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शकुन हमारे भविष्य में होने वाली घटना का संकेत देते हैं।

शकुन हमारे भविष्य में होने वाली घटना का संकेत देते हैं। प्राचीन काल में ये शकुन लोकवार्ता के द्वारा ही पीढ़ी दर पीढ़ी पहुंचते रहे हैं। कुछ लोग इन शकुनों को अंधविश्वास मानते हैं। फिर भी ज्यादातर लोग इन शकुनों की उपेक्षा नहीं करते। हर मनुष्य कभी-कभी किसी ना किसी रूप में शकुनों को मानता है। शकुनों के परिणाम उतने ही प्राचीन हैं जितनी मनुष्य जाति। न केवल भारत में अपितु विश्व भर में ये शकुन प्रचलित हैं। शकुन का संकेत हमारे वेदों, पुराणों व धार्मिक ग्रंथों में भी मिलता है। महाभारत व रामायण जैसे महाकाव्यों में भी कई जगह शकुनों की बात कही गई है। ज्योतिष में भी शकुनों पर विशेष विचार किया जाता है। प्रश्न कुंडली की विवेचना में शकुनों का महत्व विशेष है। शुभ शकुनों में पूछे गये प्रश्न सफल व अपशकुनों में पूछे गये प्रश्न असफल होते देखे गये हैं। शकुन पृथ्वी से, आकाश से, स्वप्नों से व शरीर के अंगों से संबंधित हो सकते हैं। किसी भी कार्य के वक्त घटित होने वाले प्राकृतिक व अप्राकृतिक तथ्य अच्छे व बुरे फल की भविष्यवाणी करने में सक्षम होते है॥ ''शुुभ शकुुन'' ''ब्राह्मण, घोड़ा, हाथी, न्योला, बाज, मोर। दूध, फल, फूल व वेद ध्वनि का सोर॥ अन्न, सिंहासन, जल, कलश, पशु एक बधन्त। न्योला चापा, मछली और अग्नि प्रज्वलंत॥ छाता, वैश्या, पगड़ी, अंजन, ऐना, शस्त्र। कन्या, रत्न, स्त्री, धोबी धोया वस्त्र॥ घृत मिट्टी अस्त्र शहद, मदिरा वस्त्र श्वेत। गोरोचन सरसों अमिष, गन्ना खज्जन भेद॥ बिन रोदन मुर्दा मिले, पालकी भरदुल गीत। ध्वज अकुंश बकरा पडे़, सम्मुख अपना गीत॥ बालक संग स्त्री मिले, नौ बेटा बैल सफेद। साधु सुधा सुरतर-पड़े, सम्मुख चारों वेद ॥ कूड़ा से भरी टोकरी जो सम्मुख पडंत। पाछे घट खाली पड़े, निश्चय काज बनंत। । प्रिय वाणी कानों पड़े, सम्मुख वाहन भार। कह कवि ये शुभ शकुन यात्रा चलती बार॥ अर्थात् ब्राह्मण, घोड़ा, हाथी, न्योला, बाज, मोर, दूध, दही, फल, फूल, कमल, वेदध्वनि, अन्न, सिंहासन, जल से भरा कलश, बंधा हुआ एक पशु, न्योला, चापा (चाहा पक्ष) मछली, प्रज्वलित अग्नि, छाता, वैश्या, पनाली, अंजन, ऐना, शस्त्र, रत्न, स्त्री, कन्या, धुले हुए वस्त्र सहित धोबी, घी, मिट्टी, सरसों, मांस, गन्ना, खज्जन पक्ष, रोदन रहित मुर्दा, पालकी, भारद्वाज पक्षी, ध्वजा, अंकुश, बकरा, अपना प्रिय मित्र, बच्चे के सहित स्त्री, गाय या गोह के सहित बछड़ा, सफेद बैल, साधु, अमृत, कल्पवृक्ष चारों वेद, शहद, शराब, गोरोचन आदि में से कुछ भी सम्मुख पड़े या कूड़े से भरी टोकरी, प्रिय वाणी या सामान से लदा वाहन यदि यात्रा के वक्त सम्मुख पड़ जाए तो निश्चय ही इच्छा पूर्ति का संकेत करते हैं। खाली घड़ा पीठ पीछे हो तो अच्छा है। ये शुभ शकुन हैं। ''नीलकण्ठ छिक्कर-पिक्कर वानर कौवी भालु। जै कुकर दाएं पड़े तो सिद्ध होय सब काजु॥ अर्थात् नीलकण्ठ छिक्कर नामक विशेष मृग, पिक्कर पक्षी, कौवी (स्त्री संज्ञक) भालू व कुत्ता यदि दाएं हाथ पर पड़े तो कार्य सिद्ध होता है। मृग बाएं ते दाहिने जो आवे तत्काल। बाएं गर्दभ रेकंजा सिद्धि होय सब काज॥ अर्थात् यदि हिरण बायीं तरफ से रास्ता काटकर दायीं तरफ आ जाए या बायीं तरफ गधा बोलना प्रारंभ कर दे तो शुभ शकुन है। खड़ा कोबरा, सूकरा, जाहक, कछुआ, गोह। ये शब्द कानों पड़े निश्चय कारज होय॥ पर दर्शन हो जाएं तो महाअशुभ होय। अतिहि कु शकुन जानिये काट सके ना कोय॥ अर्थात् यदि खरगोश, सर्प, सूअर, जाहक, पशु, कछुआ व गोह के शब्द कानों में पड़े तो अत्यंत शुभ शकुन समझें। परंतु यदि ये प्रत्यक्ष सामने पड़ जाएं तो महा अशुभ हैं। बानर, भालु दर्शन भले, नाम के सुनते हानि। कह कवि विचार के तब आगे करौ पदान॥ अर्थात् यदि वानर भालू यात्रा आरंभ वक्त आगे जाए तो उत्तम शकुन है परंतु यदि इनका नाम कानों में पड़े तो अपशकुन का द्योतक है। ''अपशकुनुन विचार'' दांए गर्दभ शब्द हो, सम्मुख काला धान्य। टूटी खाट आगे मिले तो बहुत हानि॥ कूकूर लोटे भुम्म पर, अथवा मारे कान। पांच भैंस सम्मुख पड़ें, निश्चय होवे धन॥ एक अजाः नौ स्त्री, बिल्ली दो लड़न्त। छह कुत्ता आगे पड़ें, नहीं बात में तंत॥ तीन गाय दो बानिया, एक बछड़ा एक शूद्र। हाथी सात सम्मुख पडं़े, निश्चय बिगड़े बुद्धि॥ भैंसा पर बैठा हुआ, मनुष्य सम्मुख होय। निश्चय हानि होयेगी, बचा सके ना कोय ॥ जननी का तिरस्कार होय या हो अकाल वृष्टि। क्षत्री चार सम्मुख पडं़े, निश्चय महाअनिष्ट ॥ तीन विप्र बैरागिया, सन्यासी केश खुलंत। भगवा व स्त्री सम्मुख पड़े, निश्चय कारण अंत॥ बंध्या, रजः, रजस्वला, भूसा हड्डी चामं। अंधा, बहरा, कूबड़ा विधवा लगड़ा पांव ॥ ईंधन लक्कड़ उन्मादिया, भैंसा दो लड़ंत। गुंड, मट्ठा, कीचड़ पड़े सम्मुख छींक हुवंत ॥ हिजड़ा विष्ठा तेल जो, मालिश तेल मनुष्य। अंग भंग नंगा पतित रोगी पूरा सुस्त॥ गंजा भिजे वस्त्र सों, चर्बी शत्रु सांप। नमक औषधि गिरगिरा कुटंबी झगड़े आप ॥ कटु बचन सम्मुख पड़े, जौ यात्रा चलती बार। कह कवि हानि महा बिगड़े सारे काज॥ अर्थात् यदि यात्रा के समय गधा दायीं तरफ बोले या कोई सामने से टूटी खाट लाता हुआ मिले कारज भंग होता है। यदि कुत्ता भूमि पर लेटे या कान फड़फड़ाये, पांच भैंस सामने आये, एक बकरी नौ स्त्री, दो बिल्ली लड़ती हुई, छः कुत्ते, तीन गाय, दो वैश्य, एक बैल एक शूद्र, सात हाथी, या भैंसे पर बैठा हुआ व्यक्ति यदि सम्मुख पड़े तो अपशकुन का सूचक है। यात्रा में चलते समय जननी का तिरस्कार करे या अकाल वर्षा हो, चार क्षत्रिय, तीन ब्राह्मण बैरागी, सन्यासी, खुले केशों वाला गेरूरा वस्त्र धारण करने वाला सम्मुख पड़ जाए तो अपशकुन है। इसी प्रकार बांझ औरत, स्त्री का रज, रजोवती स्त्री, भूसा, हड्डी, चमड़ा, अंधा, बहरा, कूबड़ा, विधवा स्त्री, जलाने वाली लकड़ी, उपला, पागल, गुड़, मट्ठा कीचड़ सामने आये, दो भैंसे लड़ते हुए, नपुसंक, विष्ठा, तेल मालिश किये आदमी, अंग भंग, नंगा नीच पुरुष, दीर्घ रोगी, गंजा भीगे वस्त्रों में, चर्बी, सर्प, शत्रु, नमक, औषधि, गिरगिट