कालसर्प दोष के लक्षण और अनुष्ठान
कालसर्प दोष के लक्षण
कालसर्प योग या आधुनिक ज्योतिषियों के अनुसार कालसर्प दोष में उत्पन्न जातक यद्यपि राष्ट्रपति, प्रधान मंत्री ,सेनापति ,बड़ा व्यवसायी कुछ भी हो सकता है। किन्तु कुछ समस्याएं सबको जरुर मिलती हैं। कुछ कमियां जीवन में स्थायी रूप से उत्पन्न हो ही जाती हैं । अथवा कुछ स्वभावगत ,कर्मगत कमियां ही उत्पन्न हो जाती हैं। हम कुछ सामान्य लक्षणों को देखते हैं। जो इस योग के कारण उत्पन्न हो सकते हैं। जरुरी नहीं की सभी लक्षण एक साथ सभी में आयें किन्तु ,कुछ आते ही हैं।
कालसर्प दोष के लक्षण
1- बचपन में अनेक समस्याओं का सामना करना यानि दुर्घटना, चोट लगना, गंभीर बीमारी आदि का होना ।
2- शिक्षा अध्ययन में रुकावट आना या कोई अनेक परेशानियों के कारण बीच में ही पढ़ाई छूट जाना ।
3- विवाह में विलंब भी कालसर्प दोष का ही एक लक्षण है। ऐसी स्थिति में विद्वान ज्योतिषी से संपर्क करने के साथ ही उपयुक्त उपाय से विवाह संभव हो जाता है। इस दोष के चलते वैवाहिक जीवन में तनाव और विवाह के बाद तलाक की स्थिति भी पैदा हो जाती है।
4- संतान का नहीं होना या संतान हो तो उसकी प्रगति में रुकावट आना कालसर्प दोष के कारण ही होता है।
5- परिजन तथा सहयोगियों से बार-बार धोखा मिलना, खासकर ऐसे व्यक्ति जिनका आपने कभी भला किया हो ।
6- घर में कोई सदस्य यदि लंबे समय से बीमार हो और वह स्वस्थ नहीं हो पा रहा हो साथ ही उसकी बीमारी का कारण भी स्पष्ट रूप से पता नहीं चल रहा है।
7- आए दिन बार-बार दुर्घटनाएं होते रहना ।
8- बार-बार नौकरी छूटना या रोजगार में बरकत नहीं होना ।
9- गृहणियों के सामने अनेक परेशानियां आना ।
10- घर में कलह होने के साथ परिवारिक एकता को खतरा ।
11- मांगलिक कार्यों में व्यवधान आना ।
12- परिवार में गर्भपात या अकाल मृत्यु होना भी कालसर्प दोष का लक्षण है।
13- घर के किसी सदस्य पर प्रेत बाधा का प्रकोप होना या स्वभाव में चिड़चिड़ापन रहना ।
14- अनायास विरोधी उत्पन्न होना ,दुश्मनी होना ,किन्ही द्वारा हानि होना ,मुकदमो का सामना करना ।
15- दाम्पत्य जीवन का कटु होना अथवा दाम्पत्य सुख न मिलना ,अथवा दम्पतियों का दूर रहना ,अथवा मध्य आयु में एक की कमी हो जाना ।
16- अथक प्रयत्न पर भी उन्नति न होना ,जो भाग्य में है वह भी न मिल पाना ।
17- अनायास बिन गलतियों के अपयास मिलना ,कलंक लगना ,दोषारोपण होना ।
18- बुरे स्वप्न आना ,स्वप्न में भयानक दृश्य दिखना ,अभिचार ,अथवा वायव्य बाधाओं का शीघ्र प्रभावी हो जाना ।
19- संतान ,संपत्ति और सुख में से एक की कमी हो जाना ,भले तीनो उपलब्ध हों किन्तु किसी कारण वश तीनी हमेशा एक साथ मिल पाना ।
20-जीवन में बार बार उतार -चढ़ाव आना |भविष्य अनिश्चित होना ।
21- स्वभाव में बार बार परिवर्तन होना ,अनावश्यक चिंता ,दबाव ,भय ,ईर्ष्या ,क्रोध उत्पन्न होना अथवा अपनी हानि खुद करना ।
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