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चंचल नटखट जिद्दी -बच्चे और ज्योतिष सम्बन्ध

चंचल /नटखट/जिद्दी -बच्चे और ज्योतिष का सम्बन्ध -

बच्चे भावी जीवन के कर्णधार होते हैं। 

बचपन से ही बच्चों में अच्छे संस्कार के साथ-साथ उनके शारीरिक, मानसिक विकास के लिए सभी अभिभावकों को कुछ विशेष बातों का अवश्य ध्यान रखना चहिये ।  जब बच्चे माता पिता की बात नहीं सुनते न हैं।   बात नहीं मानते, जिद करते हैं।  या पढ़ाई में रुचि नहीं लेते हैं।  तो माता-पिता को चिंता होना स्वाभाविक है। कहा जाता  है।  कि बच्चे शैतानी नहीं करेंगे तो क्या बड़े करेंगे?  मगर जब ये शैतानी सीमा पर करने लगती है।  और स्वयं को और दूसरों को नुकसान पहुँचाने लगती है।  तो माता-पिता का चिंतित होना स्वाभाविक है। आजकल के बदलते परिवेश में जहाँ माता पिता के पास संतान के लिए समय कम से कम होता जा रहा है।  वहीं पर बच्चे भी शैतान होते जा रहे है।   देखा गया है कि 5 साल से छोटी उम्र के बच्चे अक्सर शैतानी की सीमा लाँघ कर, कभी-कभी अपनी बात मनवाने के लिए हाथ-पाओं चलाने लग जाते हैं।  और कई बार ऐसा भी हो जाता  है।  की उनकी बात ना मानने पर वो खुद को या किसी और को हानि पहुँचा सकते हैं।  और किसी चीज़ की इच्छा में बच्चा किसी दूसरे बच्चे से वो वास्तु छीनने की कोशिश में उसी पर हाथ उठा देता है।

यदि बच्चे की कुंडली को सही तरह से देख लिया जाए तो बच्चों की काफ़ी परेशानियो से बचा जा सकता है।  यदि ऐसे बच्चे की कुंडली के भाव विशेषकर लग्न का अध्ययन किया जाए तो न केवल बच्चे के स्वभाव की व्यवस्थित जानकारी हो सकती है।  वरन्‌ उन्हें कैसे समझाया जाए, यह भी जाना जा सकता है। लग्न के अलावा लग्न में बैठे ग्रह भी बच्चों के स्वभाव को प्रभावित करते हैं। 

लग्न का गुरु बच्चों को शांत, समझदार बनाता है।

1- सूर्य जिद्दी व क्रोधी बनाता है। बचपन से ही बच्चों को गायत्री मंत्र बुलवाना चाहिए इससे बच्चे का सूर्य मजबूत होता है।  उसे आरोग्य बल मिलता है। बच्चे को पिता का सुख मिलता है।  तथा उसकी आत्मा पवित्र होती है।  बच्चा कभी गलत सांगत में नहीं पड़ेगा न ही पथभ्रष्ट होगा 

2-0मंगल झगड़ालु व अति साहसी बनाता है। मंगल की अशुभ स्थिति बच्चे को उग्र बना देती है। ये बच्चे गुस्सा बहुत करते हैं।  एकदम बिफर जाते हैं।  हाथ में आई वस्तु फेंकना व मारपीट करना आम लक्षण है।  इन बच्चों को बड़े होने पर रक्तचाप की शिकायत हो जाती है। ये बच्चे जल्दबाज  होते हैं।  चोट भी लगती रहती है। यदि कुंडली में मंगल नीच का है।  या पाप प्रभाव में है।  और बृहस्पति भी कमजोर है।  तो बच्चा उत्पाती, तोड़फोड़ करने वाला, क्रोधी, चोरी की भी आदत वाला हो सकता है।  विशेषतः जब मंगल लग्न या चंद्र को प्रभावित करे।  ऐसे बच्चों की लगातार काउंसलिंग करें, अच्छे संस्कार दें तथा हनुमान चालीसा का पाठ करेवाएं ।  ध्यान रखें की बच्चा घर में इंडोर गेम्स की बजाय  बाहर  खेले मंगल मजबूत होगा,  दुर्घटनाओं से बचेगा, हड्डियाँ मजबूत होंगी और  बच्चे में सहनशीलता तथा धैर्य जैसे गुण आयेंगे । 