सामने आ जाए, अपने ही कुटुंबी सामने लड़ते हों, सामने कोई छींक दे या यात्रा के वक्त अप्रिय बचन सुनाई पड़ें तो अपशकुन का सूचक है। कुुछ अन्य शकुुन अपशकुुन जो पशु पक्षियों द्वारा होते हैैं शकुनों में कौवा, छिपकली व अन्य पशु पक्षियों का विचार किया जाता है। काक स्पर्श व छिपकली के गिरने को अशुभ समझा गया है। यदि कौआ अचानक शोरगुल करे या किसी के सिर पर बैठे तो आर्थिक हानि दर्शाता है। यदि स्त्री के सिर पर बैठे तो पति को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। संध्या के समय मुर्गों की ध्वनियां महामारी दर्शाती हैं। जब मछलियां जल की सतह पर छलांग मारें, मेढक टर्र-टर्र करे, बिल्ली भूमि खोदे, चीटियां अपने अंडों को स्थानांतरित करें, सांपों का जोड़ा व पशु आकाश की ओर देखे, पालतू पशु बाहर जाने से घबराएं तो तुरंत ही वर्षा होती है। ये वर्षा के लिए शुभ शकुन है। यदि रात्रि में दीपकीट दिखाई दे, कीड़े या सरीसृप घास के ऊपर बैठें तो भी तत्काल वर्षा होती है। यदि वर्षा ऋतु के दौरान सायंकाल में गीदड़ों की चिल्लाहट सुनाई दे तो बिल्कुल वर्षा नहीं होती। मांसभक्षी पशु-पक्षी, का दिखाई देना अशुभ व शाकाहारी पशु, पक्षी प्रायः शुभ शकुन का संकेत देते हैं। ज्योतिष में शकुनों अपशकुनों का विशेष विचार प्रश्न आदि में किया जाता है। साथ ही साथ मेदिनीय ज्योतिष में भी शकुन अपना विशेष महत्व रखते हैं -वर्षा होगी या नहीं होगी, कम होगी या अधिक होगी इस प्रकार की भविष्य वाणियां भी शकुनों के आधार पर की जाती हैं कुछ उदाहरण निम्न हैं- _यदि आसमान बादलों से घिरा हो व पालतू कुत्ता घर से बाहर न जाए, तो वर्षा का सूचक है। _यदि आसमान में चील 400 फुट की ऊंचाई पर उड़ रही हो, तो भी वर्षा होने वाली होती है। _यदि मकड़ी घर के बाहर जाला बनाए तो वर्षा ऋतु जाने का सूचक है। _मेढकों की टर्रराहट वर्षा का संकेत है। _मोर का नृत्य तथा शोर भी वर्षा का सूचक है।

शकुन-अपशकुन
कई प्रकार के शकुन-अपशकुन प्रचलित हैं। पशु-पक्षियों को भी शकुन-अपशकुन की मान्यताओं से जोड़ा गया है। कौए को पितरों की संज्ञा भी दी गई है। कौओं से जुड़ी शकुन-अपशकुन की कई मान्यताएं काफी प्रचलित है। इन्हीं में से कुछ मान्यताएं नीचे उल्लेखित हैं-
1- यदि किसी व्यक्ति के ऊपर कौआ आकर बैठ जाए तो उसेधन व सम्मान की हानि होती है। यदि किसी महिला के सिर पर कौआ बैठता है तो उसके पति को गंभीर संकट का सामना करना पड़ता है। 2- यदि बहुत से कौए किसी नगर या गांव में एकत्रित होकर शौर करें तो उस नगर या गांव पर भारी विपत्ति आती है। 3- किसी के भवन पर कौओं का झुण्ड आकर शौर मचाए तो भवन मालिक पर कई संकट एक साथ आ जाते हैं। 4- कौआ यदि यात्रा करने वाले व्यक्ति के सामने आकर सामान्य स्वर में कांव-कांव करें और चला जाए तो कार्य सिद्धि की सूचना देता है। 5- यदि कौआ पानी से भरे घड़े पर बैठा दिखाई दे तो धन-धान्य की वृद्धि करता है। 6- कौआ मुंह में रोटी, मांस आदि का टुकड़ा लाता दिखाई दे तो उसे अभिष्ट फल की प्राप्ति होती है। 