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रविवार हरियाली तीज


रविवार हरियाली तीज  31 जुलाई, 2022

हरियाली तीज या श्रावणी तीज, श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार हरियाली तीज जुलाई या अगस्त के महीने में आती है। हरियाली तीज मुख्यत : महिलाओं का पर्व है। सावन के महीने में जब संपूर्ण धरा पर हरियाली की चादर बिछी रहती है। प्रकृति के इस मनोरम क्षण का आनंद लेने के लिए महिलाएं झूले झूलती हैं।  लोक गीत गाकर उत्सव मनाती हैं। हरियाली तीज के अवसर पर देशभर में कई जगह मेले लगते हैं। और माता पार्वती की सवारी धूमधाम से निकाली जाती है। सुहागन स्त्रियों के लिए हरियाली तीज पर्व बहुत मायने रखता है। क्योंकि सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

हरियाली तीज पर होने वाली परंपरा  -

नवविवाहित लड़कियों के लिए विवाह के बाद पड़ने वाले पहले सावन के त्यौहार का विशेष महत्व होता है। हरियाली तीज के मौके पर लड़कियों को ससुराल से पीहर बुला लिया जाता है।

1.  हरियाली तीज से एक दिन पहले सिंजारा मनाया जाता है। इस दिन नवविवाहित लड़की की ससुराल से वस्त्र, आभूषण, श्रृंगार का सामान, मेहंदी और मिठाई भेजी जाती है।
2.  इस दिन मेहंदी लगाने का विशेष महत्व है। महिलाएं और युवतियां अपने हाथों पर तरह-तरह की कलाकृतियों में मेहंदी लगाती हैं। इस दिन पैरों में आलता भी लगाया जाता है। यह महिलाओं की सुहाग की निशानी है।
3.  हरियाली तीज पर सुहागिन स्त्रियां सास के पांव छूकर उन्हें सुहागी देती हैं। यदि सास न हो तो जेठानी या किसी अन्य वृद्धा को दी जाती है।
4.  इस दिन महिलाएं श्रृंगार और नए वस्त्र पहनकर मां पार्वती की पूजा करती हैं।
5.  हरियाली तीज पर महिलाएं व युवतियां खेत या बाग में झूले झूलती हैं। और लोक गीत पर नाचती-गाती हैं।

हरियाली तीज पूजा विधि :-

शिव पुराण के अनुसार हरियाली तीज के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का पुनर्मिलन हुआ था इसलिए सुहागन स्त्रियों के लिए इस व्रत की बड़ी महिमा है। इस दिन महिलाएं महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। हरियाली तीज की पूजा विधि इस प्रकार है।

1-इस दिन साफ-सफाई कर घर को तोरण-मंडप से सजायें। एक चौकी पर मिट्टी में गंगाजल मिलाकर शिवलिंग, भगवान गणेश, माता पार्वती और उनकी सखियों की प्रतिमा बनायें।
2- मिट्टी की प्रतिमा बनाने के बाद देवताओं का आह्वान करते हुए षोडशोपचार पूजन करें।
3-  हरियाली तीज व्रत का पूजन रातभर चलता है। इस दौरान महिलाएं जागरण और कीर्तन भी करती हैं।

हरियाली तीज पर तीन बातों को त्यागने की परंपरा  -

हरियाली तीज पर हर महिला को तीन बुराइयों को छोड़ने का संकल्प लेना चाहिए। ये तीन बातें इस प्रकार है

1.  पति से छल-कपट ,
2.  झूठ व दुर्व्यवहार करना ,
3.  परनिंदा ( दूसरो की बुराई करने से बचना )

हरियाली तीज का पौराणिक महत्व -

हिंदू धर्म में हर व्रत, पर्व और त्यौहार का पौराणिक महत्व होता है। और उससे जुड़ी कोई रोचक कहानी व कथा होती है। हरियाली तीज उत्सव को भी भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। इस कड़ी तपस्या और 108 वें जन्म के बाद माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त किया। कहा जाता है। कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को ही भगवान शंकर ने माता पार्वती को पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से ऐसी मान्यता है। कि, भगवान शिव और माता पार्वती ने इस दिन को सुहागन स्त्रियों के लिए सौभाग्य का दिन होने का वरदान दिया। इसलिए हरियाली तीज पर भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन और व्रत करने से विवाहित स्त्री सौभाग्यवती रहती है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

तीज के दौरान, महिलाएं माँ पार्वती और भगवान शिव की आराधना करती हैं। वे अपनी शादी में सुख और सफलता का आशीर्वाद पाने के लिए ऐसा करती हैं। प्रत्येक वर्ष तीज के उत्सव की तिथि चन्द्रमा के चक्र के आधार पर निर्धारित की जाती है। भारत में, यह त्योहार वार्षिक रूप से मानसून के मौसम के दौरान जुलाई या अगस्त में मनाया जाता है।

तीज पत्नी पार्वती और पति शिव के बीच के रिश्ते को दर्शाता है। यह त्योहार अपने पति के लिए देवी पार्वती के अटूट समर्पण का प्रतीक है। तीज के दौरान स्त्रियां अपनी शादी को मजबूत बनाने के लिए और अच्छा पति पाने के लिए माता पार्वती की पूजा करती हैं। तीज का त्योहार ना केवल मजबूत विवाह पर केंद्रित है, बल्कि यह बच्चों की खुशी और स्वास्थ्य पर भी केंद्रित होता है।

तीज ना केवल विवाह और पारिवारिक बंधनों पर आधारित होता है, बल्कि यह मानसून पर भी आधारित होता है। मानसून का मौसम लोगों को तेज गर्मियों के मौसम से राहत देता है।

जय श्री राम ॐ रां रामाय नम:  श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411