3- बुध कुशाग्र बुद्धि का, अति वाचाल बनाता है। बुध की‍ स्थिति खराब होने पर बच्चा वाचाल हो जाता है। बेवजह बड़बड़ाना, पलटकर जवाब देना, बदतमीजी करना  सीखने लगता है। पढ़ाई में मन भी कम लगता है।  यदि बच्चे का बुध कुंडली में खराब हो तो बच्चा फालतू बकवास बहुत करता है। हर बात पर बडबड करके बदतमीजी से बोलता है।  तथा उसके पढ़ाई में अंक भी कम आते है।  ऐसे बच्चो को गणेशजी की पूजा करवाये तथा बुधवार को हरी वस्तु का दान करवाएँ, बच्चे को हरी सब्जियां खिलायें, खली पेट ताम्बे के बर्तन में रखा पानी पिलाये | बच्चे को अपनी बात खुलकर बताने के लिए प्रोत्साहित करें।  इससे बच्चे का बुध मजबूत होगा १ बच्चे में तर्कशक्ति विकसित होगी ।

4- चन्द्रमा भावुक व डरपोक बनाता है। बच्चों का पढ़ाई की तरफ ध्यान केंद्र ना कर पाने मे चंद्रमा की अहम् भूमिका होती है।  चन्द्रमा मन का करक होता है।  कुंडली मे इस पर राहु केतु शनि का प्रभाव होने पर बच्चा एक जगह ध्यान नहीं लगा पाता और उसका मन इधर उधर भटकने लगता है।  राहु बच्चे को हठी और उदण्डि बनाता है।  अगर बच्चा चुपचाप रहे, कोई बात बुरी लगे तो व्यक्त न करके चुपके-चुपके रोये, छोटी-छोटी बात में रोये या गहराइ से ले, उसमें उर्जा की कमी हो तो समझो बच्चा बेहद भावुक है ।  और उसका चन्द्रमा कमजोर है।   इसके लिये बच्चे को चांदी के गिलास में दूध पानी पिलायें ।  माँ का साथ अधिक से अधिक मिले ऐसे  बच्चे को ।

5- शुक्र कलात्मक अभिरुचि देता है। शुक्र की कुंडली में अशुभ बच्चों को बुरी आदतों जैसे शराब, सिगरेट का शौकीन बनाती है। कामुकता भी इससे आती है। ये बच्चे विपरीत लिंग में अधिक रुचि लेते हैं। इन बच्चो का चरित्र हनन होने के संभावना होती है।  खासकर अगर बृहस्पति कुंडली में कमजोर हो और लग्न व लगणेश कमजोर हो  इन बच्चों की परवरिश बड़ी चतुराई से करना चा‍हिए। इन्हे बार बार चरित्र की शिक्षा दे और इन्हें अच्छे गुरु के पास भेजें अच्छी पुस्तकें पढ़ने को दें। संगीत, चित्रकला में भेजें और फालतू वक्त न बिताने दें। इनके मित्रों पर भी नजर रखें। टीवी, कम्प्यूटर के साथ ज्यादा समय न बिताने दें। ऐसे बच्चों को कभी-कभी साबूदाना खिलाएं , साफ स्वच्छ कपडे पहनाये, बच्चे को अपनी चीजें सही स्थान पर रखने की आदत डालें ।  इससे शुक्र मजबूत होगा और  बच्चे को जीवन में कभी धन की कमी नहीं रहेगी ।

