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बुधवार संकट चतुर्थी


बुधवार संकट चतुर्थी 01-10-2023

01 नवंबर 2023 (बुधवार ) को संकष्टी चतुर्थी  पड़ रही है, इसे सकट चौथ भी कहा जाता है। चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को बहुत प्रिय है, इसलिए चतुर्थी तिथि पर गणेश जी की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से बुद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

भगवान गणेश को चतुर्थी तिथि बेहद प्रिय है, इसलिए चतुर्थी तिथि पर गणेश जी की पूजा करना बहुत ही शुभ मंगलकारक माना जाता है। संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से ज्ञान ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस दिन गणेश जी की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति के जीवन से सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। विघ्नहर्ता गणेश सभी के विघ्न हर के सुख शांति समृद्धि देते हैं।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधिः सबसे पहले पूजा के स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछा कर गणेश जी की प्रतिमा को स्थापित कर गंगाजल पंचामृत से अभिषेक कर शुद्ध जल चढ़ाएं। इसके बाद गणेश जी का रोली चंदन सिंदूर लगाकर दूर्वा एवं पुष्प अर्पित करें। पूजा के दौरान गणेश मंत्र का जाप करें। पूजा के दौरान गणेश जी को मोदक या लड्डूओं का भोग लगाएं, पूजा समाप्ति गणेशजी की आरती कर करें।

सकट चौथ 2023 गणेश मंत्र
सकट चौथ के दिन आप गणेश जी की पूजा के समय उनके मंत्रों का जाप करके अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति कर सकते हैं। हालांकि सकट चौथ व्रत संतान और परिवार की सुरक्षा के लिए रखते हैं। लेकिन मंत्र जाप से अपनी अन्य मनोकामनाएं भी पूर्ण कर सकते हैं। गणपति बप्पा जब प्रसन्न होते हैं।  तो फिर कोई भी इच्छा अपूर्ण नहीं रहती है।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। 
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥.
यदि गणपति जी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इसके लिए उपरोक्त मंत्र सबसे सरल मंत्र माना जाता है। यह मंत्र जितना सरल है उतना ही प्रभावशाली भी। यह मंत्र इतना ज्यादा प्रभावशाली है कि कोई भी कार्य शुरू करने से पूर्व इस मंत्र का जाप आपके सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूरा करेगा।

गं गणपतये , एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ,

गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक: 
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।। 
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक: 
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
यदि आपकी कुंडली में गृह दोष हैं तो प्रत्येक बुधवार 11 बार उपरोक्त मंत्र का जाप करें। इस मंत्र में भगवान श्रीगणेश के 12 नामों का जाप किया जाता है। ऐसी मान्यता है यदि आप इस मंत्र का जाप किसी मंदिर में भगवान गणेश के सामने बैठकर करें तो आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी।

त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय। 
नित्याय सत्याय नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
अगर आप किसी कार्य को लेकर बहुत मेहनत करते हैं और काम बनते-बनते बिगड़ जाता है तो उपरोक्त मंत्र का जाप करें। यह मंत्र आपके सभी बिगड़े हुए कार्य को पूर्ण करेंगे। यदि आपको मेहनत करने के बाद भी मंजिल नहीं मिल रही है तो इस मंत्र का 21 बार जाप करें। यह आपके सभी बिगड़े कार्य बना देगा।

गणेश स्तुति मंत्र

हीं श्रीं क्लीं गौं : श्रीन्महागणधिपतये नम: विघ्नेश्वराय नम:

संकष्टी चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश को अन्य सभी देवी-देवतों में प्रथम पूजनीय माना गया है। इन्हें बुद्धि, बल और विवेक का देवता का दर्जा प्राप्त है। भगवान गणेश अपने भक्तों की सभी परेशानियों और विघ्नों को हर लेते हैं। इसीलिए इन्हें विघ्नहर्ता और संकटमोचन भी कहा जाता है। वैसे तो हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए ढेरों व्रत-उपवास आदि किए जाते हैं। लेकिन भगवान गणेश के लिए किए जाने वाला संकष्टी चतुर्थी व्रत काफ़ी प्रचलित है। आईये जानते हैं संकष्टी चतुर्थी के बारे में विस्तार से

संकष्टी चतुर्थी हिन्दू धर्म का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश को अन्य सभी देवी-देवतों में प्रथम पूजनीय माना गया है। इन्हें बुद्धि, बल और विवेक का देवता का दर्जा प्राप्त है। भगवान गणेश अपने भक्तों की सभी परेशानियों और विघ्नों को हर लेते हैं इसीलिए इन्हें विघ्नहर्ता और संकटमोचन भी कहा जाता है। वैसे तो हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं को प्रसन्न करने के लिए ढेरों व्रत-उपवास आदि किए जाते हैं, लेकिन भगवान गणेश के लिए किए जाने वाला संकष्टी चतुर्थी व्रत काफ़ी प्रचलित है। आईये जानते हैं संकष्टी चतुर्थी के बारे में विस्तार से

क्या है।संकष्टी चतुर्थी ?

