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गुरुवार हनुमान जयंती


गुरुवार हनुमान जयंती 

अप्रैल 5, 2023 को 09:21:42 से पूर्णिमा आरम्भ

अप्रैल 6, 2023 को 10:06:36 पर पूर्णिमा समाप्त

 

हनुमान जयंती भगवान हनुमानजी के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। इस दिन भक्तगण बजरंगबली के नाम का व्रत रखते हैं। प्रत्येक वर्ष हनुमान जयंती चैत्र मास (हिन्दू माह) की पूर्णिमा को मनाई जाती है, हालाँकि कई स्थानों में यह पर्व कार्तिक मास (हिन्दू माह) के कृष्णपक्ष के चौदवें दिन भी मनाई जाती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा- अर्चना करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से शनि दोषों से मुक्ति मिलती है। 
हनुमान जी को प्रसन्न करने के आसान उपाय

हनुमान चालीसा का पाठ

हनुमान जी को खुश करने का सबसे आसान उपाय है नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए। हनुमान चालीसा का पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

श्री राम नाम का संकीर्तन 

जो व्यक्ति नियमित रूप से श्री राम नाम का संकीर्तन करता है उस पर हनुमान जी की विशेष कृपा रहती है। व्यक्ति को रोजाना श्री राम नाम का संकीर्तन करना चाहिए।

व्रत एवं पूजा विधि :-

आइए जानते हैं कि हनुमान जयंती को कैसे मनाया जाता है। नीचे व्रत एवं पूजा विधि का विवरण दिया जा रहा है।

इस दिन तात्कालिक तिथि (राष्ट्रव्यापिनि) को लिया जाता है।
2.  व्रत की पूर्व रात्रि को ज़मीन पर सोने से पहले भगवान राम और माता सीता के साथ-साथ हनुमान जी का स्मरण करें।
3.  प्रात: जल्दी उठकर दोबार राम-सीता एवं हनुमान जी को याद करें।
4.  जल्दी सबेरे स्नान ध्यान करें।
5.  अब हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करें।
6.  इसके बाद, पूर्व की ओर भगवान हनुमानजी की प्रतिमा को स्थापित करें।
7.  अब विनम्र भाव से बजरंगबली की प्रार्थना करें।
8.  आगे षोडशोपाचार की विधि विधान से श्री हनुमानजी की आराधना करें।

-हनुमान वडवानल स्तोत्र पाठ करने की विधि*

*हनुमान मंत्रों का प्रयोग किसी भी शुभ मुहूर्त मंगलवार या शनिवार से किया जा सकता है, लेकिन इस मुहूर्त में किए जाने वाले पूजन-अर्चन कई गुना लाभ पहुंचाते हैं।*

प्रात:काल उठकर नित्य कर्म कर,स्नान कर लें। स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को शुद्ध कर लें। हनुमान जी की मूर्ति या चित्र के सामने लाल आसन पर बैठ जायें। सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें, उसके बाद श्रीराम सहित माता सीता की पूजा करें। तत्पश्चात हनुमान जी की पूजा विधिपूर्वक करें। सरसों के तेल का दीपक जलाकर हनुमानजी के सम्मुख रखें ।

*उसके बाद “हनुमान वडवानल स्तोत्र” का पाठ 108 बार करें । यह पाठ लगातार 41 दिनों तक करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। 41 दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करें और सात्विक भोजन करें । सभी प्रकार के व्यभिचार से दूर रहें।*

*विनियोग:-*

दाहिने हाथ में जल लेकर निम्न मंत्र को पढ़े और उसके बाद जल को भूमि पर छोड़ दें:-

*ॐ अस्य श्री हनुमान् वडवानल-स्तोत्र मन्त्रस्य श्रीरामचन्द्र ऋषि:, श्रीहनुमान् वडवानल देवता, ह्रां बीजम्, ह्रीं शक्तिं, सौं कीलकं, मम समस्त विघ्न-दोष निवारणार्थे, सर्व-शत्रुक्षयार्थे सकल- राज- कुल- संमोहनार्थे, मम समस्त- रोग प्रशमनार्थम् आयुरारोग्यैश्वर्याऽभिवृद्धयर्थं समस्त- पाप-क्षयार्थं श्रीसीतारामचन्द्र-प्रीत्यर्थं च हनुमद् वडवानल-स्तोत्र जपमहं करिष्ये।*

