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गुरुवार राम नवमी


गुरुवार राम नवमी   30-03-2023

रामनवमी मुहूर्त : 11:11:38 से 13:40:20 तक

अवधि : 2 घंटे 28 मिनट

रामनवमी मध्याह्न समय : 12:25:59

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में रामनवमी मनाई जाती है जो कि भगवान विष्णु के 7वें अवतार थे। प्रत्येक साल हिन्दू कैंलेडर के अनुसार चैत्र मास की नवमी तिथि को श्रीराम नवमी के रूप मनाया जाता है। चैत्र मास की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक नवरात्रि भी मनाई जाती है। इन दिनों कई लोग उपवास भी रखते हैं।

रामनवमी उत्सव

श्री रामनवमी हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है जो देश-दुनिया में सच्ची श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। यह त्यौहार वैष्णव समुदाय में विशेषतौर पर मनाया जाता है।

1.  आज के दिन भक्तगण रामायण का पाठ करते हैं।
2.  रामरक्षा स्त्रोत भी पढ़ते हैं।
3.  कई जगह भजन-कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है।
4.  भगवान राम की मूर्ति को फूल-माला से सजाते हैं और स्थापित करते हैं।
5.  भगवान राम की मूर्ति को पालने में झुलाते हैं।

राम नवमी की पूजा विधि :-

राम नवमी की पूजा विधि कुछ इस प्रकार है।

पौराणिक मान्यताएँ

1-नवमी तिथि की रोज सबसे पहले सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ कपड़े पहनें.

2-जिसके बाद पूजा स्थल पर प्रभु श्रीराम की प्रतिमा, मूर्ति या फिर फोटो को स्थापित करें.

3-जिसके बाद राम नवमी व्रत का संकल्प करें. अब उनका गंगा जल से ​अभिषेक कराएं.

4-जिसके बाद भगवान श्रीराम का अक्षत्, रोली, चंदन, धूप, गंध आदि से षोडशोपचार पूजन करें.

5-जिसके बाद उनको तुलसी का पत्ता और कमल का फूल अर्पित करें. मौसमी फल भी चढ़ाएं.
पूजा में तुलसी पत्ता और कमल का फूल अवश्य होना चाहिए.

6-घर में बने मीठे पकवान का भोग लगाएं.

7-अब रामचरितमानस, रामायण और रामरक्षास्तोत्र का पाठ करें.

8-इसके बाद भगवान राम की आरती करें.

8-पूजा के दौरान उनकी प्रतिमा को पालने में कुछ देर के लिए झुलाएं.

9-पूजा और आरती गान के बाद प्रसाद का वितरण करें.

10-सबसे अंत में ब्राह्मण को दान-दक्षिणा दें.

श्री रामनवमी की कहानी लंकाधिराज रावण से शुरू होती है। रावण अपने राज्यकाल में बहुत अत्याचार करता था। उसके अत्याचार से पूरी जनता त्रस्त थी, यहाँ तक की देवतागण भी, क्योंकि रावण ने ब्रह्मा जी से अमर होने का वरदान ले लिया था। उसके अत्याचार से तंग होकर देवतागण भगवान विष्णु के पास गए और प्रार्थना करने लगे। फलस्वरूप प्रतापी राजा दशरथ की पत्नी कौशल्या की कोख से भगवान विष्णु ने राम के रूप में रावण को परास्त करने हेतु जन्म लिया। तब से चैत्र की नवमी तिथि को रामनवमी के रूप में मनाने की परंपरा शुरू हुई। ऐसा भी कहा जाता है कि नवमी के दिन ही स्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस की रचना शुरू की थी।

भगवान राम को मर्यादा का प्रतीक माना जाता है. उन्हें पुरुषोत्तम यानि श्रेष्ठ पुरुष की उपमा दी जाती है. प्रभु का तारक मंत्र श्री से प्रारंभ होता है. श्री को सीता (शक्ति) का प्रतीक माना गया है. राम नाम में रा अग्नि स्वरूप है जो हमारे दुष्कर्मों का दाह करता है. वहीं म जल तत्व का घोतक है. जल आत्मा की जीवात्मा पर जीत का कारक है। इस तरह श्री राम का अर्थ है – शक्ति से परमात्मा पर विजय,

राम नाम की चैतन्य धारा से मनुष्य की प्रत्येक आवश्यकता स्वत: ही पूरी हो जाती है. यह नाम स्वर सामर्थ है. श्रीराम अपने भक्त को उनके हृदय में वास कर सौभाग्य प्रदान करते हैं. प्रभु के जितने भी नाम प्रचलित हैं, उनमें सर्वाधिक श्री फल देने वाला नाम राम का ही है. हिंदू धर्म के अनुसार राम नाम में ही पूरा ब्राह्मांड समाया है और सभी देवता भी इसी में समाए हैं. जिसने राम नाम का जाप कर लिया वह अपने मनुष्य जीवन में तर जाता है।

जय श्री राम ॐ रां रामाय नम:  श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411