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मंगलवार मार्गशीर्ष अमावस्या


मंगलवार मार्गशीर्ष अमावस्या  12-12-2023

अमावस्या का दिन हिन्दू धर्म में बहुत महत्व रखता है। यह वह दिन होता है जिस दिन चन्द्रमा पूर्ण रूप से दिखाई नहीं देता है। अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है। भौमवती अमावस्या का दिन अमावस्या का ही एक दिन होता है जो मंगलवार के दिन होता है। सरल शब्दों में कहा जाये तो अमावस्या का दिन मंगलवार को आता है तो उस अमावस्या को भौमवती अमावस्या कहा जाता है। भौमवती अमावस्या को ’भौम्य अमावस्या’ या ’भोमवती अमावस्या’ भी कहा जाता है।

ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मंगलवार के दिन जब चन्द्रमा और सूर्य एक ही राशि या अपने पास वाली राशि में प्रवेश करते है तो उसे भौमवती अमावस्य याग बनता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूर्वजों और पितरों के लिए पूजा की जाती है।

भौमवती अमावस्या का महत्व

भौमवती अमावस्या के दिन स्नान, दान और व्रत का विशेष महत्व होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने के बाद दान करने से अक्षय फल मिलता है। यदि गंगा में स्नान नहीं कर सकते है, तो घर पर स्नान करें। स्नान के पानी में गंगा जल मिलाकर स्नान करें और गंगा माँ का ध्यान करें। ऐसा करनें से भी अक्षय फल मिलता है। इस दिन दान व जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाना चाहिए।

भौमवती अमावस्या का दिन मंगल ग्रह की पूजा के लिए समर्पित है और इसलिए किसी की कुंडली में किसी भी मंगल दोष को दूर करने के लिए बहुत उपयुक्त है। यह दिन ’दान’ और ’पुण्य’ गतिविधियों को करने के लिए भी उपयुक्त है। भौमवती अमावस्या को देश के सभी हिस्सों में बहुत उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है।

 

हिन्दू कैलेंडर से अनुसार वह तिथि जब चन्द्रमा लुप्त हो जाता है। उसे अमावस्या के नाम से जाना जाता है। कई लोग अमावस्या को अमावस भी कहते हैं। अमावस्या वाली रात को चांद लुप्त हो जाता है। जिसकी वजह से चारों ओर घना अंधेरा छाया रहता है। यह पखवाड़ा कृष्ण पक्ष कहलाता है। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या के दिन पूजा-पाठ करने का खास महत्व होता है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार महीने के 30 दिनों को चंद्र कला के अनुसार 15-15 दिनों के दो पक्षों में विभाजित किया जाता है। जिस भाग में चन्द्रमा बढ़ते रहता है। उसे शुक्ल पक्ष कहते हैं। और जिस भाग में चन्द्रमा घटते-घटते पूरी तरह लुप्त हो जाए वह कृष्ण पक्ष कहलाता है। शुक्ल पक्ष में चांद बढ़ते-बढ़ते अपने पूर्ण रूप में आ जाता है। मतलब शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को हम पूर्णिमा कहते हैं। इसके विपरीत कृष्ण पक्ष में चांद धीरे-धीरे घटने लगता है। और एक दिन पूरी तरह लुप्त हो जाता है उस अंतिम दिन को हम अमावस्या कहते हैं।

दिन के अनुसार पड़ने वाली अमावस्या के अलग-अलग नाम होते हैं। जैसे सोमवार को पड़ने वाले अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं। जो कि बहुत फलदायक होता है। उसी तरह शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं। जो कि किसी व्यक्ति के लिए बहुत भाग्यशाली रहता है। पितृदेव को अमावस्या का स्वामी माना जाता है। इसीलिए इस दिन पितरों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म या पूजा -पाठ करना अनुकूल माना जाता है। बहुत से लोग अपने पूर्वजों के नाम से हवन करते है और प्रसाद आदि चढ़ाते हैं।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो अमावस्या को पृथ्वी के चक्र में होने वाली एक सामान्य घटना माना जाता है। लेकिन अलग-अलग जगह के लोगों की अपनी मान्यताओं के अनुसार इसे शुभ और अशुभ रूप में देखा जाता है। हिन्दू धर्म के अनुसार माघ के महीने में आने वाली मौनी अमावस्या को बहुत ही शुभ माना जाता है।

हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में 12 अमावस्याएँ होती हैं। जो लोग इस तिथि में विश्वास रखते हैं उनको इस दिन का बहुत इंतज़ार रहता है। वे यह जानने में इच्छुक रहते हैं कि अमावस्या कब है। क्यूंकि इस दिन के लिए उन लोगों को कई सारी तैयारियां करनी होती हैं।