संकष्टी चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी। संकष्टी संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता हैकठिन समय से मुक्ति पाना

इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है। पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है। इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं। संकष्टी चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है।

कब है। संकष्टी चतुर्थी ?

संकष्टी चतुर्थी कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष के चौथे दिन मनाई जाती है। हिन्दू पंचांग के अनुसार चतुर्थी हर महीने में दो बार आती है जिसे लोग बहुत श्रद्धा से मनाते हैं। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, वहीं अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं। संकष्टी चतुर्थी को भगवान गणेश की आराधना करने के लिए विशेष दिन माना गया है। शास्त्रों के अनुसार माघ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा के बाद की चतुर्थी बहुत शुभ होती है। यह दिन भारत के उत्तरी और दक्षिणी राज्यों में ज्यादा धूम-धाम से मनाया जाता है।

संकष्टी चतुर्थी के अलग-अलग नाम

भगवान गणेश को समर्पित इस त्यौहार में श्रद्धालु अपने जीवन की कठिनाईओं और बुरे समय से मुक्ति पाने के लिए उनकी पूजा-अर्चना और उपवास करते हैं। संकष्टी चतुर्थी को कई अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। कई जगहों पर इसे संकट हारा कहते हैं तो कहीं-कहीं सकट चौथ भी। यदि किसी महीने में यह पर्व मंगलवार के दिन पड़ता है तो इसे अंगारकी चतुर्थी कहा जाता है। अंगारकी चतुर्थी 6 महीनों में एक बार आती है और इस दिन व्रत करने से जातक को पूरे संकष्टी का लाभ मिल जाता है। दक्षिण भारत में लोग इस दिन को बहुत उत्साह और उल्लास से मनाते हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान गणेश का सच्चे मन से ध्यान करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और जातक को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।

संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि -

गणपति में आस्था रखने वाले लोग इस दिन उपवास रखकर उन्हें प्रसन्न कर अपने मनचाहे फल की कामना करते हैं।

●  इस दिन आप प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएँ।
●  व्रत करने वाले लोग सबसे पहले स्नान कर साफ़ और धुले हुए कपड़े पहन लें। इस दिन लाल रंग का वस्त्र धारण करना बेहद शुभ माना जाता है और साथ में यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है।
●  स्नान के बाद वे गणपति की पूजा की शुरुआत करें। गणपति की पूजा करते समय जातक को अपना मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए।
●  सबसे पहले आप गणपति की मूर्ति को फूलों से अच्छी तरह से सजा लें।
●  पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल ताम्बे के कलश में पानी , धुप, चन्दन , प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रख लें।
●  ध्यान रहे कि पूजा के समय आप देवी दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति भी अपने पास रखें। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है।
●  गणपति को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें।
●  संकष्टी को भगवान् गणपति को तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं।
●  गणपति के सामने धूप-दीप जला कर निम्लिखित मन्त्र का जाप करें।

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।

●  पूजा के बाद आप फल, मूंगफली, खीर, दूध या साबूदाने को छोड़कर कुछ भी खाएँ। बहुत से लोग व्रत वाले दिन सेंधा नमक का इस्तेमाल करते हैं लेकिन आप सेंधा नमक नज़रअंदाज़ करने की कोशिश करें।
●  शाम के समय चांद के निकलने से पहले आप गणपति की पूजा करें और संकष्टी व्रत कथा का पाठ करें।
●  पूजा समाप्त होने के बाद प्रसाद बाटें। रात को चाँद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है।