6- शनि आलसी, नीरसताहीन मानसिकता देता है। शनि का कुंडली में अशुभ प्रभाव गंदा रहना, डिप्रेशन, हीन मानसिकता,  गालीगलौज, लड़ाई -झगड़ा,  नशे को दिखाता है। बच्चे को गरीबों,  दींन -दुखियों की सहायता करनी सिखाएं, शनि मजबूत होगा जो बच्चे को अकाल मृत्यु से बच्चे को बचाएगा ।

7- केतु लक्ष्यहीन, उदासीन वृत्ति देता है।

8-राहु उग्रता, झूठ बोलना, छिपकर काम करने की मानसिकता देता है। यदि कुंडली में राहु केंद्र में है।  अशुभ ग्रहों की दृष्टि में है तो बच्चा शैतान होता है। यह शैतानी तोड़फोड़, फेंका- फेंकी तक जा सकती है। ऐसे बच्चे हायपर एक्टिव होते हैं। अत: एक स्थान पर बैठ ही नहीं सकते। यदि राहु शुक्र के साथ युति बना रहा हो तो बच्चे छुप- छुपकर  कारस्तानी करते हैं। झूठ भी बोलते हैं। ये बच्चे पैर घिसटकर चलते हैं।

9- बृहस्पति कमजोर होने पर यह राहु गलत संगत, अपराधों में फँसा सकता है। ऐसे बच्चों की संगत सुधारें । फालतू के खर्चे न करने की सीख दें ।

10- यदि राहु शुक्र के साथ युति बना रहा हो तो बच्चे छुप-छुपकर कारस्तानी करते हैं।

11- राहु शुक्र की युति हो तो बच्चा छुप छुप कर शैतानी करता है।

यदि लग्न या चंद्र पर शनि के साथ मंगल का प्रभाव जातक को स्वार्थी, झगडालू, अपराधी, दूसरे को तकलीफ देकर खुशी महसूस करने वाला देता है। पुलिस केस भी हो सकते हैं। नियम तोड़ने व रिस्क लेने में रुचि, के साथ खुराफाती है। ऐसे बच्चों को हनुमानजी व शिव की आराधना कराएँ। इन पर नजर रखें। इन पर ज्यादा विश्वास न करें। 

लग्न पर विभिन्न ग्रहों की दृष्टि के भी ऐसे ही प्रभाव दृष्टिगोचर होते हैं। अतः  कुंडली के ग्रहों पर विचार कर उनका उचित उपाय, समाधान किया जाए तो बच्चे के स्वभाव की विषमताओं पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

जैसे- धनु लग्न के बच्चों में घूमने का बेहद शौक रहता है। शैतान, उधमी, जिद्दी, योग्य-अयोग्य का विचार किए बिना अति साहस दिखाने वाले होते हैं। पढ़ाई में विशेष रुचि नहीं होती। इनके ऊपर नियंत्रण रखना आवश्यक है, क्योंकि ये भावनाओं के फेर में कम पड़ते हैं।

 ज्योतिष में, बुध को एक परोपकारी ग्रह के रूप में जाना जाता है। किंतु, आपकी जन्म कुंडली में बुध की अन्य ग्रहों के साथ युति या भाव में उपस्थिति आपके व्यवहार का निर्धारण करती है। यदि बुध पाप ग्रहों के साथ युति में है तो बुध ग्रह नकारात्मक प्रभाव भी डाल सकता है। इसलिए, बुध को चंचल एवं अचल ग्रह के रूप में भी जाना जाता है। ज्योतिष का मानना है।  कि बुध हम को सोचने की क्षमता, निष्कर्ष पर पहुंचने का बल, विचारों को समझने एवं आत्मसात का साहस, परिकल्पना को समझने की समझ, विचारों एवं ख्यालों को अभिव्यक्त करने की क्षमता, हमारी राय के बारे में दूसरों को समझाने की कला, दूसरों को हंसाने का फन, भीतर की भावनाआको शब्दों में उतारने की क्षमता प्रदान करता है। जैसे कि चंद्रमा हमारी प्रतिक्रिया का प्रतिनिधित्व करता है। उसी तरह बुध हमारी प्रतिक्रिया के तरीके का प्रतिनिधित्व करता है।  या कह सकते हैं।  कि हम घटनाओं पर किस तरह प्रतिक्रिया  देते हैं।  उसमें बुध की भूमिका अहम होती है।

