चमत्कारिक तान्त्रिक वनस्पतियों

चमत्कारिक तान्त्रिक वनस्पतियों का रहस्य

दूब

दूब, चावल और तिल-दुर्गाजी के मंत्र से सिद्ध करके घर में बिखेरने पर कर्मशक्ति जाग्रत होती है और दुर्भाग्य टलता है |
दूब को लक्ष्मीजी के मंत्र से सिद्ध करके, (एक बार मंत्र पढ़े) पीसकर बहते हुए रक्त वाले स्थान पर रखकर दबाने से रक्त बंद हो जाता है |
दूब को घर के आगे लगाने से घर में लक्ष्मी का आगमन होता है |

हल्दी

हल्दी की माला बनाकर ‘ॐ ह्रीं श्रीं श्रीं श्रीं कमलाये नम: |’ – मंत्र 1188 बार जपने से धन, भोग, प्रेम और विवाह सम्बन्धी मनोकामना पूर्ण होती है |
हल्दी के मनकों की माला पहनने और श्रीमंत्र का जाप करने से सभी कामनाएं पूर्ण होती हैं |
हल्दी, दारु हल्दी, काली हल्दी, सहदेई और गोरोचन को घोट-पीसकर, 1188 मंत्र से सिद्ध करके तिलक करें, तो जो देखे वश में हो जाये |
हल्दी, धनिया, बरगद की जड़, आक की जड़ और आम की जड़ या गूलर की जड़-इन सबको हल्दी रंगे कपड़े में बांधकर 108 मन्त्रों से सिद्ध करके घर के उत्तर में दबा दें | तीन दिन बाद इसे निकालकर तिजोरी में रखें, तो धन कभी न घटे |
गांठ समेत हल्दी का पौधा उखाड़कर कार्तिक माह की षष्ठी की सुबह सूर्योदय के समय 108 सूर्य मंत्र या विष्णु मंत्र से अभिमंत्रित करें | अभिमन्त्रण के समय कमर-भर स्वच्छ जल में नंगे पांव नग्न होकर या एक वस्त्र में (भीगा) खड़े रहें और सूर्य की ओर मुख रखें |

यह पौधा घर के दरवाजे पर लगा दें, तो सूखने पर भी सभी मनोकामना की पूर्ति होगी |

नागपुष्पी

नागपुष्पी की जड़ को 108 शिव मंत्र से सिद्ध करके चांदी के ताबीज में गले में धारण करने से –

मृत्युयोग कटता है |
आयु बढ़ती है |
सर्प का भय नहीं रहता |
भूत-प्रेत का भय नहीं रहता |
दरिद्रता का नाश होता है |
जो दृष्टि मिलाये वशीभूत होता है |

गुलाब

काले गुलाब की जड़ को 108 भैरव मंत्र से सिद्ध करके इसे खा जायें | 21 दिन प्रात:काल यह क्रिया करके जल पिने से नपुंसकता दूर होती है और शनि की दुर्बलता का प्रकोप दूर होता है |
काले गुलाब की जड़ को 108 भैरव मंत्र सिद्ध करके ताबीज बनाकर पहनने से शनि का प्रकोप दूर होता है और वांछित प्रेमी या प्रेमिका रति के लिए रजामंद होते हैं |
लाल गुलाब के पांच फूल को प्रतिदिन दुर्गा मंत्र से अभिमन्त्रित करके सेवन करने से दुर्गाजी की कृपा होती है, रुके हुए कार्य सम्पन्न होते हैं |
लाल गुलाब को 108 भैरव मंत्र से सिद्ध करके किसी पुरुष या स्त्री को भेंट दें, तो वह प्रेम में वशीभूत हो जाते हैं |
नारंगी रंग के प्रकाश में पीले या इसी रंग के गुलाब को 108 लक्ष्मी मंत्र से सिद्ध करके किसी स्त्री को भेंट करने पर वह वशीभूत होती है |

अनार

अनार की छाल, हल्दी, दारू हल्दी, चन्दन, सरसों और मसूर की दाल को बराबर लेकर पिस-घोटकर उबटन बनायें | 108 लक्ष्मी मंत्र से सिद्ध करें | इसे उबटन की तरह लगाकर सुखाकर जो युवती स्नानादि करके किसी भी पुरुष के सामने जाये, तो वह वशीभूत हो जायेगा |
अनार की जड़ में किसी स्त्री के अधोवस्त्र दबाकर, जल देकर उसके नाम पर लक्ष्मी मंत्र की जाप करके वशीकरण की कामना करें, तो वह स्त्री वशीभूत हो जाती है | पुरुष के लिए श्रीकृष्ण का मंत्र पढ़े | वशीकरण के लिए शाबर, डामर मंत्र भी कार्य करते हैं |
एक ही पेड़ के अनार के पके हुए 1188 दाने लेकर किसी भी स्त्री-पुरुष (यह केवल प्रेम और प्रणयभाव के लिए है) के अधोवस्त्र में लपेटकर बरगद की जड़ में 24 घण्टे दबा दें | इसके बाद इसे निकालकर एक-एक करके

