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- जीवन की विभिन्न समस्याओं का समाधान पाएं ।
- लाल किताब के अचूक अद्भुत टोटके ।
- वास्तु द्वारा उपाय करने पर कष्ट का निवारण ।
- अंक ज्योतिष द्वारा समस्या का समाधान पाएं ।
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- बैरि-नाशक हनुमान ग्यारहवाँ
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- ज्योतिष में ध्यान रखने योग्य खास बातें
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ज्योतिष में ध्यान रखने योग्य खास बातें
ज्योतिष में ध्यान रखने योग्य खास बातें-
1. कुंडली के प्रत्येक भाव से जातक का दूसरों के प्रति व्यव्हार तय किया जाता है न कि दूसरों का जातक के प्रति।
2. अधिकांश लोग भ्रमित रहते हैं कि सप्तम भाव में स्थित ग्रहों या सप्तमेश की स्थिती से जातक के पार्टनर की स्थिती देखी जाती है। ऐसा नहीं है।.
3. किसी भी भाव में स्थित ग्रह जातक का उस भाव से सम्बधित रिश्तों के प्रति क्या स्वभाव रहेगा वो तय होता है।
4. यदि सप्तम में कोई ग्रह शुभ या अशुभ है तो जातक अपने पार्टनर के प्रति वैसे ही सही या गलत व्यव्हार या सोच रखता है ना कि जातक का पार्टनर जातक के प्रति।
5. कुंडली के तमाम शुभ योग या अशुभ दोष जिस भाव में बन रहे हों जातक उसी भाव से सम्बन्धित लोगों से लाभ या हानि पाता है।
6. यदि लग्नेश या नवमेश अशुभ हैं या लग्न/नवम भाव पीड़ीत हों तो जातक अपने हाथों अपनी बर्बादी खुद लिखता है।
7. यदि द्वितिय या दशम भाव अशुभ हैं तो जातक रातों रात अमीर होने के सपने देखकर अनैतिक कार्य अपनाता है जिससे भविष्य में उसे भारी नुक्सान का सामना करना पड़ता है।
8. यदि कुंडली का तृतीय व एकादश भाव पीड़ीत है तो जातक अपने भाईयों के प्रति द्वेषभावना रखकर अपनी संपत्ती बर्बाद कर लेता है।
9. यदि कोई ग्रह किसी भी भाव में उच्च का है तो उससे सप्तम भाव में उसकी नीच राशी पर उस ग्रह की समसप्तक दृष्टी होगी। जिससे उच्च का ग्रह भी अपने से सातवीं राशी को नुक्सान पहुंचा सकता है।
10. जिनकी कुंडलीयों में ग्रहण दोष चांडाल दोष प्रेत दोष या राहु केतू शनि आदि सूर्य व चन्द्र से संबंध बनाऐं वे लोग पैरानार्मल ऐक्टीवीटीज या ऊपरी बाधाओ से ग्रस्त रहते हैं। अधिकांश लोग ये जानने मे लगे रहते हैं कि किसने ब्लैक मैजिक किया या किस तरह से नकारात्मक ऊर्जा उनके परिवार में प्रवेश कर गई। ये भी कुंडली से पता किया जा सकता है कि आपका बुरा करने या चाहने वाला कौन है। ऐसे दोष जिस भाव में बन रहे हो उसी भाव से सम्बन्घित रिश्ते जातक की जड़ें काटते हैं तथा जातक पर ब्लैक मैजिक जैसे प्रयोग निरंतर करते रहते हैं।
11. अंगारक दोष या मांगलिक दोष हमेशा अशुभ नहीं होता। यदि मंगल अपनी राशी का होकर 6/8 भाव में हो तो जातक को उसकी सोच से कहीं ज्यादा धनार्जन करवाता है।
12. हर भाव में बैठा ग्रह अपने पिछले से बल लेता है और अपने से अगले भाव में बैठे ग्रह को बल देता है। लेकिन कर्क और सिंह राशीयों पर यह बल बुरा प्रभाव ही देता है। हर कुंडली में यह स्थिती जिस भी भाव में आगे पीछे बनेगी उन भावों से सम्बन्धित नुक्सान हर जातक को रहता है। ऐसा इसलिए क्यूंकि सूर्य और चन्द्र जब भी प्रतियुति बनाएं तो अमावस दोष बनाते हैं।
