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सोमवार महा नवमी पूजा, शरद नवरात्रि पारण


सोमवार दुर्गा महा नवमी पूजा, शरद नवरात्रि पारण  23,अक्टूबर, 2023

आइए जानते हैं कि 2023 में दुर्गा महा नवमी पूजा कब है व दुर्गा महा नवमी पूजा 2023 की तारीख व मुहूर्त। महानवमी दुर्गा पूजा का तीसरा और अंतिम दिन होता है। इस दिन की शुरुआत भी महास्नान और षोडशोपचार पूजा से होती है। महानवमी पर देवी दुर्गा की आराधना महिषासुर मर्दिनी के तौर पर की जाती है। इसका मतलब है असुर महिषासुर का नाश करने वाली। मान्यता है कि इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इस दिन महानवमी पूजा, नवमी हवन और दुर्गा बलिदान जैसी परंपरा निभाई जाती है।

कब मनाई जाती है महानवमी?

●  यदि नवमी तिथि अष्टमी के दिन ही प्रारंभ हो जाती है तो नवमी पूजा और उपवास अष्टमी को ही किया जाता है।
●   शास्त्रों के अनुसार यदि अष्टमी के दिन सांयकाल से पहले अष्टमी और नवमी तिथि का विलय हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में अष्टमी पूजा, नवमी पूजा और संधि पूजा उसी दिन करने का विधान है।

दुर्गा बलिदान

दुर्गा बलिदान में देवी शक्ति को बलि चढ़ाने की परंपरा है। हालांकि जो लोग बलि की प्रथा को सही नहीं मानते हैं वे प्रतीकात्मक तौर पर फल या सब्जी जैसे केला, कद्दू और ककड़ी की बलि चढ़ा सकते हैं। भारत के ज्यादातर इलाकों और समुदाय में पशु बलि प्रतिबंधित है।

पश्चिम बंगाल के वैल्लूर मठ में नवमी पूजा के दिन प्रतीक के तौर पर कद्दू और गन्ने की बलि चढ़ाई जाती है। दुर्गा बलिदान के लिए सफेद कद्दू का उपयोग करना कूष्माण्ड के तौर पर जाना जाता है। ध्यान रहे कि दुर्गा बलिदान की परंपरा हमेशा उदयव्यापिनी नवमी तिथि को ही करना चाहिए। निर्णय सिंधु के अनुसार नवमी के दिन अपराह्न काल में दुर्गा बलिदान किया जाना चाहिए।

नवमी हवन

महानवमी के दिन नवमी हवन का बड़ा महत्व है। यह हवन नवमी पूजा के बाद किया जाता है। नवमी हवन को चंडी होम भी कहा जाता है। मां दुर्गा के भक्त नवमी हवन आयोजित कर देवी शक्ति से बेहतर स्वास्थ और समृद्धि की कामना करते हैं।

ध्यान रहे कि नवमी का हवन हमेशा दोपहर के समय किया जाना चाहिए। हवन के दौरान प्रत्येक आहुति पर दुर्गा सप्तशी के 700 मंत्रों का पाठ करना चाहिए।

जय श्री राम ॐ रां रामाय नम:  श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411