ॐ नम: मोहिनी कमलवासिनी …

वशीकृत कूरूँ- कूरूँ नम: नमे |

जल में अर्द्धरात्रि को डालें, तो दाने की समाप्ति पर वह स्त्री या पुरुष सभी बंधन तोड़कर वहां आ जायेंगे |

एक साबुत पका हुआ अनार लेकर उसे गोरोचन में चारों ओर से सिक्त करें; फिर उसे पान के पत्ते पर रखकर अर्द्धरात्रि में पूर्ण एकाग्रचित होकर 1188 मंत्र पढ़ें | जिसे वशीकृत करना हो, उसका नाम खाली जगह पर जपें | वह निश्चित वशीकृत होगा |
एक पके हुए अनार में 21 लौंग चीरकर, पान के पत्ते में लपेटकर बांध दें | इसे अपने सिरहाने रखें | प्रतिदिन रात्रि में इसे हाथ में लेकर 108 बार उपर्युक्त वशीकरण मंत्र पढ़ें | इस प्रकार 9 रात्रि करें | इसके बाद लौंग निकालकर छाया में सुखा लें | वांछित स्त्री-पुरुष को 21 दिन किसी बहाने खिलायें, तो वह हमेशा के लिए वश में हो जायेगा |
भोजपत्र

भोजपत्र की टहनियों की धूप से भूत-प्रेत, जिन्नादि भाग जाते हैं | मंत्रोच्चार करते हुए ढीले वस्त्रों में रोगी को ऐसे बैठाएं कि सरे शरीर पर धुआं लगे |
भोजपत्र पर विष्णु, मोहिनी, तुलसी, वशीकरण, आकर्षण आदि से सम्बंधित मंत्र लिखकर सिद्ध करके पहनने से वांछित फल की प्राप्ति होती है |

भोजपत्र की जड़, अनार की जड़, सहदेई की जड़, श्वेतार्क की जड़ और गुंजा की जड़ को पिस-घोटकर गोरोचन के साथ तिलक करने से इतना सशक्त वशीकरण होता है कि प्राणों का दुश्मन भी दास बन जाता है

कनेर

पार्वती सिद्धि

दिन- सोमवार

श्वेत कनेर के पुष्प को पार्वती मंत्र से सिद्ध करके शिवजी पर चढ़ाने से शिवजी प्रसन्न होती हैं और आयु बढ़ती है |
श्वेत कनेर के पुष्प को पार्वती मंत्र से सिद्ध करके प्रतिदिन 10 की संख्या में पानी में बहाने से सभी मनोकामना पूर्ण होता है |
श्वेत कनेर की जड़ को घिसकर गाय के घी और सिन्दूर के साथ तिलक लगाने पर (8 घण्टे घोटें) देवी प्रसन्न होती है और वशीकरण होता है |
श्वेत कनेर की कलम और काले धतूरे के रस में गोरोचन मिलाकर 108 भोजपत्र पर किसी भी व्यक्ति का नाम लिखकर, अनार की लकड़ी जलाकर गौरी मंत्र (पार्वती) पढ़ते हुए आग में एक-एक करके जलाने पर विदेश में रहने वाला व्यक्ति, जो रूठकर गया हो, वापस आ जाता है |
लाल कनेर के 108 फूल दुर्गाजी की प्रतिमा, पिण्डी या तस्वीर पर पूर्ण एकाग्रता से एक-एक करके दुर्गा मंत्र पढ़कर चढ़ाने पर जो भी मनोकामना होती है, वह पूर्ण होती है |
लाल कनेर की जड़ को 108 मन्त्रों से सिद्ध करके बांह में बांधने से (दायीं पुरुष, बायीं स्त्री) दुर्गाजी की कृपा से सभी बिगड़े काम बनते है |
लाल कनेर जड़ को 108 मन्त्रों से सिद्ध करके कमर में बांधने से काम की शक्ति में वृद्धि होती है |
लाल कनेर की 7 अंगुल की जड़ मृगशिरा नक्षत्र में लाकर किसी भी व्यक्ति के नाम पर 108 मन्त्रों से सिद्ध करके अनार की जड़ में धरती पर कीलने से प्रेमी या प्रेमिका पर वशीकरण होता है |
काले कनेर की जड़ को 108 भैरव मंत्र से सिद्ध करके