7- पेड़ पर बैठा कौआ यदि शांत स्वर में बोलता है तो स्त्री सुख मिलता है। 8- यदि उड़ता हुआ कौआ किसी के सिर पर बीट करे तो उसे रोग व संताप होता है। और यदि हड्डी का टुकड़ा गिरा दे तो उस व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। 9- यदि कौआ पंख फडफ़ड़ाता हुआ उग्र स्वर में बोलता है तो यह अशुभ संकेत है। 10- यदि कौआ ऊपर मुंह करके पंखों को फडफ़ड़ाता है और कर्कश स्वर में आवाज करता है तो वह मृत्यु की सूचना देता है।
घरों में आमतौर पर पाई जाने वाली छिपकली भी जीवन में होने वाली कई घटनाओं के बारे में संकेत करती है। 1- अगर छिपकली समागम करती मिले तो किसी पुराने मित्र से मिलन होता है। लड़ती दिखे तो किसी दूसरे से झगड़ा होता है और अलग होती दिखे तो किसी प्रियजन से बिछुडऩे का दु:ख होता है। 2- भोजन करते समय छिपकली का बोलना शुभ फलकारक होता है। 3- नए घर में प्रवेश करते समय गृहस्वामी को छिपकली मरी हुई व मिट्टी लगी हुई दिखाई दे तो उसमें निवास करने वाले लोग रोगी रहेंगे। 4- छिपकली किसी व्यक्ति के सिर अथवा दाहिने हाथ पर गिरे तो सम्मान तो मिलता है किंतु बाएं हाथ पर गिरती है तो धन हानि होती है। 5- यदि छिपकली किसी व्यक्ति के दाई ओर से चढ़कर बाईं ओर उतरती है तो उसे पदोन्नति और धन लाभ मिलता है। 6- यदि छिपकली पेट पर गिरती है तो अनेक प्रकार के उत्पात और छाती पर गिरती है तो सुस्वादु भोजन मिलता है। 7- घुटने पर गिरकर सुख प्राप्ति की सूचना देती है छिपकली। 8- स्त्री की बाईं बांह पर छिपकली गिरे तो सौभाग्य में वृद्धि और दाहिनी बांह पर गिरे तो सौभाग्य की हानि होती है। 9- यदि किसी के दाहिने गाल पर छिपकली गिरे तो उसे भोग-विलास की प्राप्ति होती है। बाएं गाल पर गिरे तो स्वास्थ्य में विकार उत्पन्न होते हैं। 10- यदि छिपकली नाभि पर गिरे तो पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। गुप्त अंगों पर गिरे तो रोग की संभावना व्यक्त करती है।
छींक आना एक सामान्य शारीरीक प्रक्रिया है लेकिन पुरातन समय से ही छींक को शकुन-अपशकुन से जोड़कर देखा जाता है। छींक आना कहीं शुभ माना जाता है कहीं अशुभ। छींक से जुड़ीं कुछ मान्यताएं तथा विश्वास हैं हमारे समाज में प्रचलित हैं जो प्राचीन समय से चले आ रहे हैं। अलग-अलग जाति तथा धर्म में छींक आने को लेकर कई धारणाएं मानी जाती हैं। उनमें से कुछ नीचे दी गई हैं-
1- यदि घर से निकलते समय कोई सामने से छींकता है तो कार्य में बाधा आती है। अगर एक से अधिक बार छींकता है तो कार्य सरलता से संपन्न हो जाता है। 2- किसी मेहमान के जाते समय कोई उसके बाईं ओर छींकता है तो यह अशुभ संकेत है। 3- कोई वस्तु क्रय करते समय यदि छींक आ जाए तो खरीदी गई वस्तु से लाभ होता है। 4- सोने से पूर्व और जागने के तुरंत बाद छींक की ध्वनि सुनना अशुभ माना जाता है। 5- नए मकान में प्रवेश करते समय यदि छींक सुनाई दे तो प्रवेश स्थगित कर देना ही उचित होता है। 6- व्यावसायिक कार्य आरंभ करने से पूर्व छींक आना व्यापार वृद्धि का सूचक होती है। 