अमावस्या के दिन किए जाने वाले उपाय

अमावस्या के दिन आटे की छोटी-छोटी गोलियां बना लें और किसी तालाब में मछलियों को खिलाएं। ऐसा करने से आपको पुण्य मिलेगा और धन लाभ होगा। यदि आप यह काम घर के बच्चे से करवाते हैं। तो आपके लिए यह और भी फलदायक सिद्ध होगा।
2-  अगर संभव हो तो अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में जा कर स्नान करें या फिर अपने नहाने के पानी में गंगा जल मिलाएं।
3-  अमावस्या के दिन सुबह समय पर उठ जाएं और स्नान आदि करने के बाद हनुमान जी का पाठ करें और उन्हें लड्डू का भोग लगाएं। यदि आप पाठ नहीं कर पा रहे तो हनुमान बीज मंत्र का जाप भी कर सकते हैं। आप पूजा करते समय हनुमान जी के सामने चमेली के तेल का दिया जलाएं।
4-  घर में पूजा करने के अलावा आप मंदिर जाएं और अन्न का दान करें। अन्न दान को हिन्दू धर्म में बहुत बड़ा पुण्य माना गया है। और यदि इस कार्य को अमावस्या के दिन किया जाए तो यह और भी शुभ होता है।
5-  इस दिन शनि देव को तेल का दान करें। साथ में आप काली उड़द और लोहा भी दान कर सकते है।

अमावस्या के दिन करें इन चीजों का दान

1-गौ दान को महादान माना गया है। अगर आप आर्थिक रूप से सबल हैं। तो अमावस्या के दिन गौ दान करें इससे सौ यज्ञों के समतुल्य की प्राप्ति होती है। दैविक काल में अमावस्या के दिन ब्राह्मणों को गौ दान किया जा सकता है।

2-शास्त्रों में अन्न दान को भी विशेष महत्व दिया गया है। पौष अमावस्या के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न दान कर सकते हैं। अगर संभव हो तो भोजन भी करवा सकते हैं। यह भी अन्न दान की श्रेणी में आता है।

3-अमावस्या के दिन अन्न, जल और वस्त्र आदि भी गरीबों और जरूरतमंदों को दान किया जा सकता है। पौष माह में ज्यादा ठंड होने के कारण गरीबों को कंबल और गर्म कपड़े दान भी किए जा सकते हैं।

4-अमावस्या के दिन पितरों को प्रसन्न करने के लिए ब्राह्मणों को भोजन जरूर कराएं. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होतर वंशजों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं।

अमावस्या का महत्व

ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक दृष्टिकोण से अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण होती है। पुराणों के अनुसार इस दिन का पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए विशेष महत्व होता है। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि यह दिन तर्पण, स्नान, दान आदि के लिए बहुत पुण्य और फलदायी होता है। दीपावली जो कि हमारे देश का प्रसिद्ध त्यौहार है। उसे भी अमावस्या के दिन ही मनाया जाता है। अमावस्या की तिथि को ही सूर्य पर ग्रहण लगता है। यह तिथि कालसर्प दोष से पीड़ित जातक की मुक्ति के उपाय के लिए भी असरदार मानी जाती है।

आमतौर पर देखा जाए तो अमावस्या को किसी भी अच्छे कार्य को करने के लिए शुभ नहीं माना जाता है। लेकिन वहीं अगर हम आध्यात्मिक तौर पर देखें तो अमावस्या का खास महत्व होता है। पुराणों में ऐसा कहा गया है। कि इस दिन अपने पूर्वजों को याद कर पूजा करने और गरीबों को दान देने से मनुष्य के पापों का नाश होता है। कई श्रद्धालु अमावस्या के दिन पवित्र जल से स्नान कर उपवास भी रखते है।

वैसे तो सभी अमावस्या को एक समान माना जाता है। लेकिन सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या जिसे हम सोमवती अमावस्या कहते हैं वो अन्य अमावस्या की तुलना में इस विशेष महत्व रखता है।

नारियल के उपाय
अमावस्या की रात एक पानी का नारियल के पांच बराबर टुकड़े कर लीजिये। इन टुकड़ों को शिव की किसी तस्वीर के सामने शाम के समय रख दीजिये और अपनी समस्या शिव को बतायें। रात के समय इन नारियल को खिड़की पर रख दें। सुबह उठते ही इन नारियल को घर से दूर कहीं रख आयें। आपको धन संबंधी लाभ मिलेगा।

सारी परेशानी होगी दूर
महीने की शुरुआत में आप एक लाल धागा अपने गले में पहन लें। ध्यान रहे कि इसमें कोई भी ताबीज ना हो। इस धागे को महीनेभर गले में रखें और अमावस्या की रात के समय कहीं सुनसान जगह पर एक गड्ढा खोदकर दबा दें। आपकी सारी परेशानी दूर होने लगेंगी, ऐसा हर माह करें।