ऐसे लोग होते हैं, रहस्यमयी विद्याओं

ऐसे लोग होते हैं रहस्यमयी विद्याओं के जानकार -

कुंडली में ग्रहों की स्थिति और योगों के कारण व्यक्ति का स्वभाव और भविष्य निर्मित होता है। किसी व्यक्ति की धर्म-कर्म,ज्योतिष,तंत्र-मंत्र जैसी रहस्यमयी विद्याओं में रुचि है या नहीं,ये बात भी कुंडली के ग्रह योगों से मालूम हो जाती है,यहां जानिए ऐसी ही कुछ योग...

1. यदि कुंडली के द्वादश भाव में शनि हो,नवम भाव में राहु और मंगल हो तो व्यक्ति श्रेष्ठ तंत्र साधक बन सकता है। ऐसे लोग कई मंत्र सिद्धियां प्राप्त कर सकते हैं।

2. कुंडली के द्वादश भाव में शनि और केतु स्थित होते हैं तो व्यक्ति रहस्यमयी विद्याओं में रुचि रखने वाला होता है। व्यक्ति तंत्र का जानकार होता है।

3. जिसकी कुंडली में दशम भाव में मंगल हो,द्वादश भाव में शनि हो,द्वितीय भाव में बुध हो तो व्यक्ति तंत्र और ज्योतिष का जानकार होता है।

4. कुंडली में शनि-केतु एक साथ पंचम भाव में हो तो व्यक्ति हठ योगी और आत्म ज्ञानी होता है। ऐसे लोग हठी स्वभाव के कारण कठोर तप करने वाले होते हैं।

5. जिन लोगों की कुंडली के दशम भाव में केतु, नवम भाव में शुभ गुरु ग्रह, सप्तम भाव में चंद्र हो तो व्यक्ति गुरु की विशेष कृपा से परमात्मा में गहरी आस्था रखने वाला होता है।

6. जिस व्यक्ति की कुंडली के सप्तम भाव में राहु और मंगल स्थित हो तो व्यक्ति ज्ञानी होता है। ऐसे व्यक्ति का जीवन साथी भी श्रेष्ठ साधिक होता है।

7. जिन लोगों की कुंडली में शनि-केतु द्वादश भाव में स्थित हो, मंगल दशम भाव में हो, गुरु ग्रह सप्तम भाव में हो तो व्यक्ति तंत्र और ध्यान मार्ग का साधक होता है। इन लोगों की कुण्डलिनी राहु की महादशा में जागृत हो सकती है और गुरु की कृपा से सफल साधना करते हैं।.

8. कुंडली के लग्न भाव में केतु और लग्नेश (लग्न भाव का स्वामी) षष्ठम भाव में उच्च का होकर स्थित हो तो व्यक्ति ननिहाल पक्ष से आध्यात्मिक गुण प्राप्त करने के कारण आत्म ज्ञानी होता है।

यहां बताए गए सभी योगों का असर अन्य ग्रहों की स्थिति के आधार पर बदल भी सकता है। सही जानकारी के लिए पूरी कुंडली का अध्ययन किया जाना चाहिए।

जिन जातक/जातिकाओं की कुंडली में ग्रहण दोष या पितृ दोष बने हों या राहु/केतु अगर शनि या शुक्र के साथ हों तो ऐसे जातकों की छठी ईन्द्री जागृत ही होती है जिसकी वजह से जातक/जातिका खुद ब खुद ही गुप्त विद्याओं या परालौकिक शक्तीयों के सम्पर्क में जाने लगते हैं। ज्यादातर महिलाओं में ये योग होने से उन्हें अपने जीवन में ऐसी घटनाओं का सामना करना पड़ता है जो आम इंसान के लिए असमान्य हों।

9. कुंडली में सप्तमेश (सप्तम भाव का स्वामी) केतु के साथ एकादश भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति की पत्नी ध्यान-योग में पारंगत होती है। ये लोग पत्नी के कारण आत्म ज्ञानी प्राप्त करते हैं।

10. जिन लोगों की कुंडली में नवम भाव का स्वामी गुरु हो और वह लग्न में स्थित हो तो व्यक्ति पिता से आध्यात्मिक गुण प्राप्त करता है। मंगल दशम भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति साधक होते हैं।

11. कुंडली के सप्तम या एकादश भाव में नीच का गुरु ग्रह हो और लग्न भाव या अष्टम भाव या दशम भाव या द्वादश भाव में शनि-केतु स्थित होते हैं तो व्यक्ति आत्म ज्ञान प्राप्त करता है।

12. जिन लोगों की कुंडली में द्वितीय भाव में बुध-शुक्र स्थित हो, अथवा द्वितीय भाव में बुध हो, तृतीय भाव में शुक्र हो, शनि द्वादश भाव में हो तो व्यक्ति ज्योतिष और तंत्र शास्त्र का जानकार होता है।

जय श्री राम ॐ रां रामाय नम:  श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411