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जातक वर्षकुंडली मुंथा राशि का जीवन पर प्रभाव
जातक वर्षकुंडली मुंथा राशि का जीवन पर प्रभाव
अक्सर जब भी नववर्ष आता है। और कैलेंडर का साल बदलता है। तो विभिन्न न्यूज़ चैनलों एवं पत्र-पत्रिकाओं में समस्त 12 राशियों के जातकों का वार्षिक भविष्यफल बताने की होड़ सी लग जाती है। जनमानस भी नववर्ष में अपने भाग्य के अनुसार लाभ-हानि का गणित बिठाने लग जाता है। किंतु क्या आप जानते हैं। कि नववर्ष के आगमन पर आपके वार्षिक भविष्यफल के बारे में कहना एक मिथ्याभाषण एवं भ्रामक बात है।
ऐसा इसलिए क्योंकि प्रत्येक जातक की वर्षकुंडली उसके स्वयं के जन्मदिवस की दिनांक से परिवर्तित होती है। ना कि कैलेंडर के वर्ष बदलने से। वर्ष कुंडली का भी प्रत्येक जातक के जीवन में उतना ही महत्त्व है। जितना अन्य ज्योतिषीय कारकों का। आइए जानते हैं। कि वर्ष कुंडली के महत्वपूर्ण कारक कौन से हैं। जो आपके जीवन पर अपना प्रभाव डालते हैं।
1. मुंथा राशि- वर्ष कुंडली में मुंथा राशि का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। लग्न संख्या में जातक की वर्तमान आयु के वर्ष जोड़कर 12 से भाग देने पर जो शेष बचे वही मुंथा राशि होती है।
2. मुंथा की अशुभ स्थिति- वर्ष लग्न कुंडली में यदि मुंथा वर्षलग्न से 4,6,7,8,12 वें स्थित हो तो यह अशुभ होती है। यदि मुंथा राशि पाप ग्रहों से दृष्ट हो तो यह विशेष अशुभ व हानिकारक होती है।
3. राहु-केतु युक्त मुंथा- यदि मुंथा राहु-केतु से युक्त तो अशुभ फ़लदायक होती है।
4. मुंथेश- वर्ष कुंडली में मुंथा राशि का स्वामी ग्रह मुंथेश कहलाता है। मुंथेश यदि 4,6,8,12 भाव में अस्त, वक्री या पाप ग्रहों से दृष्ट हो तो यह अशुभ होता है। मुंथेश यदि वर्षलग्न से अष्टमेश से युत व दृष्ट हो तो यह विशेष हानिकारक होता है।
5. वर्षकुंडली में जन्म लग्नेश की स्थिति- वर्षकुंडली में यदि जन्मकुंडली का लग्नेश निर्बल, अष्टम या सूर्य आदि क्रूर ग्रहों से दृष्ट हो तो उस वर्ष जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट होता है।
-मुंथेश यदि वर्ष कुंडली में अस्त होकर शनि द्वारा दृष्ट हो तो उस वर्ष जातक का सर्वनाश, मानसिक कष्ट व भयंकर रोग से ग्रस्त होने की संभावना होती है।
6. वर्षलग्न- वर्षलग्न यदि जन्मलग्न या जन्मराशि से अष्टम राशि का हो तो उस वर्ष जातक को भीषण कष्ट व रोग होने की संभावना होती है।
7. वर्षकुंडली में चन्द्र की स्थिति- वर्षकुंडली में यदि चन्द्र 1,6,7,8,12 भाव में पाप ग्रहों से दृष्ट हो तो उस वर्ष जातक का प्रबल अरिष्ट होता है। जातक को मृत्यु तुल्य कष्ट या मृत्यु होने की संभावना होती है।
-यदि वर्षकुंडली में चन्द्र मंगल से दृष्ट हो अग्नि के द्वारा, यदि राहु-केतु से दृष्ट हो तो शत्रुओं के द्वारा, सूर्य से दृष्ट हो तो आर्थिक हानि के कारण जातक को कष्ट होता है।
-यदि वर्षकुंडली में चन्द्र गुरु से दृष्ट हो तो शुभफलदायक होकर अशुभता में कमी करता है।
Consultations by Astrologer - Pandit Ashu Bahuguna
Skills : Vedic Astrology , Horoscope Analysis , Astrology Remedies , Prashna kundli IndiaMarriage Language: Hindi
Experience : Exp: 35 Years
Expertise: Astrology , Business AstrologyCareer Astrology ,Court/Legal Issues , Property Astrology, Health Astrology, Finance Astrology,
Settlement , Education
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ॐ रां रामाय नम: श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411
