श्रेणियाँ
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- रविवार ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत
- गुरुवार प्रदोष व्रत ( शुक्ल )
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- सोमवार वृष संक्रांति
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- गुरुवार वैशाख अमावस्या
- मंगलवार मासिक शिवरात्रि
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- रविवार वरुथिनी एकादशी
- रविवार संकष्टी चतुर्थी
- गुरुवार हनुमान जयंती
- सोमवार भारत में बैसाखी पर्व प्रदोष व्रत
- शनिवार कामदा एकादशी
- गुरुवार राम नवमी
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- मंगलवार चैत्र अमावस्या
- सोमवार मासिक शिवरात्रि
- रविवार प्रदोष व्रत ( कृष्ण )
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- शनिवार संकष्टी चतुर्थी
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- सोमवार फाल्गुन अमावस्या
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- गुरुवार विजया एकादशी
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- रविवार माघ पूर्णिमा व्रत
- गुरुवार प्रदोष व्रत ( शुक्ल )
- बुधवार जया एकादशी
- बसंत पंचमी सरस्वती पूजा
- शुक्रवार मासिक शिवरात्रि
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- मंगलवार संकष्टी चतुर्थी
- सोमवार पौष पूर्णिमा व्रत
- बुधवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)
- रविवार पोंगल, उत्तरायण, मकर संक्रांति
- गुरुवार लोह़ड़ी पर्व आनंद और खुशियों का प्रतीक है।
- मोनी ओर शनिचरी माघ अमावस्या
रविवार सफला एकादशी
रविवार सफला एकादशी 7,जनवरी, 2024
भारत सांस्कृतिक विविधताओं का देश है। इसलिए यहां व्रत-उपवास, तीज-त्यौहार के अनेक मौके भी आते हैं। चूंकि हिंदू पंचाग के अनुसार अभी पौष माह चल रहा है। तो इसी माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को विधिनुसार उपवास रखकर आप अपनी हर मनोकामना पूर्ण होने की उम्मीद कर सकते हैं। पाश्चात्य कलेंडर के अनुसार सफला एकादशी का उपवास 7,जनवरी, 2024 में रखा जायेगा। इस उपवास के बाद हर काम में आपको सफलता मिलती है। इसलिए इसे सफला एकादशी व्रत कहा जाता है।
पद्मपुराण में कहा गया है। कि विष्णु भगवान को सफला एकादशी के अनुष्ठान से बहुत जल्द प्रसन्न किया जा सकता है। व दिनभर के उपवास एवं रात्रि जागरण से राजसूय यज्ञ के
7 जनवरी, 2024 के लिए सफला एकादशी का मुहूर्त
सफला एकादशी पारणा मुहूर्त : - 07:15:10 से 09:20:13 तक 8, जनवरी को
अवधि :- 2 घंटे 5 मिनट
26 दिसंबर, 2024 के लिए सफला एकादशी का मुहूर्त
सफला एकादशी पारणा मुहूर्त : - 07:12:29 से 09:16:29 तक 27, दिसंबर को
अवधि :- 2 घंटे 4 मिनट
सफला एकादशी पौराणिक कथा
सफला एकदशी व्रत की एक कथा भी काफी प्रचलित है। चंपावती नगर में राजा माहिष्मान राज करते थे। उनके चार पुत्र थे। उनका बड़ा बेटा लुंपक महापापी था, उसके कुकर्मों से तंग आकर राजा ने उसे राज्य से निकाल दिया। अब लुंपक चोरी-चकारी, लूट-खसौट कर अपना गुजारा करने लगा लेकिन एक दिन सिपाहियों ने उसे पकड़ लिया लेकिन राजा के डर से उसे छोड़ दिया। कहतें हैं। जब प्रभु की कृपा बरसती है। तो वह कुकर्मी को भी सत्कर्मी बनने का मौका देते हैं। ऐसा ही कुछ लुंपक के साथ भी हुआ। एक दिन अन्जानें में ही लुंपक से सफला एकादशी का उपवास रखा गया, दरअसल दशमी की रात लुंपक सर्दी से ठिठुरता रहा और बेहोश हो गया अगले दिन दोपहर बाद उसे होश आया।
शाम को जब वो वन से फल इत्यादि तोड़कर लाया तब तक सूर्यास्त हो चुका था लेकिन नित जीवों की हत्या कर मांसाहार करने वाला लुंपक फलों से कहां संतुष्ट होने वाला था, उसने फलों को नहीं खाया और पीपल के जिस पेड़ के नीचे रहता था उसी को समर्पित करते हुए ईश्वर से प्रार्थना की कि फलाहार वे ही ग्रहण करें। भूख के मारे वह रात भर जागता रहा इस तरह अन्जाने में ही उससे सफला एकादशी का व्रत हो गया। इस तरह भगवान प्रसन्न हुए व उसे राज्य तथा पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मिला। तत्पश्चात लुंपक एक अच्छे इंसान के रुप में पिता के पास पंहुचा और सारा वृतांत बताया पिता ने उसे अपना राज सौंप दिया और भक्ति में लीन हो गए। लुंपक ने भी 15 साल तक राज किया और उसके बाद अपने पुत्र को राज-पाट सौंप कर भगवान श्री हरि की चरणों में लीन हो गया।
सफला एकादशी व्रत व पूजा विधि :-
- एकादशी के दिन प्रात: स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण कर माथे पर चंदन का तिलक लगाएं।
- वैजयंती फूल, फल, गंगाजल, पंचामृत, धूप एवं दीप सहित श्री लक्ष्मी नारायण की पूजा-आरती करें।
- भगवान श्री कृष्ण के अनेक नामों का उच्चारण करते हुए फलों से उनका पूजन करें।
- शाम को दीपदान के पश्चात फलाहार कर सकते हैं। वैष्णव संप्रदाय के लोग तो रात्रि जागरण करते हुए
भगवान श्री हरि का नाम-संकीर्तन भी करते हैं।
एकादशी व्रत कथा हर व्रत को मनाये जाने के पीछे कोई न कोई धार्मिक वजह या कथा छुपी होती है। एकादशी व्रत मनाने के पीछे भी कई कहानियां है। एकादशी व्रत कथा को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। जैसा कि हम सब जानते हैं। एकादशी प्रत्येक महीने में दो बार आती है। जिन्हें हम अलग-अलग नामों से जानते हैं। सभी एकादशियों के पीछे अपनी अलग कहानी छुपी है। एकादशी व्रत के दिन उससे जुड़ी व्रत कथा सुनना अनिवार्य होता है। शास्त्रों के अनुसार बिना एकादशी व्रत कथा सुने व्यक्ति का उपवास पूरा नहीं होता है।
जय श्री राम ॐ रां रामाय नम: श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411