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शुक्रवार धनतेरस त्रयोदशी


शुक्रवार धनतेरस त्रयोदशी  10,नवंबर, 2023

धनतेरस मुहूर्त :-17:48:50 से 19:44:43 तक

अवधि :- 1 घंटे 55 मिनट

प्रदोष काल :- 17:30:16 से 20:08:15 तक

वृषभ काल :- 17:48:50 से 19:44:43 तक

धन्वन्तरि त्रयोदशी को दीवाली पूजा के दो दिन पहले मनाया जाता है। जैसा कि नाम से ज्ञात होता है इसे कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन को भगवान धन्वन्तरि, जो कि आयुर्वेद के पिता और गुरु है। उनके जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। भगवान धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक है। और भगवान विष्णु के अवतारों में से एक माने जाते हैं। धन्वन्तरि त्रयोदशी के दिन को धन्वन्तरि जयन्ती के नाम से भी जाना जाता है।

पुराणों के अनुसार समुद्र मन्थन के दौरान धन्वन्तरि इसी दिन अमृत पात्र के साथ प्रकट हुए थे। इसीलिए जो लोग आयुर्वेद और दवाओं का अभ्यास करते है।  उनके लिए धन्वन्तरि त्रयोदशी का दिन बहुत महत्वपूर्ण है। इस दिन लोग भगवान धन्वन्तरि की पूजा करते हैं और उनसे अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हैं।

इसी दिन धनत्रयोदशी या धनतेरस का पर्व भी मनाया जाता है। धनत्रयोदशी के सन्दर्भ में यह दिन धन और समृद्धि से सम्बन्धित है और लक्ष्मी-कुबेर पूजा के लिए यह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन लोग धन-सम्पत्ति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए देवी लक्ष्मी के साथ-साथ भगवान कुबेर की पूजा करते हैं। भगवान कुबेर जिन्हें धन-सम्पत्ति का कोषाध्यक्ष माना जाता है और श्री लक्ष्मी जिन्हें धन-सम्पत्ति की देवी माना जाता है।  की पूजा साथ में की जाती है।

धनतेरस यानि धन और तेरस यानि तेहरवा गुना, कहते है। यह दिन धन की वस्तु खरीदने पर वह धन तेरहवा गुना होके वापस आता है। हिंदू धर्म में धनतेरस का काफी अधिक महत्व बताया गया है। धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहते है। यह दिन को भारतीय सरकार ने इसे राष्ट्रिय आयुर्वेद दिन के नाम से भी घोषित किया है। क्यूंकि भगवान् धन्वंतरि को आयुर्वेद चिकित्सा का भगवान माना गया है। साथ ही यह दिन माँ लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर और यमदेव की महत्व बताया गया है।

इस दिन सोने, चांदी की चीज़े लेना बहुत शुभ माना जाता है। इससे धन दौलत में बढ़ोतरी होती है। इस दिन भगवान धन्वंतरि का जन्म हुआ था, इसीलिए इसे धनतेरस के नाम से जाना गया है।

धनत्रयोदशी या धनतेरस के दौरान लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है। और लगभग घण्टे २४ मिनट तक रहता है।

धनतेरस पूजा को करने के लिए हम चौघड़िया मुहूर्त को देखने की सलाह नहीं देते है। क्योंकि वे मुहूर्त यात्रा के लिए उपयुक्त होते हैं। धनतेरस पूजा के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रदोष काल के दौरान होता है। जब स्थिर लग्न प्रचलित होती है। ऐसा माना जाता है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान धनतेरस पूजा की जाये तो लक्ष्मीजी घर में ठहर जाती है। इसीलिए धनतेरस पूजन के लिए यह समय सबसे उपयुक्त होता है। वृषभ लग्न को स्थिर माना गया है और दीवाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ अधिव्याप्त होता है।

धनतेरस पूजा के लिए हम यथार्थ समय उपलब्ध कराते हैं। हमारे दर्शाये गए मुहूर्त के समय में त्रयोदशी तिथि, प्रदोष काल और स्थिर लग्न सम्मिलित होते हैं। हम स्थान के अनुसार मुहूर्त उपलब्ध कराते है। इसीलिए आपको धनतेरस पूजा का शुभ समय देखने से पहले अपने शहर का चयन कर लेना चाहिए।

धनतेरस पूजा को धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। धनतेरस का दिन धन्वन्तरि त्रयोदशी या धन्वन्तरि जयन्ती, जो कि आयुर्वेद के देवता का जन्म दिवस है, के रूप में भी मनाया जाता है।

इसी दिन परिवार के किसी भी सदस्य की असामयिक मृत्यु से बचने के लिए मृत्यु के देवता यमराज के लिए घर के बाहर दीपक जलाया जाता है जिसे यम दीपम के नाम से जाना जाता है। और इस धार्मिक संस्कार को त्रयोदशी तिथि के दिन किया जाता है।

जब आप भगवान कुबेर की पूजा करेंगे तो वह माता लक्ष्मी जी से आपके घर जाने का आग्रह करेगे और लक्ष्मी माता अपने सेवक का आग्रह कभी नहीं टालतीं, इसलिए कुबेर की पूजा धनतेरस और दिवाली के दिन मुख्य रूप से की जाती है।
दिपावली के अलावा कुबेर जी की पूजा धनतेरस के दिन भी की जाती है। जिससे घर में धन का भण्डार हमेशा ही भरा रहे।

भगवान कुबेर को आभूषणों का देवता भी माना जाता है। इसके अलावा अगर आप धन संबंधी परेशानियों से घिरे हुए हैं। तो आप इस दिन कुबेर जी का पूजन करके धन संबंधी परेशानियों को दूर कर सकते हैं। धनतेरस के दिन विशेष रुप से खरीदारी करने की प्रथा है।

इस दिन लोग अपने-अपने घरों  के लिए बर्तन, सोना-चांदी और अन्य उपयोगी चीजें  खरीदते हैं। कहा जाता है। कि धन की देवी लक्ष्मी ने धन संबंधी कार्यों का लेखा-जोखा  भगवान कुबेर को सौंप रखा है। जो स्वंय धनों के देवता कहे जाते हैं। इसलिए धनतेरस के दिन धन प्राप्ति और लाभ पाने के लिए भगवान  कुबेर की पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। इसलिए धनतेरस की रात को माता लक्ष्मी के साथ भगवान कुबेर की पूजा भी करनी चाहिए।

जय श्री राम रां रामाय नम:  श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411