यदि आपकी जन्म कुंडली में बुध बुरी स्थिति में है। तो आपको कमजोर तंत्रिका तंत्र, मस्तिष्क संबंधी विकार, अभिव्यक्ति,  बोलने,  लिखने व शिक्षा संबंधी समस्याएं,  धीमी उत्तरदायी प्रणाली, सुस्त प्रकृति, कठोर भाषा की प्रवृत्ति, संक्षिप्त वैवाहिक जीवन, चमड़ी संबंधी समस्याएं, कमजोर याददाश्त, धन जोड़ने में असमर्थ, कमजोर दांत एवं अन्य समस्याएं होने की संभावना है।

बुध, सौर मंडल के आठ ग्रहों में सबसे छोटा और सूर्य से निकटतम है। बुध हरे का रंग शीतल और नम ग्रह है। ज्योतिष और वैदिक ग्रंथों में, बुध को एक कोमल ग्रह के रूप में देखा जाता है। या कह सकते हैं। कि चंद्रमा के गुण रखने वाला ग्रह है। इसके अलावा, बुध को चंद्रमा का पुत्र भी कहा जाता है। ज्योतिषीय दृष्टि से बुध तीसरे एवं छठे क्रमशः मिथुन एवं कन्या राशि स्वामी है। कन्या राशि में शुरूआती 15 डिग्री में बुध उच्च का एवं बाकी 15 डिग्री में मूलत्रिकोणी कहलाता है। मिथुन में बुध स्वगृही होता है। हालांकि, मीन राशि में बुध नीच का होता है।

बुध को युवा, बेचैन, चंचल, बुद्धिमान, प्रज्ञात्मक, चतुर, मजाकिया, मनोरंजक, बातूनी,  विश्लेषणात्मक, तार्किक,  वैज्ञानिक,  गणनात्मक,  हंसमुख और लापरवाह,  लचीले स्वभाव,  बहुमुखी,  हाजिर जवाबी, मिलनसार,  मित्रवत,  तार्किक विशेषताआ के कारण जाना जाता है। जिन जातकों की जन्म कुंडली में बुध अच्छी जगह या अच्छी स्थिति में होता है, उन जातकों में उपरोक्त गुण एवं विशेषताएं काफी प्रफुल्लित होती हैं।

आइये जाने लग्न द्वारा बच्चों के स्वभाव की जानकारी -

मेष लग्न :- इस लग्न के बच्चे शैतान, उधमी, झगड़ालु और उग्र होते हैं। मारपीट करना और चोट खाना इनके लिए आम बात होती है। सिर में चोट लगने की आशंका रहती है। इन बच्चों को समझाते समय माता-पिता को उग्र नहीं होना चाहिए। संयम से, धीरज से काम लेना चाहिए।

वृषभ लग् :- इन बच्चों में स्वभावतः ही सुंदरता की तरफ झुकाव होता है। अच्छा रहना, खाना, सुविधायुक्त जीवन जीने की इच्छा होती है। प्रायः कला क्षेत्र में अच्छे होते हैं।  परंतु जिद्दी भी होते हैं। इन्हें भी प्यार से ही समझाया जा सकता है।

मिथुन लग्न :- ये बच्चे हर नई वस्तु, जानकारी के प्रति उत्सुक रहते हैं।  मगर चित्त चंचल होने से एकाग्रता का अभाव रहता है। और लक्ष्य तक जाने में कठिनाई होती  है। ये बच्चे वाचाल होते हैं। प्रश्न अधिक पूछते हैं। इन्हें एकाग्रता बढ़ाने का प्रयास करवाना चाहिए ।

