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बुधवार षटतिला एकादशी
बुधवार षटतिला एकादशी 18-01-2023
हिंदू शास्त्रों में एकादशी के व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है। एक साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। यानी हर महीने में दो एकादशी. भगवान विष्णु को समर्पित सभी एकादशी व्रतों को सारी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला और मोक्षदायक माना गया है।
षटतिला एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। कुछ लोग बैकुण्ठ रूप में भी भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। षटतिला एकादशी पर तिल का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन 6 प्रकार से तिलों का उपोयग किया जाता है। इनमें तिल से स्नान, तिल का उबटन लगाना, तिल से हवन, तिल से तर्पण, तिल का भोजन और तिलों का दान किया जाता है, इसलिए इसे षटतिला एकादशी व्रत कहा जाता है।
हिंदू शास्त्रों में एकादशी के व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है। एक साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। यानी हर महीने में दो एकादशी. भगवान विष्णु को समर्पित सभी एकादशी व्रतों को सारी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला और मोक्षदायक माना गया है। षटतिला एकादशी पर तिल का विशेष महत्व माना जाता है। पूजा से लेकर दान और हवन करने तक इसका प्रयोग किया जाता है। जानिए इस व्रत से जुड़ी अन्य जानकारी।
षटतिला एकादशी पारणा मुहूर्त :-
07:14:31 से 09:21:29 तक 19, जनवरी को
‘षटतिला एकादशी’, जानिए कैसे करें इस दिन व्रत और क्या है। इसका महत्व ?
माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को ‘षटतिला एकादशी’ कहते हैं। इस बार ‘षटतिला हिंदू शास्त्रों में एकादशी के व्रत को सभी व्रतों में श्रेष्ठ माना गया है। एक साल में कुल 24 एकादशी पड़ती है। यानी हर महीने में दो एकादशी. भगवान विष्णु को समर्पित सभी एकादशी व्रतों को सारी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला और मोक्षदायक माना गया है। षटतिला एकादशी पर तिल का विशेष महत्व माना जाता है। पूजा से लेकर दान और हवन करने तक इसका प्रयोग किया जाता है।
अपने नाम के अनुरूप यह व्रत तिल से जुड़ा हुआ है। तिल का महत्व तो सर्वव्यापक है और हिन्दू धर्म में तिल बहुत पवित्र माने जाते हैं। विशेषकर पूजा में इनका विशेष महत्व होता है। इस दिन तिल का 6 प्रकार से उपयोग किया जाता है।
1. तिल के जल से स्नान करें
2. पिसे हुए तिल का उबटन करें
3. तिलों का हवन करें
4. तिल मिला हुआ जल पीयें
5. तिलों का दान करें
6. तिलों की मिठाई और व्यंजन बनाएं
जानिए इस व्रत से जुड़ी अन्य जानकारी –
षटतिला एकादशी पर तिलों का प्रयोग छह तरीके से करने का विधान है। इस दिन काले तिल का उबटन लगाते हैं। तिल को पानी में डालकर स्नान किया जाता है। तिल से हवन होता है। तर्पण किया जाता है। तिल को भोजन में शामिल किया जाता है। और विशेष रूप से इसे दान किया जाता है।
षटतिला एकादशी व्रत विधि : -
एकादशी व्रत के नियम दशमी रात से ही शुरू हो जाते हैं। दशमी को त्र सूर्यास्त के बाद भोजन ग्रहण न करें और रात में सोने से पहले भगवान विष्णु का ध्यान करें. सुबह जल्दी उठकर तिल का उबटन लगाएं और जल में तिल डालकर स्नान करें. स्नान आदि करके पूजा स्थल पर भगवान के सामने व्रत का संकल्प लें इसके बाद विघ्नहर्ता भगवान गणेश को नमन करने के बाद भगवान विष्णु का स्मरण करें।
फिर पांच मुट्ठी तिल लेकर 108 बार ओम नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें. पूजा के दौरान भगवान को धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें. तिल की आहुति दें. व्रत कथा पढ़ें या सुनें. रात में कीर्तन करें. इसी के साथ भगवान से किसी प्रकार से हुई गलती के लिए क्षमा मांगे. दूसरे दिन सुबह किसी ब्राह्मण को भोजन खिलाएं व भोजन में तिल से बनी किसी चीज को शामिल करें. फिर दक्षिणा और तिल का दान करें. इसके बाद व्रत खोलें ।
व्रत कथा - प्राचीन काल में पृथ्वी लोक पर एक विधवा ब्राह्मणी रहती थी. जो भगवान विष्णु की बहुत बड़ी भक्त थी और पूरी श्रद्धा से उनका पूजन किया करती थी. एक बार की बात है कि उस ब्राह्मणी ने पूरे एक माह तक व्रत रखकर भगवान की उपासना की और व्रत किया. व्रत के प्रभाव से उसका शरीर तो शुद्ध हो गया लेकिन वो ब्राह्नणी कभी अन्न दान नहीं करती थी.
तब एक दिन भगवान विष्णु स्वयं उस ब्राह्मणी के पास भिक्षा मांगने पहुंचे. जब विष्णु देव ने भिक्षा मांगी तो उसने एक मिट्टी का पिण्ड उठाकर उन्हें दे दिया. इसके बाद जब ब्राह्मणी देह त्याग कर परमात्मा के लोक में गई तो उसे एक खाली कुटिया और आम का पेड़ प्राप्त हुआ खाली कुटिया को देखकर ब्राह्मणी ने प्रश्न किया कि मैं तो धर्मपरायण हूं फिर मुझे खाली कुटिया क्यों मिली? तब भगवान ने कहा कि यह अन्नदान नहीं करने और मिट्टी का पिण्ड दान देने की वजह से हुआ है।
तब भगवान विष्णु ने उस ब्रह्माणी को बताया कि जब देव कन्याएं आपसे मिलने आएं, तब आप अपना द्वार तभी खोलना जब वो आपको षटतिला एकादशी के व्रत का विधान बताएं. ब्राह्मणी ने देव कन्याओं से व्रत विधान जाना और फिर पूरे विधि विधान के साथ षटतिला एकादशी का व्रत किया जिससे उसकी कुटिया धन धान्य से भर गई ।
ॐ राम रामाय नमः
श्री राम ज्योति सदन
पंडित आशु बहुगुणा
भारतीय वैदिक ज्योतिष और मंत्र विशेषज्ञ एवं रत्न परामशॅ दाता ।
मोबाइल नंबर - 9760924411
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