धनदा रति प्रिया यक्षिणी साधना
धनदा रति प्रिया यक्षिणी साधना
यह यक्षिणी साधक की सारी आर्थिक तंगी को दूर कर उसे आर्थिक रूप से मजबूत बनाती है। अगर ये प्रसन्न हो जाये तो साधक कुबेर की भाती जीवन जीता है।.यह साधक की आर्थिक उन्नति में सहायक होती है।
विधि:- साधना किसी भी शुभ दिन से शुरू करे या शुक्रवार से .समय रात्रि दस के बाद का हो. आसन वस्त्र पीले या लाल हो दिशा-उत्तर अपने सामने बजोट पर उसी रंग का वस्त्र बिछाये जो आपने पहना है।.एक ताम्र पात्र में बीज मंत्र " हूं " लिखे कुमकुम से और उसके ऊपर एक तील के तेल से भरा हुआ दीपक रखे। अब यथा संभव गुरु पूजन तथा गणेश पूजन करे, कोई भी शिवलिंग स्थापित करे वो न हो तो चित्र रख ले.कोई भी मिठाई या गुड अर्पण करे. दीपक का पूजन करे। तथा संकल्प ले की “में ये प्रयोग अपनी आर्थिक कष्ट मिटाने हेतु कर रहा हु,धनदा रति प्रिया यक्षिणी मुझ पर प्रसन्न हो कर मुझे आर्थिक लाभ प्रदान करे” ।.
इसके बाद स्फटिक माला,रुद्राक्ष माला या मूंगा माला से, ॐ नमः शिवाय की एक माला करे और यक्षिणी मंत्र की कम से कम ११ माला जाप करे। और उसके बाद पुनः एक माला ॐ नमः शिवाय की करे।
इस तरह ये एक दिवस का प्रयोग आपको जीवन में कई लाभ प्रदान करेगा।
साधक चाहे तो अधिक जाप भी कर सकता है। .प्रसाद स्वयं खा ले.नित्य एक माला जाप करते रहे तो जीवन में आने वाले आर्थिक परिवर्तन को आप स्वयं देख लेना। जप दीपक की और देखते हुए करे। और दीपक का भी सामान्य पूजन करे, यक्षिणी का स्वरुप मानकर। यदि इसी साधना को लगातार ४० दिन किया जाये तो प्रत्यक्षीकरण हो जाता है।.उसमे प्रतिदिन आप २१ माला करे.यदि आप उपरोक्त विधान नहीं कर रहे है। तो मात्र गुरु चित्र की और देखते हुए ही जाप कर ले तो अनुकूलता मिलने लगती है।. इस साधना की यही खास बात है। की इसमें ज्यादा ताम झाम नहीं है।
मंत्र:- ॐ हूं ह्रीं ह्रीं ह्रीं धनदा रति प्रिया यक्षिणी इहागच्छ मम दारिद्रय नाशय नाशय सकल ऐश्वर्य देहि देहि हूं फट स्वाहा ।
विशेष - यक्षिणी साधना चूंकि तांत्रिक साधना है। इसलिए कम से कम गुरु से अनुमति अवश्य लें और गुरु कवच धारण करें ,अगर गुरु कवच न हो तो किसी महाविद्या साधक से कवच बनवाकर धारण करें। गुरु से भी एक बार विधिविधान समझ लें । क्योकि संभव है। उनकी परंपरा में विधि कुछ विशिष्ट हो । चूंकि जानकारी सभी के लिए एक सामान्य जानकारी है। यहाँ ,अतः पूर्ण विधि समझना आवश्यक है। जिन लोगों ने पहले तांत्रिक अथवा उच्च ईष्ट की साधनाएँ की हैं। वे अपने गुरु की अनुमति से इसे आसानी से कर सकते हैं।
जय श्री राम ॐ रां रामाय नम: श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411