7- कोई मरीज यदि दवा ले रहा हो और छींक आ जाए तो वह शीघ्र ही ठीक हो जाता है। 8- भोजन से पूर्व छींक की ध्वनि सुनना अशुभ मानी जाती है। 9- यदि कोई व्यक्ति दिन के प्रथम प्रहर में पूर्व दिशा की ओर छींक की ध्वनि सुनता है तो उसे अनेक कष्ट झेलने पड़ते हैं। दूसरे प्रहर में सुनता है तो देह कष्ट, तीसरे प्रहर में सुनता है तो दूसरे के द्वारा स्वादिष्ट भोजन की प्राप्ति और चौथे प्रहर में सुनता है तो किसी मित्र से मिलना होता है। 10- धार्मिक अनुष्ठान या यज्ञादि प्रारंभ करते समय कोई छींकता है तो अनुष्ठान संपूर्ण नहीं होता है।

*********शकुन शास्त्र***********
ज्योतिष सीखने के लिये सबसे पहले भारतीय ज्योतिष के अन्दर शकुन शास्त्र को जानना जरूरी है,क्योंकि भेद को जाने बिना भाव का अर्थ समझ में नही आता है,तरीके से सीखा गया काम हर जगह फ़लदायी होता है,अक्सर ज्योतिषी से पूंछा जाता है कि हमे यात्रा करनी है,या हमे अमुक काम करना है,मुहूर्त बतादो,अब पूरी ज्योतिष की जानकारी तो है,लेकिन शकुन शास्त्र का जरा सा भी ज्ञान नही है,तो ज्योतिष वहीं पर अपना नाम खराब करवा देती है,सबसे पहले आपको शकुन शास्त्र,दिशाओं का ज्ञान,यात्रा और कार्य को करने के मुहूर्त आदि की जानकारी जानवरों के द्वारा प्रत्यक्ष में बताये जाने वाले शकुन आदि का विवेचन करते है.
यात्रा मुहूर्त तथा शुभाशुभ शकुन विचार
अनुराधा ज्येष्ठा मूल हस्त मृगसिरा अश्विनी पुनर्वसु पुष्य और रेवती ये नक्षत्र यात्रा के लिये शुभ है,आर्द्रा भरणी कृतिका मघा उत्तरा विशाखा और आशलेषा ये नक्षत्र त्याज्य है,अलावा नक्षत्र मध्यम माने गये है,षष्ठी द्वादसी रिक्ता तथा पर्व तिथियां भी त्याज्य है,मिथुन कन्या मकर तुला ये लगन शुभ है,यात्रा में चन्द्रबल तथा शुभ शकुनो का भी विचार करना चाहिये.
दिशाशूल
शनिवार और सोमवार को पूर्व दिशा में यात्रा नही करनी चाहिये,गुरुवार को दक्षिण दिशा की यात्रा त्याज्य करनी चाहिये,रविवार और शुक्रवार को पश्चिम की यात्रा नही करनी चाहिये,बुधवार और मंगलवार को उत्तर की यात्रा नही करनी चाहिये,इन दिनो में और उपरोक्त दिशाओं में यात्रा करने से दिकशूल माना जाता है.
सर्वदिशागमनार्थ शुभ नक्षत्र
हस्त रेवती अश्वनी श्रवण और मृगसिरा ये नक्षत्र सभी दिशाओं की यात्रा के लिये शुभ बताये गये है,जिस प्रकार से विद्यारम्भ के लिये गुरुवार श्रेष्ठ रहता है,उसी प्रकार पुष्य नक्षत्र को सभी कार्यों के लिये श्रेष्ठ माना जाता है.
योगिनी विचार
प्रतिपदा और नवमी तिथि को योगिनी पूर्व दिशा में रहती है,तृतीया और एकादशी को अग्नि कोण में त्रयोदशी को और पंचमी को दक्षिण दिशा में चतुर्दशी और षष्ठी को पश्चिम दिशा में पूर्णिमा और सप्तमी को वायु कोण में द्वादसी और चतुर्थी को नैऋत्य कोण में,दसमी और द्वितीया को उत्तर दिशा में अष्टमी और अमावस्या को ईशानकोण में योगिनी का वास रहता है,वाम भाग में योगिनी सुखदायक,पीठ पीछे वांछित सिद्धि दायक,दाहिनी ओर धन नाशक और सम्मुख मौत देने वाली होती है.