ज्योतिष में ध्यान रखने योग्य खास बातें-
1. कुंडली में सबसे अहम स्थान लग्न का है। लग्न से ही जातक की सोचने की क्षमता, कार्य में लग्न, दूसरों पर पड़ने वाले प्रभाव, विचारधारा आदि को देखा जाता है। जिनका लग्नेश या लग्न खराब हो ऐसे जातक जिंदगी में कभी उपर नहीं उठ पाते।
2. कोई भी ग्रह यदि दूसरे या ग्याहरवें भाव का स्वामी होकर नीच शत्रुग्रही भी क्यू ना हो फिर भी अपनी महादशा में रूक रूक कर जरूरतो को हिसाब से धनार्जन के मौके देता रहता है।
3. हर ग्रह की अपनी एक उच्च व नीच राशी होती है। नीचे दी तालिका से आप पता लगा सकते हैं।-
1. सूर्य - मेष में उच्च, तुला में नीच
2.चंद्र - वृषभ में उच्च, वृश्चिक में नीच
3.बुध - कन्या में उच्च, मीन में नीच
4.शुक्र - मीन में उच्च, कन्या में नीच
5.मंगल - मकर में उच्च, कर्क में नीच
6.गुरु - कर्क में उच्च, मकर में नीच
7.शनि - तुला में उच्च, मेष में नीच
8.राहु - मिथुन में उच्च, धनु में नीच
9.केतु - धनु में उच्च, मिथुन में नीच।
4. जब कोई ग्रह अपनी उच्च राशी का हो तो उससे सप्तम भाव में उस ग्रह की नीच राशी पर दृष्टी होने से उस भाव को सहायता करता है।
5. यदि नीच का ग्रह हो तो जिस भाव में हो व अपने से सप्तम भाव को नुक्सान पहुंचाता है।
6. यदि एक ही भाव में दो ग्रह हों जिनमें से एक उच्च का व दूसरा नीच का हो तो नीच ग्रह का दान करना चाहिए। जैसे कर्क राशी में गुरू व मंगल होने से गुरू की उच्च व मंगल की नीच राशी हुई तो दान मंगल का होगा ना कि गुरू का।
7. सप्तम भाव से सूर्य चन्द्र या शनि का संबंन्ध होने से विवाह में देर होती है या पति पत्नि के आपस में संबंध खराब ही रहते हैं।
8. कुंडली के 6/8/12 भावों में बैठा कोई भी ग्रह शुभ नहीं होता।
9, जिनका चन्द्र खराब हो ऐसे जातक अक्सर बिमार ही रहते हैं। मन में स्थिरता नही होती। बात बात पर बदल जाते हैं। कोई भी काम में फोक्स नहीं कर पाते।
10. यदि दो ग्रहों का आपस में राशी परिवर्तन हो तो उनके उपाय करते वक्त ग्रहों के वार में भी परिवर्तन करना जरूरी है। राशी परिवर्तन का मतलब है जब दो ग्रह एक दूसरे की राशी में हों। जैसे शनि कन्या में तथा बुध मकर में होने से दोनों का राशी परिवर्तन बनता है। तो शनि का दान बुधवार तथा बुध का दान शनिवार के दिन करना अनिवार्य है।
11. कुंडली के मंद व अस्त ग्रहों का व्रत करना विशेष फलदाई होता है अन्यों का नहीं।
12. हर कुंडली में ग्रहों की स्थिती अलग अलग होती है तो उपाय भी अलग अलग ही रहते हैं। इसलिए किसी की देखा देखी या कोई भी उपाय या रत्न यूं ही ना आजमाते रहें वर्ना नुक्सान दे सकते हैं।
13. जब कुंडली में सूर्य+राहु या केतु जनित ग्रहण दोष, गुरू+राहु या केतु जनित चांडाल दोष या सूर्य शनि की राशीयो में, शनि सूर्य या चन्द्र की राशी में, राहु या केतु सूर्य या चन्द्र, चन्द्र सूर्य या शनि की राशी में हों तो ऐसे जातक पर ब्लैक मैजिक जैसे काम होते रहते हैं जिनपर साधारण ऐस्ट्रो उपाय अपना प्रभाव देना बंद कर देते हैं। ऐसे जातकों को ऐस्ट्रो के साथ साथ ब्लैक मैजिक रिमूवल के उपाय भी करते रहने से ही आराम मिल सकता है।
जय श्री राम ॐ रां रामाय नम: श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411