संकष्टी चतुर्थी का महत्व

संकष्टी के दिन गणपति की पूजा करने से घर से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं और शांति बनी रहती है। ऐसा कहा जाता है कि गणेश जी घर में रही सारी विपदाओं को दूर करते हैं और व्यक्ति की मनोकामनाओं को पूरा करते हैं। चन्द्र दर्शन भी चतुर्थी के दिन बहुत शुभ माना जाता है। सूर्योदय से प्रारम्भ होने वाला यह व्रत चंद्र दर्शन के बाद संपन्न होता है। पूरे साल में संकष्टी चतुर्थी के 13 व्रत रखे जाते हैं। सभी व्रत के लिए एक अलग व्रत कथा है।

संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा

संकष्टी चतुर्थी मनाने के पीछे ढेरों पौराणिक कथाएं हैं लेकिन उन सबमें जो सबसे ज्यादा प्रचलित है, हम आपको वह कथा बताने जा रहे हैं।

एक बार माता पार्वती और भगवान शिव नदी के पास बैठे हुए थे तभी अचानक माता पार्वती ने चौपड़ खेलने की अपनी इच्छा ज़ाहिर की। लेकिन समस्या की बात यह थी कि वहां उन दोनों के अलावा तीसरा कोई नहीं था जो खेल में निर्णायक की भूमिका निभाए। इस समस्या का समाधान निकालते हुए शिव और पार्वती ने मिलकर एक मिट्टी की मूर्ति बनाई और उसमें जान डाल दी। मिट्टी से बने बालक को दोनों ने यह आदेश दिया कि तुम खेल को अच्छी तरह से देखना और यह फैसला लेना कि कौन जीता और कौन हारा। खेल शुरू हुआ जिसमें माता पार्वती बार-बार भगवान शिव को मात दे कर विजयी हो रही थीं।

खेल चलते रहा लेकिन एक बार गलती से बालक ने माता पार्वती को हारा हुआ घोषित कर दिया। बालक की इस गलती ने माता पार्वती को बहुत क्रोधित कर दिया जिसकी वजह से गुस्से में आकर बालक को श्राप दे दिया और वह लंगड़ा हो गया। बालक ने अपनी भूल के लिए माता से बहुत क्षमा मांगे और उसे माफ़ कर देने को कहा। बालक के बार-बार निवेदन को देखते हुए माता ने कहा कि अब श्राप वापस तो नहीं हो सकता लेकिन वह एक उपाय बता सकती हैं जिससे वह श्राप से मुक्ति पा सकेगा। माता ने कहा कि संकष्टी वाले दिन पूजा करने इस जगह पर कुछ कन्याएं आती हैं, तुम उनसे व्रत की विधि पूछना और उस व्रत को सच्चे मन से करना।

बालक ने व्रत की विधि को जान कर पूरी श्रद्धापूर्वक और विधि अनुसार उसे किया। उसकी सच्ची आराधना से भगवान गणेश प्रसन्न हुए और उसकी इच्छा पूछी। बालक ने माता पार्वती और भगवान शिव के पास जाने की अपनी इच्छा को ज़ाहिर किया। गणेश ने उस बालक की मांग को पूरा कर दिया और उसे शिवलोक पंहुचा दिया, लेकिन जब वह पहुंचा तो वहां उसे केवल भगवान शिव ही मिले। माता पार्वती भगवान शिव से नाराज़ होकर कैलाश छोड़कर चली गयी होती हैं। जब शिव ने उस बच्चे को पूछा की तुम यहाँ कैसे आए तो उसने उन्हें बताया कि गणेश की पूजा से उसे यह वरदान प्राप्त हुआ है। यह जानने के बाद भगवान शिव ने भी पार्वती को मनाने के लिए उस व्रत को किया जिसके बाद माता पार्वती भगवान शिव से प्रसन्न हो कर वापस कैलाश लौट आती हैं।

 ( संकटनाशन गणेश स्तोत्र )

प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये 1

प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम 2

लम्बोदरं पंचमं षष्ठं विकटमेव
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् 3

नवमं भालचन्द्रं दशमं तु विनायकम
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम 4

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य : पठेन्नर:
विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो 5

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम्
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् 6

जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत्
संवत्सरेण सिद्धिं लभते नात्र संशय: 7

अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां : समर्पयेत
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत: 8

इति श्रीनारदपुराणे संकष्टनाशनं गणेशस्तोत्रं सम्पूर्णम्‌

राम रामाय नमः

श्री राम ज्योति सदन

पंडित आशु बहुगुणा

भारतीय वैदिक ज्योतिष और मंत्र विशेषज्ञ एवं रत्न परामशॅ दाता

मोबाइल नंबर - 9760924411

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