यात्रा हेतु तिथि विचार
यात्रा के लिये प्रतिपदा श्रेष्ठ तिथि मानी जाती है,द्वितीया कार्यसिद्धि के लिये,त्रुतीया आरोग्यदायक,चतुर्थी कलह प्रिय,पंचमी कल्याणप्रदा षष्ठी कलहकारिणी सप्तमी भक्षयपान सहित,अष्टमी व्याधि दायक नवमी मौत दायक,दसमी भूमि लाभ प्रद,एकादसी स्वर्ण लाभ करवाने वाली,द्वादसी प्राण नाशक,और त्रयोदसी सर्व सिद्धि दायक होती है,त्रयोदसी चाहे शुक्ल पक्ष की हो या कृष्ण पक्ष की सभी सिद्धियों को देती है,पूर्णिमा एवं अमावस्या को यात्रा नही करनी चाहिये,तिथि क्षय मासान्त तथा ग्रहण के बाद के तीन दिन यात्रा नुकसान दायक मानी गयी है.
पंथा राहु विचार
दिन और रात को बराबर आठ भागों में बांटने के बाद आधा आधा प्रहर के अनुपात से विलोम क्रमानुसार राहु पूर्व से आरम्भ कर चारों दिशाओं में भ्रमण करता है,अर्थात पहले आधे प्रहर पूर्व में दूसरे में वाव्य कोण में तीसरे में दक्षिण में चौथे में ईशान कोण में पांचवें में पश्चिम में छठे में अग्निकोण में सातवें में उत्तर में तथा आठवें में अर्ध प्रहर में नैऋत्य कोण में रहता है.
राहु आदि का फ़ल
राहु दाहिनी दिशा में होता है तो विजय मिलती है,योगिनी बायीं तरह सिद्धि दायक होती है,राहु और योगिनी दोनो पीछे रहने पर शुभ माने गये है,चन्द्रमा सामने शुभ माना गया है.
यात्रा या वार परिहार
रविवार को पान,सोमवार को भात (चावल),मंगलवार को आंवला,बुधवार को मिष्ठान,गुरुवार को दही,शुक्रवार को चटपटी वस्तु और शनिवार को माह यानी उडद खाकर यात्रा पर जाने से दिशा शूल या काम नही बिगडता है.
दिशाशूल परिहार
रविवार को घी पीकर,सोमवार को दूध पीकर,मंगलवार को गुड खाकर,बुधवार को तिल खाकर,गुरुवार को दही खा कर शुक्रवार को जौ खाकर और शनिवार को उडद खाकर यात्रा करने से दिशाशूल का दोष शान्त माना जाता है.
राहु विचार
रविवार को नैऋत्य कोण में सोमवार को उत्तर दिशा में,मंगलवार को आग्नेय कोण में,बुधवार को पश्चिम दिशा में,गुरुवार को ईशान कोण में,शुक्रवार को दक्षिण दिशा में,शनिवार को वायव्य कोण में राहु का निवास माना जाता है.
चन्द्रबल विचार
पहला चन्द्रमा कल्याण कारक,दूसरा चन्द्रमा मन संतोष दायक,तीसरा चन्द्रमा धन सम्पत्ति दायक,चौथा चन्द्रमा कलह दायक,पांचवां चन्द्रमा ज्ञान दायक,छठा चन्द्रमा सम्पत्ति दायक,सातवां चन्द्रमा राज्य सम्मान दायक,आठवां चन्द्रमा मौत दायक,नवां चन्द्रमा धर्म लाभ दायक,दसवां चन्द्रमा मन इच्छित फ़ल प्रदायक,ग्यारहवां चन्द्रमा सर्वलाभ प्रद,बारहवां चन्द्रमा हानि प्रद होता है,यात्रा विवाह आदि कार्यों को आरम्भ करते समय चन्द्रबल का विचार करना चाहिये.
घात चन्द्र विचार
मेष की पहली वृष की पांचवी मिथुन की नौवीं कर्क की दूसरी सिंह की छठी कन्या की दसवीं तुला की तीसरी वृश्चिक की सातवीं धनु की चौथी, मकर की आठवीं कुम्भ की ग्यारहवीं मीन की बारहवीं घडी घात चन्द्र मानी गयी है,यात्रा करने पर युद्ध में जाने पर कोर्ट कचहरी में जाने पर खेती में कार्य आरम्भ करने पर व्यापार के शुरु करने पर घर की नीव लगाने पर घात चन्द्र वर्जित मानी गयी है,घात चन्द्र में रोग होने पर मौत,कोर्ट में केस दायर करने पर हार,और यात्रा करने पर सजा या झूठा आरोप,विवाह करने पर वैधव्य होना निश्चित है.
यात्रा में सूर्य विचार
गत रात्रि के अन्तिम प्रहर से आरम्भ करके दो दो प्रहर तक सूर्य पूर्वादि दिशाओं में भ्रमण करता है,यात्रा के समय सूर्य को दाहिने और बायें तथा प्रवेश के समय पीछे शुभ माना गया है.