गले में ताबीज बांधने से हृदय विकार दूर होते हैं |
कमर में बांधने से कमर दर्द और नपुंसकता या बन्ध्यापन दूर होता है |
घिसकर कुम्हार के चाक की मिट्टी के साथ 108 मन्त्रों से अभिमंत्रित करके नाभि, पेट और कमर पर लेप करने से बन्ध्या भी पुत्रवती होती है |
पानी में घिसकर गोरोचन और रक्तचन्दन मिलाकर तिलक करने से दृष्टि मिलाते ही प्रेमी या प्रेमिका या किसी स्त्री-पुरुष पर वशीकरण होता है |
गले में बांधने से या बांह में बांधने से भूत-प्रेत बाधा दूर होती है |
काले कनेर के पुष्प को चिता की अग्नि या सैर की लकड़ी की आग में मंत्र पढ़ते हुए एक-एक करके डालने पर (भैरव मंत्र) किसी व्यक्ति की छवि मानस में एकाग्र करके उसके लिए मृत्यु की कामना करके डालें, तो वह व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त होता है | उस व्यक्ति के बाल मिल जाये, तो और भी शक्ति से कार्य होता है |

चमेली

भैरव सिद्धि आवश्यक है

रविपुष्प में लाये चमेली की जड़ का ताबीज भैरवजी के मंत्र से (108) सिद्ध करके पहनने से शत्रु एवं भूत-प्रेत से रक्षा होती है |
चमेली के पुष्प की माला को 108 भैरव मंत्र से सिद्ध करके पहनने से शत्रु एवं भूत-प्रेत से रक्षा होती है |
चमेली के पत्तों के रस को सिन्दूर में मिलाकर सिद्ध करके तिलक करने पर त्रिभुवन वश में हो जाते है |
चमेली की जड़ को सिद्ध करके मूलाधार पर बांधने से कामभाव बढ़ता है |
कोई स्त्री यदि चाहने पर भी आकर्षित नहीं हो रही हो, उसे चमेली के पुष्पों की माला सिद्ध करके पहनाने पर वश में हो जाती है |

अपामार्ग

दुर्गाजी सिद्ध होनी चाहिए

इसकी चार अंगुल की जड़ को गाय के घी से सिद्ध करके योनी में प्रविष्ट कराकर 108 मंत्र दुर्गा का पढ़ने से रुका हुआ मासिक या गर्भ तुरंत बाहर आ जाता है |
इसके साथ अंगुल की जड़ को 108 दुर्गा मंत्र से सिद्ध करके किसी के घर में फेंकने पर वांछित सदस्य वशीकृत हो जाता है |
अपामार्ग की जड़ को घिसकर अनार की छाल के रस में मिलाकर आज्ञाचक्र पर तिलक करने से देखने वाला वशीभूत होता है |
अपामार्ग की जड़ को घिसकर बिच्छू के काटने के स्थान पर लगाने से विष दूर हो जाता है |

श्वेतार्क के तांत्रिक प्रयोग

समय – ब्रह्ममुहूर्त, तिथि – रवि, पुष्य योग

नौ घंटे तक इसके दूध को घी में खरल करके (1:4), उस घी को पौरुष इन्द्रिय पर लगाने से सात दिन में नसविकार और दौर्बल्य नष्ट हो जाता है |
पुराने आक की जड़-मूल के अन्तिम सिरे की गांठ को गणेश मंत्र से सिद्ध करके तिजोरी में रखने पर धन कभी नहीं घटता |
इसके पके 108 पत्तों को प्राप्त करके सवा सेर गाय के घी में गणेश मंत्र पढ़ते हुए एक-एक पत्ता जलाते जायें | इसके बाद छानकर 10 ग्राम प्रतिदिन एक पाव बकरी के दूध के साथ पियें, तो धातु से उत्पन्न नपुंसकता दूर हो जाती है |
इसकी जड़ को गोरोचन, बच और सिन्दूर के साथ मिलाकर 108 मन्त्रों से सिद्ध करके तिलक करने से त्रिभुवन वशीकृत होता है |
कृति नक्षत्र में मारण मंत्र से सिद्ध करके तालाब में गाड़ने पर मछलियां मर जाती हैं | (शिकार) |
कृतिका नक्षत्र में 16 अंगुल की जड़ प्राप्त करके मदिरायल में कीलने पर वहां की मदिरा का नशा नहीं होता |
रविपुष्य नक्षत्र में लायी जड़ द्वारा पर लगाने से टोन-टोटके का प्रभाव नहीं होता |
रविपुष्य नक्षत्र में प्राप्त जड़ को 21000 गणपति मंत्र से सिद्ध करके किसी स्त्री की कमर में मूलाधार को 108 बार मंत्र सिद्ध करके बांधा जाये, तो वह निश्चय की पुत्रवती होती है |
उक्र नक्षत्र की जड़ को 108 बार गणपति मंत्र से अभिमन्त्रित करके कमर पर बांधने से स्खलन शीघ्र नहीं होता |

