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जैमिनी ज्योतिष शुभता एवं अशुभ का विचार

जैमिनी ज्योतिष शुभता एवं अशुभ फलों का विचार

महर्षि पराशर के अनुसार जीवन में घटित होने वाली घटनाओं का आंकलन करने के लिए जन्म कुण्डली अति महत्वपूर्ण साधन है. कुण्डली से ज्ञात होता है कि विभिन्न समयों में, ग्रहों की युति और स्थिति के अनुसार व्यक्ति विशेष को किस प्रकार का परिणाम मिलने वाला है. इस सिद्धांत से अलग जैमिनी ज्योतिष की मान्यता है कि फलादेश के लिए ग्रहों के गोचर एवं अवधि आवश्यक नहीं है. इस ज्योतिष विधि में जीवन में होने वाली महत्वपूर्ण घटनाओं के लिए चर राशि को देखा जाता है. चर दशा में ही सभी योग एवं राशि अपनी-अपनी अवधि में फल देते हैं. स्थिर दशा भी समान रूप से महत्वपूर्ण होते हैं जो न केवल दीर्घायु प्रदान करतें बल्कि कई महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाते हैं.

निरायन शूल दशा भी काफी उपयोगी होता है क्योंकि, इससे माता-पिता भाई-बहन, जीवनसाथी और निकट सम्बन्धियों की लम्बी उम्र का ज्ञान होता है. निरायन फल शुक्ल दशा मूल रूप से व्यक्ति की अपनी आयु एवं उनके जीवन के मध्यकाल के विषय में जानकारी प्रदान करता है. इस प्रकार चर दशा एवं स्थिर दशा दोनों ही जीवन में घटित होने वाली घटनाओं को जानने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं.

ग्रहों एवं राशियों से शुभता अशुता -
महर्षि पराशर दशा और योगों का परिणाम ज्ञात करने के लिए बहुत सी पद्धितियों का जिक्र करते हैं. जबकि जैमिनी का सिद्धांत यह कहता है कि राशि का फल तब प्राप्त होता है जब कारकांश या अरूधा लग्न से उसकी दशा चलती है. यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि पराशर जहां ग्रहों की बात करते हैं. वहीं जैमिनी राशियों से फलदेश करते हैं. दोनों के सिद्धांतों में विभिन्नता यहां भी दिखाई देती है कि जहां, पराशर बताते है कि उच्च राशि में ग्रहों की मौजूदगी होने पर अथवा स्वराशि में ग्रह स्थित होने पर अपनी दशा अवधि में शुभ फल देते हैं. वहीं राशियों से भविष्य कथन करते हुए जैमिनी महोदय कहते हैं कि जिस राशि में कारकांश और आत्मकारक स्थित होते हैं उस राशि की अवधि में शुभ फल मिलते हैं.

इस सिद्धांत के अनुसार ग्रहों की स्थिति के अनुसार राशि शुभ एवं अशुभ फल देते हैं. दूसरे घर में अशुभ ग्रह के होने पर व्यक्ति को धन हानि का सामना करना होता है. अगर पांचवें घर में सूर्य या चन्द्र की युति शनि के साथ हो या चन्द्र और राहु की युति छठे अथवा आठवें घर में हो तो व्यक्ति को सरकार से दंड मिलने की संभावना रहती है. इस स्थिति में जेल भी जाना पड़ सकता है. वहीं दूसरी तरफ सूर्य की स्थिति छठे घर में शुभ होने पर व्यक्ति को उच्चाधिकारियों से सहयोग मिलता है तथा धन का लाभ मिलता है.

अगर अशुभ ग्रहों की स्थिति किसी राशि से दोनों तरफ हो या अष्टम में तो व्यक्ति को इन घर में स्थितियों राशियों की दशा के दौरान भाग्य में बाधाओं, कठिनाईयों एवं हानि का सामना करना होता है. वहीं केनद्र स्थान यानी लग्न, चतुर्थ, सप्तम एवं दसम में गुरू के होने से व्यक्ति को शुभ परिणाम मिलता है. चन्द्रमा एवं शुक्र तीसरे घर में होने पर आर्थिक स्थिति मजबूत होती है.

बारहवें घर को व्यय स्थान कहा जाता है इस घर में चन्द्रमा एवं शुक्र की स्थिति होने से आर्थिक नुकसान होता है. जबकि राहु के द्वादश भाव में होने से स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों की संभावना रहती है. साथ ही विदेश यात्रा का भी योग बनता है. नवम घर में अशुभ ग्रह का होना पिता के स्वास्थ्य के लिए शुभकारी नहीं माना जाता है. चौथे घर में अशुभ ग्रह होने से विवादस्पद मुद्दों में उलझना होता है एवं माता को स्वास्थ्य सम्बन्धी परेशानियों का सामना करना होता है.

जैमिनी ज्योतिष में शुभ एवं अशुभ राशि -
तुला, कर्क, वृश्चिक, वृष, धनु , कन्या और मीन राशियों की दशा में शुभ फल मिलते हैं. इनमें गौरतलब बात यह है कि तुला से मीन राशियों की दशाओं में क्रमानुसार इनकी शुभता में कमी आती जाती है. वहीं दूसरी तरफ सिंह, मेष, कुंभ, वृश्चिक तथा मकर राशि की दशा में अशुभ परिणाम प्राप्त होता है. इनमें सबसे कम सिंह राशि अशुभ होता है और क्रमानुसर सबसे अधिक मकर राशि अशुभ होता है,

Consultations by Astrologer - Pandit Ashu Bahuguna
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ॐ रां रामाय नम: श्रीराम ज्योतिष सदन, पंडित आशु बहुगुणा, संपर्क सूत्र- 9760924411