कुलिक विचार
रविवार को चौदहवां सोमवार को बारहवां,मंगलवार को दसवां बुधवार को आठवां,बृहस्पतिवार को छठा और शुक्र वार को चौथा शनिवार को दूसरा मुहूर्त कुलिक संज्ञक होता है,यह मुहूर्त अशुभ माना जाता है.
कालहोरा ज्ञान
सोमवार को इष्टघटी ग्यारह हो तो इसको दो से गुणा करने पर बाइस होते है,इसमें पांच का भाग देने पर शेष दो बचते है,इस शेष दो को बाइस में से घटाने पर बीस शेष बचते है,इसमे एक जोडने पर इक्कीस होते है,दहाई और इकाई को जोडने पर तीन का लाभ मिलता है,तीन का इक्कीस में भाग देने पर लभति सात आती है,सोमवार से सातवीं कालहोरा रविवार की होती है.
कालहोरा ज्ञात करने की दूसरी विधि
कालहोरा ज्ञान की दूसरी विधि है कि जिस दिन कालहोरा का ज्ञान करना हो,उस दिन के क्रम से इक्कीस इक्कीस घडी का प्रमाण कालहोरा सूर्य,शुक्र,बुध,चन्द्र,शनि,गुरु और मंगल इस क्रम से गिनकर समझ लें,शुभ ग्रह की होरा को शुभ तथा पाप ग्रह की होरा को अशुभ समझना चाहिये,जैसे सोमवार की इष्टघडी इक्कीस में किसकी काल होरा होगी? यह जानने के लिये दो सौ ग्यारह घडी के प्रमाण से ग्यारह घडी इष्टघडी में पांच वीं होरा हुयी,वह सोमवार से चन्द्र एक शनि दो गुरु तीन मंगल चार और सूर्य पांच वीं होरा हुयी,उस समय में सूर्यवार का कर्तव्य मानना चाहिये.
नासिका विचार
नासिका का बांया स्वर चन्द्र तथा दाहिना स्वर सूर्य संज्ञक होता है,चन्द्र स्वर यात्रा करना शुभ और सूर्य स्वर में अशुभ मानते है,जो स्वर बह रहा हो,उसी ओर का पैर पहले उठाकर यात्रा करने से विजय प्राप्त होती है,जब दोनो स्वर एक साथ चलते हों तो शून्य स्वर कहलाता है,उस समय में यात्रा करना हानिकारक होता है,यह यात्रा शब्द का बोध दैनिक जीवन यात्रा से भी जुडा होता है,यानी जब हम सबसे पहले अपनी रोजाना की जीवन यात्रा से भी मानकर चलते है,और सुबह जाग कर बिस्तर से पैर को नीचे रखने से ही यात्रा का शुभारम्भ हो जाता है.
सर्वांक ज्ञान
शुक्र पक्ष की प्रतिपदा से तिथि संख्या रविवार से वार संख्या और अश्विनी नक्षत्र से नक्षत्र संख्या अपने अपने अनुसार अलग अलग जगह पर लिखते है,फ़िर २,३,४ से गुणा करने के बाद ३,७,८ से भाग देते है,प्रथम स्थान पर शून्य शेष रहे तो हानि द्वितीय स्थान में शून्य रहे तो शत्रु भय और तृतीय स्थान में शून्य रहे तो मरण होता है,तीनो स्थान में शून्य हो तो विजय मिलती है.
वत्स दिशा विचार
भाद्रपद मास से प्रारम्भ कर तीन तीन महीने तक वत्स पूर्व आदि दिशाओं मे रहता है,अर्थात भाद्रपद,अश्विन,कार्तिक मास में पूर्व में अगहन,पौष,माघ में दक्षिण दिशा में,फ़ाल्गुन,चैत्र,बैसाख मास में पश्चिम में,और ज्येष्ट,आषाड,और श्रावण मास में उत्तर दिशा में निवास करता है,यात्रा,विवाह,गृहद्वार निर्माण बडे लोगों से भेंट और कोर्ट केश आदि में सम्मुख वत्स विचार वर्जित माना जाता है.