कर्क लग्न :- शांत स्वभाव के, भावुक, तीव्र बुद्धि के व स्नेहिल होते हैं। कई बार अति भावुकता से एकाग्रता में कमी आती है। इनके साथ बेहद शांति से, सही शब्दों का चयन कर बात की जानी चाहिए।

सिंह लग्न :- इन बच्चों के ढेर सारे मित्र होते हैं। दूसरों के लिए अपना नुकसान तक कर सकते हैं। नेतृत्व कौशल होता है। प्रेम करते हैं। मगर दिखा नहीं सकते। इनके मित्रों की निंदा करके आप इनसे नहीं जीत पाएँगे, वरन्‌ दूर होते जाएँगे ।

कन्या लग्न :- शांत, मितभाषी और पढ़ाई की तरफ ध्यान देने वाले, मेहनती होते हैं। अव्वल तो परेशान करते ही नहीं, करें भी तो एक डाँट से समझ जाते हैं। तनिक डरपोक होते हैं।

तुला लग्न :- शांत, संयमी, आज्ञाकारी व पढ़ाकू होते हैं। बातों को मन से लगा लेते हैं। एक बार समझाने से ही बात समझ जाते हैं।

वृश्चिक लग्न :- समझदार, तीव्र बुद्धि के होते हैं। स्वतंत्र निर्णय लेने की योग्यता व इच्छा होती है। मंगल की अच्छी-बुरी स्थिति इन्हें साहसी या डरपोक बना सकती है। इन पर काबू पाने के लिए इन्हें विश्वास दिखाना, भरोसे में लेना जरूरी है।

धनु लग्न :- इन बच्चों में घूमने का बेहद शौक रहता है। शैतान, उधमी, जिद्दी, योग्य-अयोग्य का विचार किए बिना अति साहस दिखाने वाले होते हैं। पढ़ाई में विशेष रुचि नहीं होती । इनके ऊपर नियंत्रण रखना आवश्यक है। क्योंकि ये भावनाओं के फेर में कम पड़ते हैं।

मकर लग्न :- ये बच्चे उदासीन प्रकृति के होते हैं। ‘जो मिला ठीक है।  इस सोच के रहते प्रगति की, जीतने की इच्छा कम रहती है। हीनभावना घर कर जाती है।  इन्हें सतत प्रेरित करने की बेहद आवश्यकता होती है।

कुंभ लग्न :- होशियार, खोजी प्रवृत्ति के विषय-अध्ययन में रुचि लेने वाले और शिक्षक- पालकों का मन जीतने वाले इन बच्चों को शायद ही कभी कुछ कहना पड़ता हो।

मीन लग्न :- इनमें एकाग्रता की बेहद कमी होती है। कल्पना शक्ति बेहद अच्छी होती है, भावुक भी  होते हैं। उपयुक्त मार्गदर्शन मिलने पर पढ़ाई में प्रगति कर सकते हैं।

नटखट जिद्दी बच्चे के बुध को शक्तिशाली बनाने के लिए कुछ उपाय बताने जा रहे हैं। ताकि आप बुध के सकारात्मक प्रभाव को जागृत कर अपने जीवन को सरल बनाने में सक्षम होंगे। इसके अतिरिक्त कुछ अन्य प्रभावशाली उपाय भी जानिए -

इसके लिए आप निम्न बताए जा रहे सुझाव अपनाएं -

1-आप आपके बच्चे को गणपति का दर्शन करवाएँ।   

2-आप आपके बच्चे को भगवान् विष्णु की पूजा करें एवं बुधवार को विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का जाप करें।

3-आप आपके बच्चे की छोटी उंगली में लोहे की रिंग पहनें, यदि हो सके तो बुधवार को धारण करें।