*ध्यान:-*

दोनों हाथ जोड़कर हनुमान जी का ध्यान करें:-

मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठं ।

वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतम् शरणं प्रपद्ये ।।

* उसके बाद विधिपूर्वक पूजा करके स्तोत्र आरम्भ करें:*-

*वडवानल स्तोत्रम्:-*

*ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते प्रकट-पराक्रम सकल- दिङ्मण्डल- यशोवितान- धवलीकृत- जगत-त्रितय वज्र-देह रुद्रावतार लंकापुरीदहय उमा-अर्गल-मंत्र उदधि-बंधन दशशिर: कृतान्तक सीताश्वसन वायु-पुत्र अञ्जनी-गर्भ-सम्भूत श्रीराम-लक्ष्मणानन्दकर कपि-सैन्य-प्राकार सुग्रीव-साह्यकरण पर्वतोत्पाटन कुमार- ब्रह्मचारिन् गंभीरनाद सर्व- पाप- ग्रह- वारण- सर्व- ज्वरोच्चाटन डाकिनी- शाकिनी- विध्वंसन ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महावीर-वीराय सर्व-दु:ख निवारणाय ग्रह-मण्डल सर्व-भूत-मण्डल सर्व-पिशाच-मण्डलोच्चाटन भूत-ज्वर-एकाहिक-ज्वर, द्वयाहिक-ज्वर, त्र्याहिक-ज्वर चातुर्थिक-ज्वर, संताप-ज्वर, विषम-ज्वर, ताप-ज्वर, माहेश्वर-वैष्णव-ज्वरान् छिन्दि-छिन्दि यक्ष ब्रह्म-राक्षस भूत-प्रेत-पिशाचान् उच्चाटय-उच्चाटय स्वाहा ।*

*ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्र: आं हां हां हां हां ॐ सौं एहि एहि ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ हं ॐ नमो भगवते श्रीमहा-हनुमते श्रवण-चक्षुर्भूतानां शाकिनी डाकिनीनां विषम-दुष्टानां सर्व-विषं हर हर आकाश-भुवनं भेदय भेदय छेदय छेदय मारय मारय शोषय शोषय मोहय मोहय ज्वालय ज्वालय प्रहारय प्रहारय शकल-मायां भेदय भेदय स्वाहा।*

*ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते सर्व-ग्रहोच्चाटन परबलं क्षोभय क्षोभय सकल-बंधन मोक्षणं कुर-कुरु शिर:-शूल गुल्म-शूल सर्व-शूलान्निर्

मूलय निर्मूलय नागपाशानन्त- वासुकि- तक्षक- कर्कोटकालियान् यक्ष-कुल-जगत-रात्रिञ्चर-दिवाचर-सर्पान्निर्विषं कुरु-कुरु स्वाहा।*

*ॐ ह्रां ह्रीं ॐ नमो भगवते महा-हनुमते राजभय चोरभय पर-मन्त्र-पर-यन्त्र-पर-तन्त्र पर-विद्याश्छेदय छेदय सर्व-शत्रून्नासय नाशय असाध्यं साधय साधय हुं फट् स्वाहा।*

*।। इति विभीषणकृतं हनुमद् वडवानल स्तोत्रं ।।*

* उपरोक्त हनुमद वडवानल स्तोत्र का निरंतर एक से ग्यारह पाठ करने से सभी समस्याओ का हल निश्चित मिलता है*।

पौराणिक कथा

अंजना एक अप्सरा थीं, हालाँकि उन्होंने श्राप के कारण पृथ्वी पर जन्म लिया और यह श्राप उनपर तभी हट सकता था जब वे एक संतान को जन्म देतीं। वाल्मीकि रामायण के अनुसार केसरी श्री हनुमान जी के पिताथे। वे सुमेरू के राजा थे और केसरी बृहस्पति के पुत्र थे। अंजना ने संतान प्राप्ति के लिए 12 वर्षों की भगवान शिव की घोर तपस्या की और परिणाम स्वरूप उन्होंने संतान के रूप में हनुमानजी को प्राप्त किया। ऐसा विश्वसा है कि हनुमानजी भगवान शिव के ही अवतार हैं।

जय श्री राम ॐ रां रामाय नम:  श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411