कुत्ते के द्वारा शुभाशुभ शकुन विचारने का नियम
कुत्ता आज के जमाने में प्रत्येक घर में मिल जाता है,और सभी को पता है कि कुत्ता की अतीन्द्रिय जागृत होती है,किसी भी होनी अनहोनी को वह जानता है,अद्र्श्य आत्मा को देखने और किसी भी बदलाव को सूंघ कर जान लेने की क्षमता कुत्ते के अन्दर होती है,कुत्ते को दरवेश का दर्जा दिया गया है,समय असमय को बताने में कुत्ता अपनी भाषा में इन्सान को बताने की कोशिश करता है,और जो कुत्ते की भाषा को समझते है,वे अनहोनियों से बचे रहते है,और जो मूर्ख होते है,और अपने को जबरदस्ती हानि की तरफ़ ले जाना चाहते है वे उसकी भाषा को बकवास कह कर टाल देते है,कुत्ता अगर यात्रा के शुरु करते ही किसी कचडे पर पेशाब करता है,तो जान लीजिये कि यात्रा या शुरु किया जाने वाला कार्य सफ़ल है,यदि किसी सूखी लकडी पर पेशाब करता है,तो भौतिक धन की प्राप्ति होती है,अगर कुत्ता कांटेदार झाड पर,पत्थर या राख पर पेशाब करने के बाद काम शुरु करने वाले के आगे चल दे तो वह कार्य खराब हो जाता है,यदि कुत्ता किसी कपडे को लाकर सामने खडा हो तो समझना चाहिये कि कार्य सफ़ल है,यदि कुत्ता कार्य शुरु करने वाले के पैर चाटे,कान फ़डफ़डाये,अथवा काटने को दौडे तो समझना चाहिये कि सामने काफ़ी बाधायें आ रही है,यदि कुत्ता यात्रा के समय या काम शुरु करने के समय अपने शरीर को खुजलाना चालू कर दे तो जान लेना चाहिये के वह कार्य करने अथवा यात्रा पर जाने से मना कर रहा है,यदि कुत्ता किसी कार्य को शुरु करते वक्त या यात्रा पर जाते वक्त चारों पैर ऊपर की तरफ़ करके सोये तो भी कार्य या यात्रा नही करनी चाहिये,यदि गली मोहल्ले के आवारा कुत्ते किसी भी समय ऊपर की तरफ़ मुंह करके रोना चालू करें तो समझना चाहिये कि उस गली या मोहल्ले के प्रमुख व्यक्ति पर कोई मुशीबत आने वाली है,यात्रा करने के साथ या काम करने के साथ कुत्ते आपस में लड पडें तो भी काम या यात्रा में विघ्न पैदा होता है,कुत्ते के कान फ़डफ़डाने का समय सभी कामों के लिये त्यागने में ही भलाई होती है,कुत्ता अगर बैचैन होकर इधर उधर भागना चालू करे,तो समझना चाहिये कि कोई आकस्मिक मुशीबत आ रही है,किसी बात को सोचने के पहले या धन खर्च करते वक्त अगर कुत्ता अपनी पूंछ को पकडने की कोशिश करता है,तो मान लेना चाहिये कि आपने अपने भविष्य के लिये नही सोचा है,और खर्च करने के बाद पछताना पडेगा,कुत्ता अगर सुबह के समय लान या बगीचे में घास खा रहा हो तो समझ लेना चाहिये कि घर के अन्दर जो खाना बना है,उसमे किसी प्रकार इन्फ़ेक्सन है,कुत्ता अगर जूता लेकर भाग रहा हो तो समझना चाहिये कि वह बाहर जाने से रोक रहा है,लडकी के अपने ससुराल जाने के वक्त अगर कुत्ता रोना चालू कर दे,तो समझना चाहिये कि लडकी को ससुराल से वापस आने में संदेह है,कुत्ता अगर मालिक के पैर के पास जाकर सोना चालू कर दे तो समझना चाहिये कि घर में किसी सदस्य के आने का संकेत है,कुत्ता अगर अपने खुद के पैर चाटना चालू करे तो यात्राओं की शुरुआत समझनी चाहिये,कुत्ता अगर एकान्त में बैठना चालू कर दे,और बुलाने से आने में आनाकानी करे तो समझना चाहिये कि घर मे किसी सदस्य के लम्बी बीमारी में जाने का संकेत है,कुत्ता अगर पूंछ नीचे डालकर मुख्य दरवाजे के पास कुछ खोजने का प्रयत्न कर रहा हो तो समझना चाहिये कि कोई कर्जा मांगने वाला आ रहा है,कुत्ता अगर भोजन करते वक्त बार बार बाहर और अन्दर भाग रहा हो तो समझना चाहिये कि भोजन और कोई करने आने वाला है.|

जय श्री राम ॐ रां रामाय नम:  श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा ,संपर्क सूत्र- 9760924411