4-आप आपके बच्चे के लिए बुधवार के दिन बकरी को हरा घास डालकर आएं।

5-आप आपके द्वारा गरीबों को हरी वस्तुएं दान करें।

6-आप ऐसे बच्चे को मसालेदार भोजन न दें।  

7--आप ऐसे बच्चे को अच्छी पुस्तकें पढ़ने को दें।   

8-आप आपके बच्चे को तांबे से बनी वस्तुएं जरूरतमंद लोगों को दान करवाएं ।

9-कई बार बच्चे झूठ बोलने लगते हैं तो ऐसे में उन बच्चो द्वारा ताम्बे का सिक्का मंदिर में रखवाएं।

10-जो बच्चे ज्यादा शैतान होते है उनको चाँदी की एक ठोस गोली सोमवार को धारण कराये ।

11-अगर बच्चा बहुत शैतान है। तो चांदी का कड़ा हाथ में पहनाएं ।

12-इसके अलावा आप छोटे बच्चों की मदद कर सकते हैं। आप बच्चों को शिक्षा एवं खाद्य सामग्री उपलब्ध करवा सकते हैं।

13-उस बच्चे को अपने  गुरु के साथ समय बिताने को कहें। 

14-जीवजंतुओं की देखभाल करने वाले, उन्हें प्यार करने वाले बच्चों को जीवन में कभी भी किसी भयंकर परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता ।

15- सबसे जरुरी आप घर का वातावरण शांत रखें।  

एक  विशेष उपाय - अगर आपका बच्चा भी जरुरत से ज्यादा शैतान हो और वह किसी कहना नहीं मानता और उसका स्वभाव जिद्दी हो तो आप नीचे लिखे उपाय को अपनाएं।

इससे आपका बच्चा कितना भी जिद्दी हो कहना मानने लगेगा ।

उपाय -

सौ ग्राम खस-खस लाये।

उस खस-खस को चौबीस दिन तक गायत्री मंत्र के नित्य एक माला जप से अभिमंत्रित कर लें।

अब वह खसखस उसे हर सब्जी में चौबीस दिन तक मिलाकर खिलाएं।

यह सब्जी घर के अन्य सदस्य भी खा सकते हैं।

इस प्रयोग से आपके बच्चे का जिद्दीपन धीरे-धीरे ठीक होने लगेगा।

यदि आवश्कता हो तो यह प्रयोग बार-बार दोहराया जा सकता है।

2- बच्चों का पढ़ाई में मन न लगता हो, बार-बार फेल हो जाते हों, तो यह सरल सा टोटका करें-

शुक्ल पक्ष के पहले बृहस्पतिवार को सूर्यास्त से ठीक आधा घंटा पहले बड़ के पत्ते पर पांच अलग-अलग प्रकार की मिठाईयां तथा दो छोटी इलायची पीपल के वृक्ष के नीचे श्रद्धा भाव से रखें और अपनी शिक्षा के प्रति कामना करें। पीछे मुड़कर न देखें, सीधे अपने घर आ जाएं। इस प्रकार बिना क्रम टूटे तीन बृहस्पतिवार करें। यह उपाय माता-पिता भी अपने बच्चे के लिये कर सकते हैं।

3- माघ मास की कृष्णपक्ष अष्टमी के दिन को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र में अर्द्धरात्रि के समय रक्त चन्दन से अनार की कलम से “ॐ ह्वीं´´ को भोजपत्र पर लिख कर नित्य पूजा करने से अपार विद्या, बुद्धि की प्राप्ति होती है।

Consultations by Astrologer - Pandit Ashu Bahuguna
Skills : Vedic Astrology , Horoscope Analysis , Astrology Remedies  , Prashna kundli IndiaMarriage Language: Hindi
Experience : Exp: 35 Years
Expertise: Astrology , Business AstrologyCareer Astrology ,Court/Legal Issues , Property Astrology,  Health Astrology,  Finance Astrology,
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ॐ रां रामाय नम: श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411