वनस्पति की जड़-मूल, पत्ती, डाल आदि प्राप्त करने की विधि

स्नान-पूजा करके सायंकाल वांछित वृक्ष के पास जायें, उसको चावल, तिल, दूध, हल्दी, मिष्ठान आदि से पूजित करके, वहां घी का दीपक जलायें और सात बार परिक्रमा करके प्रणाम ककरे लौट आयें |
उखाड़ने, काटने के समय लकड़ी के बेंत लगे तेज औजार के साथ जायें | पेड़ की पुन: पूजा करें | इन दोनों पूजा में गणेशजी को पेड़ में स्थित मानकर उनके ही मंत्र का जाप करें, तो अच्छा होगा | तंत्र में अनेक मंत्र हैं, परन्तु आप उन्हें समझते नहीं, जिससे आपमें कोई भाव जगे और पेड़ संस्कृत नहीं जनता | पेड़ आपके भाव की तरंग पकड़ेगा, इसलिए उसमें श्रद्धा और विश्वास का भाव होना चाहिए |
उखाड़ने के समय या काटने के समय लाल सूती और सूखा कपड़ा साथ रखें | उससे पकड़कर एक ही झटके में डाली या छल निकल लें | जड़ प्राप्ति के लिए आमंत्रण सात दिन पूर्व करें और प्रतिदिन पूजा करके जड़ के स्थान पर थोड़ा-थोड़ा खोदें | सातवें दिन जड़ काटें |
कपड़े से पकड़े, धरती या शरीर से बिना स्पर्श कराये, बिना किसी से बात किये उसे घर लाकर सूखी हुई शुद्ध लकड़ी के पट्टे पर रखकर गाय के गोबर से लपेटें ( स्पर्श न हो), मूत्र से धोयें, दही लगायें, दूध से धोयें | फिर घृत लगाकर छाया में सुखायें |
रवि, शनि, गुरु या दिन का विवरण, नक्षत्र का विवरण वनस्पति प्रयोग के साथ ही होता है |

तंत्र विधि से प्राप्त करने के पीछे रहस्य क्या है ?

तंत्र विज्ञान में किसी भी वनस्पति की छल, मूल, दाल आदि को प्राप्त करने के लिए अनेक नियम बताये गये हैं | आधुनिक युग को यह विचित्र और निरर्थक इसलिए लगता है कि वह इन विधियों के पीछे छिपे कारणों को नहीं जनता |

आमंत्रित करना

तंत्र में किसी वनस्पति या उसके किसी विशेष अंग की प्राप्ति के लिए नियम हैं कि आप एक दिन पूर्व उसकी पूजा करें, उसमें जल दें, सम्बंधित अंग पर धागा बांधें और अगले दिन एक ही झटके में उसे प्राप्त करें |

इसमें रहस्य कुछ नहीं है | वनस्पति एक चैतन्य जीव है | भय से उसमें विष फैलता है | जब आप आमंत्रित करते हैं, तो उससे दोस्ती हो जाती है | वह आपसे भयभीत नहीं होता | तब आप एक ही झटके में जो प्राप्त करतें हैं, उसमें विष नहीं होता | यदि है, तो यह सरासर विश्वासघात; परन्तु यदि हम उसका उपयोग करना चाहते हैं, तो यही करना पड़ेगा |

कपड़े से पकड़ना, तेज चाकू से काटना, लकड़ी के औजार से खोदना, सूखे पीढ़े पर रखना, हाथ या धरती के सम्पर्क में न आने देना; उसमें स्थित आवेश की रक्षा के लिए है | यदि लोहे के चाकू पर हाथ है, तो उसके आवेश हमारे शरीर में, शरीर से पृथ्वी में चले जायेंगे |

अकसर आमन्त्रण सन्ध्या में और प्राप्ति ब्रह्ममुहूर्त में की जाती है, परन्तु यह कोई नियम नहीं है | अनेक औषधियों रत्रिबली होती हैं | उन्हें रात में प्राप्त किया जाता है |

जय श्री राम ॐ रां रामाय नम:  श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411