नम: श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411